हम रश्क[1] को अपने भी गवारा[2] नहीं करते मरते हैं, वले[3] उन की तमन्ना नहीं करते दर पर्दा[4], उन्हें ग़ैर से है रब्त-ए-निहानी[5] ज़ाहिर[6] का ये पर्दा है कि पर्दा नहीं करते यह बाइस-ए-नौमीदी-ए-अरबाब-ए-हवस[7] है "ग़ालिब" को बुरा कहते हो अच्छा नहीं करते