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लंकाकाण्ड दोहा ४१ से ५०

दोहा

एकु एकु निसिचर गहि पुनि कपि चले पराइ ।

ऊपर आपु हेठ भट गिरहिं धरनि पर आइ ॥४१॥

चौपाला

राम प्रताप प्रबल कपिजूथा । मर्दहिं निसिचर सुभट बरूथा ॥

चढ़े दुर्ग पुनि जहँ तहँ बानर । जय रघुबीर प्रताप दिवाकर ॥

चले निसाचर निकर पराई । प्रबल पवन जिमि घन समुदाई ॥

हाहाकार भयउ पुर भारी । रोवहिं बालक आतुर नारी ॥

सब मिलि देहिं रावनहि गारी । राज करत एहिं मृत्यु हँकारी ॥

निज दल बिचल सुनी तेहिं काना । फेरि सुभट लंकेस रिसाना ॥

जो रन बिमुख सुना मैं काना । सो मैं हतब कराल कृपाना ॥

सर्बसु खाइ भोग करि नाना । समर भूमि भए बल्लभ प्राना ॥

उग्र बचन सुनि सकल डेराने । चले क्रोध करि सुभट लजाने ॥

सन्मुख मरन बीर कै सोभा । तब तिन्ह तजा प्रान कर लोभा ॥

दोहा

बहु आयुध धर सुभट सब भिरहिं पचारि पचारि ।

ब्याकुल किए भालु कपि परिघ त्रिसूलन्हि मारी ॥४२॥

चौपाला

भय आतुर कपि भागन लागे । जद्यपि उमा जीतिहहिं आगे ॥

कोउ कह कहँ अंगद हनुमंता । कहँ नल नील दुबिद बलवंता ॥

निज दल बिकल सुना हनुमाना । पच्छिम द्वार रहा बलवाना ॥

मेघनाद तहँ करइ लराई । टूट न द्वार परम कठिनाई ॥

पवनतनय मन भा अति क्रोधा । गर्जेउ प्रबल काल सम जोधा ॥

कूदि लंक गढ़ ऊपर आवा । गहि गिरि मेघनाद कहुँ धावा ॥

भंजेउ रथ सारथी निपाता । ताहि हृदय महुँ मारेसि लाता ॥

दुसरें सूत बिकल तेहि जाना । स्यंदन घालि तुरत गृह आना ॥

दोहा

अंगद सुना पवनसुत गढ़ पर गयउ अकेल ।

रन बाँकुरा बालिसुत तरकि चढ़ेउ कपि खेल ॥४३॥

चौपाला

जुद्ध बिरुद्ध क्रुद्ध द्वौ बंदर । राम प्रताप सुमिरि उर अंतर ॥

रावन भवन चढ़े द्वौ धाई । करहि कोसलाधीस दोहाई ॥

कलस सहित गहि भवनु ढहावा । देखि निसाचरपति भय पावा ॥

नारि बृंद कर पीटहिं छाती । अब दुइ कपि आए उतपाती ॥

कपिलीला करि तिन्हहि डेरावहिं । रामचंद्र कर सुजसु सुनावहिं ॥

पुनि कर गहि कंचन के खंभा । कहेन्हि करिअ उतपात अरंभा ॥

गर्जि परे रिपु कटक मझारी । लागे मर्दै भुज बल भारी ॥

काहुहि लात चपेटन्हि केहू । भजहु न रामहि सो फल लेहू ॥

दोहा

एक एक सों मर्दहिं तोरि चलावहिं मुंड ।

रावन आगें परहिं ते जनु फूटहिं दधि कुंड ॥४४॥

चौपाला

महा महा मुखिआ जे पावहिं । ते पद गहि प्रभु पास चलावहिं ॥

कहइ बिभीषनु तिन्ह के नामा । देहिं राम तिन्हहू निज धामा ॥

खल मनुजाद द्विजामिष भोगी । पावहिं गति जो जाचत जोगी ॥

उमा राम मृदुचित करुनाकर । बयर भाव सुमिरत मोहि निसिचर ॥

देहिं परम गति सो जियँ जानी । अस कृपाल को कहहु भवानी ॥

अस प्रभु सुनि न भजहिं भ्रम त्यागी । नर मतिमंद ते परम अभागी ॥

अंगद अरु हनुमंत प्रबेसा । कीन्ह दुर्ग अस कह अवधेसा ॥

लंकाँ द्वौ कपि सोहहिं कैसें । मथहि सिंधु दुइ मंदर जैसें ॥

दोहा

भुज बल रिपु दल दलमलि देखि दिवस कर अंत ।

कूदे जुगल बिगत श्रम आए जहँ भगवंत ॥४५॥

चौपाला

प्रभु पद कमल सीस तिन्ह नाए । देखि सुभट रघुपति मन भाए ॥

राम कृपा करि जुगल निहारे । भए बिगतश्रम परम सुखारे ॥

गए जानि अंगद हनुमाना । फिरे भालु मर्कट भट नाना ॥

जातुधान प्रदोष बल पाई । धाए करि दससीस दोहाई ॥

निसिचर अनी देखि कपि फिरे । जहँ तहँ कटकटाइ भट भिरे ॥

द्वौ दल प्रबल पचारि पचारी । लरत सुभट नहिं मानहिं हारी ॥

महाबीर निसिचर सब कारे । नाना बरन बलीमुख भारे ॥

सबल जुगल दल समबल जोधा । कौतुक करत लरत करि क्रोधा ॥

प्राबिट सरद पयोद घनेरे । लरत मनहुँ मारुत के प्रेरे ॥

अनिप अकंपन अरु अतिकाया । बिचलत सेन कीन्हि इन्ह माया ॥

भयउ निमिष महँ अति अँधियारा । बृष्टि होइ रुधिरोपल छारा ॥

दोहा

देखि निबिड़ तम दसहुँ दिसि कपिदल भयउ खभार ।

एकहि एक न देखई जहँ तहँ करहिं पुकार ॥४६॥

चौपाला

सकल मरमु रघुनायक जाना । लिए बोलि अंगद हनुमाना ॥

समाचार सब कहि समुझाए । सुनत कोपि कपिकुंजर धाए ॥

पुनि कृपाल हँसि चाप चढ़ावा । पावक सायक सपदि चलावा ॥

भयउ प्रकास कतहुँ तम नाहीं । ग्यान उदयँ जिमि संसय जाहीं ॥

भालु बलीमुख पाइ प्रकासा । धाए हरष बिगत श्रम त्रासा ॥

हनूमान अंगद रन गाजे । हाँक सुनत रजनीचर भाजे ॥

भागत पट पटकहिं धरि धरनी । करहिं भालु कपि अद्भुत करनी ॥

गहि पद डारहिं सागर माहीं । मकर उरग झष धरि धरि खाहीं ॥

दोहा

कछु मारे कछु घायल कछु गढ़ चढ़े पराइ ।

गर्जहिं भालु बलीमुख रिपु दल बल बिचलाइ ॥४७॥

चौपाला

निसा जानि कपि चारिउ अनी । आए जहाँ कोसला धनी ॥

राम कृपा करि चितवा सबही । भए बिगतश्रम बानर तबही ॥

उहाँ दसानन सचिव हँकारे । सब सन कहेसि सुभट जे मारे ॥

आधा कटकु कपिन्ह संघारा । कहहु बेगि का करिअ बिचारा ॥

माल्यवंत अति जरठ निसाचर । रावन मातु पिता मंत्री बर ॥

बोला बचन नीति अति पावन । सुनहु तात कछु मोर सिखावन ॥

जब ते तुम्ह सीता हरि आनी । असगुन होहिं न जाहिं बखानी ॥

बेद पुरान जासु जसु गायो । राम बिमुख काहुँ न सुख पायो ॥

दोहा

हिरन्याच्छ भ्राता सहित मधु कैटभ बलवान ।

जेहि मारे सोइ अवतरेउ कृपासिंधु भगवान ॥४८क॥

मासपारायण , पचीसवाँ विश्राम

कालरूप खल बन दहन गुनागार घनबोध ।

सिव बिरंचि जेहि सेवहिं तासों कवन बिरोध ॥४८ख॥

चौपाला

परिहरि बयरु देहु बैदेही । भजहु कृपानिधि परम सनेही ॥

ताके बचन बान सम लागे । करिआ मुह करि जाहि अभागे ॥

बूढ़ भएसि न त मरतेउँ तोही । अब जनि नयन देखावसि मोही ॥

तेहि अपने मन अस अनुमाना । बध्यो चहत एहि कृपानिधाना ॥

सो उठि गयउ कहत दुर्बादा । तब सकोप बोलेउ घननादा ॥

कौतुक प्रात देखिअहु मोरा । करिहउँ बहुत कहौं का थोरा ॥

सुनि सुत बचन भरोसा आवा । प्रीति समेत अंक बैठावा ॥

करत बिचार भयउ भिनुसारा । लागे कपि पुनि चहूँ दुआरा ॥

कोपि कपिन्ह दुर्घट गढ़ु घेरा । नगर कोलाहलु भयउ घनेरा ॥

बिबिधायुध धर निसिचर धाए । गढ़ ते पर्बत सिखर ढहाए ॥

छंद

ढाहे महीधर सिखर कोटिन्ह बिबिध बिधि गोला चले ।

घहरात जिमि पबिपात गर्जत जनु प्रलय के बादले ॥

मर्कट बिकट भट जुटत कटत न लटत तन जर्जर भए ।

गहि सैल तेहि गढ़ पर चलावहिं जहँ सो तहँ निसिचर हए ॥

दोहा मेघनाद सुनि श्रवन अस गढ़ु पुनि छेंका आइ ।

उतर्यो बीर दुर्ग तें सन्मुख चल्यो बजाइ ॥४९॥

चौपाला

कहँ कोसलाधीस द्वौ भ्राता । धन्वी सकल लोक बिख्याता ॥

कहँ नल नील दुबिद सुग्रीवा । अंगद हनूमंत बल सींवा ॥

कहाँ बिभीषनु भ्राताद्रोही । आजु सबहि हठि मारउँ ओही ॥

अस कहि कठिन बान संधाने । अतिसय क्रोध श्रवन लगि ताने ॥

सर समुह सो छाड़ै लागा । जनु सपच्छ धावहिं बहु नागा ॥

जहँ तहँ परत देखिअहिं बानर । सन्मुख होइ न सके तेहि अवसर ॥

जहँ तहँ भागि चले कपि रीछा । बिसरी सबहि जुद्ध कै ईछा ॥

सो कपि भालु न रन महँ देखा । कीन्हेसि जेहि न प्रान अवसेषा ॥

दोहा

दस दस सर सब मारेसि परे भूमि कपि बीर ।

सिंहनाद करि गर्जा मेघनाद बल धीर ॥५० ॥

चौपाला

देखि पवनसुत कटक बिहाला । क्रोधवंत जनु धायउ काला ॥

महासैल एक तुरत उपारा । अति रिस मेघनाद पर डारा ॥

आवत देखि गयउ नभ सोई । रथ सारथी तुरग सब खोई ॥

बार बार पचार हनुमाना । निकट न आव मरमु सो जाना ॥

रघुपति निकट गयउ घननादा । नाना भाँति करेसि दुर्बादा ॥

अस्त्र सस्त्र आयुध सब डारे । कौतुकहीं प्रभु काटि निवारे ॥

देखि प्रताप मूढ़ खिसिआना । करै लाग माया बिधि नाना ॥

जिमि कोउ करै गरुड़ सैं खेला । डरपावै गहि स्वल्प सपेला ॥

रामचरितमानस

गोस्वामी तुलसीदास
Chapters
बालकाण्ड श्लोक बालकाण्ड दोहा १ से १० बालकाण्ड दोहा ११ से २० बालकाण्ड दोहा २१ से ३० बालकाण्ड दोहा ३१ से ४० बालकाण्ड दोहा ४१ से ५० बालकाण्ड दोहा ५१ से ६० बालकाण्ड दोहा ६१ से ७० बालकाण्ड दोहा ७१ से ८० बालकाण्ड दोहा ८१ से ९० बालकाण्ड दोहा ९१ से १०० बालकाण्ड दोहा १०१ से ११० बालकाण्ड दोहा १११ से १२० बालकाण्ड दोहा १२१ से १३० बालकाण्ड दोहा १३१ से १४० बालकाण्ड दोहा १४१ से १५० बालकाण्ड दोहा १५१ से १६० बालकाण्ड दोहा १६१ से १७० बालकाण्ड दोहा १७१ से १८० बालकाण्ड दोहा १८१ से १९० बालकाण्ड दोहा १९१ से २०० बालकाण्ड दोहा २०१ से २१० बालकाण्ड दोहा २११ से २२० बालकाण्ड दोहा २२१ से २३० बालकाण्ड दोहा २३१ से २४० बालकाण्ड दोहा २४१ से २५० बालकाण्ड दोहा २५१ से २६० बालकाण्ड दोहा २६१ से २७० बालकाण्ड दोहा २७१ से २८० बालकाण्ड दोहा २८१ से २९० बालकाण्ड दोहा २९१ से ३०० बालकाण्ड दोहा ३०१ से ३१० बालकाण्ड दोहा ३११ से ३२० बालकाण्ड दोहा ३२१ से ३३० बालकाण्ड दोहा ३३१ से ३४० बालकाण्ड दोहा ३४१ से ३५० बालकाण्ड दोहा ३५१ से ३६० अयोध्या काण्ड श्लोक अयोध्या काण्ड दोहा १ से १० अयोध्या काण्ड दोहा ११ से २० अयोध्या काण्ड दोहा २१ से ३० अयोध्या काण्ड दोहा ३१ से ४० अयोध्या काण्ड दोहा ४१ से ५० अयोध्या काण्ड दोहा ५१ से ६० अयोध्या काण्ड दोहा ६१ से ७० अयोध्या काण्ड दोहा ७१ से ८० अयोध्या काण्ड दोहा ८१ से ९० अयोध्या काण्ड दोहा ९१ से १०० अयोध्या काण्ड दोहा १०१ से ११० अयोध्या काण्ड दोहा १११ से १२० अयोध्या काण्ड दोहा १२१ से १३० अयोध्या काण्ड दोहा १३१ से १४० अयोध्या काण्ड दोहा १४१ से १५० अयोध्या काण्ड दोहा १५१ से १६० अयोध्या काण्ड दोहा १६१ से १७० अयोध्या काण्ड दोहा १७१ से १८० अयोध्या काण्ड दोहा १८१ से १९० अयोध्या काण्ड दोहा १९१ से २०० अयोध्या काण्ड दोहा २०१ से २१० अयोध्या काण्ड दोहा २११ से २२० अयोध्या काण्ड दोहा २२१ से २३० अयोध्या काण्ड दोहा २३१ से २४० अयोध्या काण्ड दोहा २४१ से २५० अयोध्या काण्ड दोहा २५१ से २६० अयोध्या काण्ड दोहा २६१ से २७० अयोध्या काण्ड दोहा २७१ से २८० अयोध्या काण्ड दोहा २८१ से २९० अयोध्या काण्ड दोहा २९१ से ३०० अयोध्या काण्ड दोहा ३०१ से ३१० अयोध्या काण्ड दोहा ३११ से ३२६ अरण्यकाण्ड श्लोक अरण्यकाण्ड दोहा १ से १० अरण्यकाण्ड दोहा ११ से २० अरण्यकाण्ड दोहा २१ से ३० अरण्यकाण्ड दोहा ३१ से ४० अरण्यकाण्ड दोहा ४१ से ४६ किष्किन्धाकाण्ड श्लोक किष्किन्धाकाण्ड दोहा १ से १० किष्किन्धाकाण्ड दोहा ११ से २० किष्किन्धाकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड श्लोक सुन्दरकाण्ड दोहा १ से १० सुन्दरकाण्ड दोहा ११ से २० सुन्दरकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड दोहा ३१ से ४० सुन्दरकाण्ड दोहा ४१ से ५० सुन्दरकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड श्लोक लंकाकाण्ड दोहा १ से १० लंकाकाण्ड दोहा ११ से २० लंकाकाण्ड दोहा २१ से ३० लंकाकाण्ड दोहा ३१ से ४० लंकाकाण्ड दोहा ४१ से ५० लंकाकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड दोहा ६१ से ७० लंकाकाण्ड दोहा ७१ से ८० लंकाकाण्ड दोहा ८१ से ९० लंकाकाण्ड दोहा ९१ से १०० लंकाकाण्ड दोहा १०१ से ११० लंकाकाण्ड दोहा १११ से १२१ उत्तरकाण्ड - श्लोक उत्तरकाण्ड - दोहा १ से १० उत्तरकाण्ड - दोहा ११ से २० उत्तरकाण्ड - दोहा २१ से ३० उत्तरकाण्ड - दोहा ३१ से ४० उत्तरकाण्ड - दोहा ४१ से ५० उत्तरकाण्ड - दोहा ५१ से ६० उत्तरकाण्ड - दोहा ६१ से ७० उत्तरकाण्ड - दोहा ७१ से ८० उत्तरकाण्ड - दोहा ८१ से ९० उत्तरकाण्ड - दोहा ९१ से १०० उत्तरकाण्ड - दोहा १०१ से ११० उत्तरकाण्ड - दोहा १११ से १२० उत्तरकाण्ड - दोहा १२१ से १३०