बेटकुळी
गुरुकृपा अंजन पायो मेरे भाई । रामबिना कछु खाली नाहीं ॥ १ ॥
बाहर राम भीतर राम । ज्या देखो व्हां रामहीं राम ॥ २ ॥
जागत राम सोवत राम । सपनोमें देखू तो राजाराम ॥ ३ ॥
एका जनार्दनीं भावही निका । जो देखो सो राम सरीका ॥ ४ ॥
गुरुकृपा अंजन पायो मेरे भाई । रामबिना कछु खाली नाहीं ॥ १ ॥
बाहर राम भीतर राम । ज्या देखो व्हां रामहीं राम ॥ २ ॥
जागत राम सोवत राम । सपनोमें देखू तो राजाराम ॥ ३ ॥
एका जनार्दनीं भावही निका । जो देखो सो राम सरीका ॥ ४ ॥