बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे
बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल[1] है दुनिया, मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़[2] तमाशा, मेरे आगे
इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां[3] मेरे नज़दीक
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा[4], मेरे आगे
जुज़[5] नाम, नहीं सूरत-ए-आ़लम[6] मुझे मंज़ूर
जुज़ वहम, नहीं हस्ती-ए-अशया[7], मेरे आगे
होता है निहाँ[8] गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं[9] ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे
सच कहते हो, ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा[10] हूँ, न क्यों हूँ
बैठा है बुत-ए-आईना[11] सीमा[12], मेरे आगे
फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार[13]
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा[14], मेरे आगे
नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है, मैं रश्क से गुज़रा
क्योंकर कहूँ, लो नाम न उनका मेरे आगे
ईमाँ[15] मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र[16]
काबा मेरे पीछे है, कलीसा[17] मेरे आगे
आशिक़ हूँ, पे माशूक़-फ़रेबी[18] है मेरा काम
मजनूं को बुरा कहती है लैला, मेरे आगे
ख़ुश होते हैं, पर वस्ल में, यूँ मर नहीं जाते
आई शबे-हिजराँ[19] की तमन्ना, मेरे आगे
है मौज-ज़न[20] इक क़ुल्ज़ुमे-ख़ूँ[21] काश! यही हो
आता है अभी देखिये क्या-क्या, मेरे आगे
गो हाथ को जुम्बिश[22] नहीं, आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना[23], मेरे आगे
हमपेशा-ओ-हमशरब-ओ-हमराज़[24] है मेरा
'ग़ालिब' को बुरा क्यों, कहो अच्छा, मेरे आगे
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- ↑ रात और दिन
- ↑ सुलेमान नामक अवतार का राजसिंहासन
- ↑ ईसा का चमत्कार जिनकी फूँक से मुर्दे जीवित हो उठते थे
- ↑ के सिवा
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