क़तरा-ए-मै[1] बसकि हैरत से नफ़स-परवर[2] हुआ ख़त्त-ए-जाम-ए-मै[3] सरासर रिश्ता-ए-गौहर[4] हुआ एतिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना ग़ैर ने की आह, लेकिन वह ख़फ़ा मुझ पर हुआ