पूर्वाभास
उमाकांत चाय की चुस्कियां ले रहे थे। पत्नी उर्मिला दनदनाती कमरे में आई “दोपहर में चुस्कियां ले रहे हो। खाना कब खाऔगे।“
“जब आपका हुक्म होगा।“
“मेरी सुनता कौन है।“
“कहो, सुन रहा हूं।“
“क्या कहूं। डाक्टरों ने परेशान करके रखा हुआ है। टेस्ट पर टेस्ट करवाते जाते है। केस को जटिल बना देते हैं। नार्मल काम तो करना ही नही है।“
“उन्होनें भी पेट पालना है।“
“हमारा काट कर।“
“घुमा कर बात न कर, सीधे बता, हुआ क्या?”
तमतमाते हुए उर्मिला बोली – “लूट रहे है, आज के डाक्टर, बस बन्दूक सीने पर नही रखते, वर्ना कोई कसर नही छोडी है। अपने घर भरने में लगे है, डराते रहते है, ये हो जाएगा, वो हो जाएगा। ऐसा करना होगा, वो करना होगा। हमने भी बच्चे जने है। मजाल है, किसी डाक्टर ने डराया हो। सीधे, सीधे नार्मल तरीके से बच्चे का जन्म होता था। आज देखो, दुनिया भर की जटिलाता और पेचीदापन एक डिलीवरी में बता कर दिल का हार्ट अटैक करवा देते है।“ कह कर उर्मिला सुबक सुबक कर रोने लगी।
यह देख उमाकांत गंभीर हो गए। तभी कमरे में पुत्रवधू राशी ने धीरे धीरे से प्रवेश किया। सास को सुबक कर रोते हुए देख कर वह खामोशी के साथ दीवान पर लेट गई।
“क्या बात है, राशी। सब ठीक है न।“
“हां, पापा, ठीक है, कुछ टेस्ट करवाने है। कल करवा लेगें।“
“फिर इसमें रोने की क्या बात है। टेस्ट करवाने है, हो जाएगें।“
उर्मिला तमतमा कर उमाकांत के पास आई और तन कर खडी हो गई – “आपको क्या है, दोपहर के समय चाय की चुस्कियां ले रहे हो। हम सडी गर्मी में सजा भुगत रहे हैं।
डाक्टरों को तो छोडो, आजकल की डाक्टरनियां भी उस्ताद बन गई हैं। सबने लूटने का धंधा बना रखा है।“
गंभीर स्वाभाव के उमाकांत ने धीरे से पत्नी उर्मिला से पूछा – “कुछ बता सो सही, आखिर क्या बात है?”
“डाक्टर कहती है, कि बच्चा अपने स्थान पर नही है। उल्टा है। केस पेचीदा है। कम्लीकेटिड है। टेस्ट करवाने है, फिर अस्पताल में दाखिल करना है।“
उमाकांत चुप रहा, कुछ सोचने लगा। उर्मिला बोली – “बच्चे उल्टे भी होते है, सीधे भी होते हैं। हमारे समय भी यही होता था, पर मजाल है, किसी डाक्टर ने डराया हो। सब नार्मल तरीके से डिलीवरी होती थी। अब हर केस को ऑपरेशन से करना है। डराते रहते है। दिल को कुछ होता है।“
अब उमाकांत ने उर्मिला को दिलासा दिया – “कुछ नही होगा। सब ठीक होगा। डाक्टर ने कहा है, तो टेस्ट कल करवाते है। सब नार्मल होगा। डर मत। हमारे समय साधन नही थे।
अब विज्ञान ने तरक्की ज्यादा कर ली है। आधुनिक उपकरणों से सब मालूम हे जाता है। समय की मांग है। हमें टेस्ट करवाने चाहिए। घबरा मत। पहले बच्चे जन्म के समय बच्चे और मां की मृत्युदर अधिक होती थी। अब पेचीदा केस भी हल हो जाते है। मृत्युदर भी कम हो गई है।“
मृत्युदर की बात सुन कर उर्मिला ने उमाकांत के होठों पर हाथ रख दिया – “नही, अशुभ बाते इस मौके पर नही करनी।“
“फिर वादा कर, ठंडे दिमाग से काम करना है। रोना धोना नही है। कल सुबह टेस्ट करवा कर डाक्टर की सलाह पर चलेगें।“ कह कर उमाकांत ने उर्मिला को शांत किया।
“उर्मिला, अब रोना बंद करके खाने की सोचो। लंच टाइम हो गया है।“
साडी के पल्लू से मुंह पोंछ कर उर्मिला रसोई चली गई। उर्मिला के रसोई जाने के बाद उमाकांत ने राशी को समझाया – “बेटी, घबराना मत। जैसे डाक्टर कहे, वैसा ही करेगें। पहले और आज के समय में बहुत फर्क है। मैं मानता हूं, कि डाक्टर आजकल व्यापार करते हैं, फिर भी आधुनिक तकनीक के सहारे हमें पहले से कई बीमारियों और पेचीदीकों का पता चल जाता है। समय चलते बीमारी का ज्ञान होता है और उचित इलाज, उपचार हो जाता है। पहले बीमारी का पता ही नही चलता था, कि कौन सी बीमारी है। मनुष्य चला जाता था। आज बीमारी का पता चलता है और उपचार भी होता है। बेटी तुम चिन्ता न करो। मैं उर्मिला को समझाता हूं।“
उमाकांत ने उर्मिला और बहू राशी को तो समझा दिया, परन्तु खुद उसका चित शांत न था। रात को बिस्तर पर लेटने के बाद भी आंखों में नींद नही थी। राशी और आने वाले बच्चे की चिंता थी। सब कुशल मंगल हो जाए। कोई अनहोनी न हो। आधी रात तक मन मस्तिष्क में आशंका उमड घुमड कर रही थी। कब आंख लगी, खुद उमाकांत को नही मालूम। उमाकांत का मकान दो मंजिला है। भूतल में उमाकांत का परिवार और प्रथम मंजिल पर उमाकांत का छोटे भाई रमाकांत का परिवार रहता है। रमाकांत की मृत्यु पांच साल पहले हो गई थी। उमाकांत के कमरे की खिडकी गली में खुलती है। खिडकी के साथ ही उमाकांत का बिस्तर लगा रहता था। दिन में कमरा घर की बैठक और रात में उमाकांत, उर्मिला का शयनकक्ष बनता है।
हां वह स्वपन ही था। अवचेतन मन में उमाकांत को अहसास हो गया था। किसी ने खिडकी खटखटाई। इतनी रात को कौन हो सकता है। तभी खिडकी के बाहर से आवाज आई। उमा भाई खिडकी खोल। स्वर जाना पहचाना था। अवचेतन स्थिती में उमाकांत ने खिडकी खोली। खिडकी के पास रमाकांत खडा था। हांलाकि रमाकांत को परलोक सिधारे पांच वर्ष हो गए है, परन्तु उमाकांत ने कहा, रमा, क्या बात है। खिडकी के पास क्यों खडे हो? अन्दर आऔ। क्या बात है? यह सुन कर रमाकांत हंस पडा। उमा, इतना उदास मत हो। कोई घबराने की बात नही है। मैं आ रहा हूं। कल जा हंसी खुशी राशी का टेस्ट करवा। यह कह कर रमाकांत चला गया। उमाकांत की नींद खुली। स्वपन पूरी तरह से याद था। थोडा पसीना आ गया उमाकांत को। उसने उर्मिला को नही जगाया। समीप पडे जग से पानी गिलास में डाला और पी कर फिर से करवट बदली। कुछ देर बाद उमाकांत को नींद आ गई। रात देर तक जागने के बाद उमाकांत सुबह देर तक सोता रहा। उर्मिला ने उमाकांत को उठाया – “सुनो, क्या बात है। आज उठना नही है। जल्दी उठो। सुबह की सैर आज कैंसल करो, क्योंकि टेस्ट करवाने हैं, राशी के।“
"हां, सैर कैंसल, अभी नहा कर आता हूं। टेस्ट जरूरी हैं।“
अस्पताल में राशी के टेस्ट हो रहे थे। बाहर वेटिंग रूम में उमाकांत ने उर्मिला से रात के सपने का जिक्र किया – “कल रात सपने में रमा आया था। खिडकी के पास खडा था। कह रहा था, कि वो मिलने आ रहा है।“
यह सुन कर उर्मिला चौंक गई – “क्या, रमा भाई सपने में क्या कह रहे थे?”
“कह रहा था, कि आ रहा है। घबरा मत, राशी के टेस्ट करवा।“
यह सुन कर उर्मिला के होठों पर मुस्कान छा गई। अभी तक चिन्तित उर्मिला आराम से कुर्सी पर पैर फैला कर हाथों को सिर के पीछे रख कर कहा – “अगर आप का सपना सच्चा है, तब टेस्ट की ठीक रिपोर्ट आएगी।“
“क्या कह रही हो। अभी तक तो चिन्ता से मरी जा रही थी। अब मुस्करा रही हो।“
“हां, ऐसे सपने सच्चे होते हैं। आने वाले दिनों की सूचना दे जाते हैं।“
तभी राशी के टेस्ट समाप्त हुए। सभी घर आ गए। रात को फिर से सपने में रमाकांत उमाकांत के सपने में आता है। कल रात रमाकांत खिडकी के पास खडा था। आज वह सीधे कमरे में आ गया और उमाकांत को उठा कर कहता है। उठो उमा भाई। उमाकांत उठ कर बैठते हैं तो रमाकांत उमाकांत की गोद में बैठ जाता है। उमाकांत कहते है, यह क्या मजाक है। नीचे उतर। रमाकांत यह सुन कर हंसता है और कहता है, पागल भाई, अब तो रोज गोद में शू शू करूंगा। हंसता हुआ रमाकांत गोद से उतर कर भाग जाता है और सपना समाप्त होता है। सुबह उमाकांत उर्मिला को सपने की बात सुनाते है। सुन कर उर्मिला हंसती हुई कहती है – “अब मैं निश्चिंत हूं। सब ठीक होगा। शर्तिया लडका होगा।“
टेस्ट रिपोर्ट ठीक आई। रिपोर्ट हाथों में नचाते हुए उर्मिला उमाकंत से बोली – “सच सच बताऔ। सपने में रमा भाई आए थे।“
“मैं मजाक नही कर रहा हूं। दो रात लगातार मेरे सपने में रमा आया। कहता है, गोद में रोज शू शू करूंगा। बतममीज कहीं का। बडे भाई से मजाक करता है।“
“पोता बन कर आ रहा है। दादा की गोद में शू शू करने का पूरा हक बनता है।“
“तू भी उर्मिला मजाक कर रही है।“
हंसती हुई उर्मिला चली गई। दो महीने बाद एक सुन्दर से बच्चे को राशी ने जन्म दिया। नर्स ने बच्चे को उर्मिला की गोद में दिया।
“पहला हक दादा का है।“
नर्स ने उमाकांत की गोद में बच्चे को दिया। बच्चे ने उमाकांत की गोद में आते ही शू शू कर दिया। उर्मिला ने नर्स को उपहार में पांच सौ रूपये दिए। हंसते हुए उर्मिला ने कहा – रमा भाई ने अपना वादा पूरा किया।“
“कौन सा?”
“शू शू करने का।“ कह कर उर्मिला ने बात पलटी – “ देखो, शक्ल रमा भाई से मिल रही है।“
सब खुश थे। उमाकांत अवलोकन कर रहा था। सपने में वोही होता है, जो हम सोचते हैं। अक्सर पूर्वाभास दे जाते हैं।