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गीताधर्म और मार्क्सवाद (Hindi)
स्वामी सहजानन्द सरस्वती
स्वामी सहजानन्द सरस्वती लिखित भगवद गीता का हिंदी में सार मार्क्स का साम्यवाद भौतिक होने के कारण हलके दर्जे का है, तुच्छ है गीता के आध्यात्मिक साम्यवाद के मुकाबिले में। वह तो यह भी कहते हैं कि हमारा देश धर्मप्रधान एवं धर्मप्राण होने के कारण भौतिक साम्यवाद के निकट भी न जाएगा। यह तो आध्यात्मिक साम्यवाद को ही पसंद करेगा।READ ON NEW WEBSITE