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जय से दोस्ती


नये सत्र में स्कूल का आज दूसरा दिन, जय अब पांचवी कक्षा में पहुंच गया। नये सत्र के पहले दिन बस दुर्घटना के कारण छुट्टी हो गई थी। सुबह प्राथना सभा के बाद नई कक्षा में सभी बच्चों ने अपनी अपनी सीटों पर बैठना शुरू किया। सभी छात्रों ने पिछली कक्षा के अनुसार सीटों का चुनाव किया। मैडम सहगल ने कक्षा में प्रवेश किया।
“गुड मॉर्निंग मैम।“
“गुड मॉर्निंग स्टूडेन्टस। आज से आपका नया सत्र शुरू हो रहा है और आपका सीटिंग आपके रिजल्ट के हिसाब से बनाया गया है। जिन बच्चों के अधिक नंबर आए है, उनके साथ कम नंबर वाले बच्चों की सीटिंग की गई है।“
सभी बच्चों को इस नए क्रम में बिठाया गया। रक्षित के साथ सीट खाली रही। रक्षित सोच में डूब गया, क्या वह अकेला बैठेगा। दो दो बच्चों की जोडी अच्छी रहती है। बच्चों में दोस्ती बनती है। आपस में पढाई से खेल कूद तक सभी में साझीदार बनते है।
“मैम मेरे साथ कौन बैठेगा।“ रक्षित ने उदास हो कर पूछा।
“रक्षित तुम्हारे साथ नया छात्र जय बैठेगा। वह एक होनहार और प्रतिभाशाली विद्यार्थी है। इसी सत्र में उसका दाखिला हुआ है।“
तभी जय ने कक्षा में प्रवेश किया और मैडम सहगल ने उसे रक्षित के साथ बिठाया। जय रक्षित की उम्र का, लेकिन कद में थोडा लम्बा और बदन गठीला। एक पहलवान की तरह शरीर जय का। लंच अंतराल में रक्षित और जय में बातचीत हुई। दोनों ने अपने टिफिन खोले और नाश्ता करते हुए बाते करते रहे।
रक्षित – “तुमने नया एडमिशन लिया।“
जय – “हां, कल में आया था, लेकिन छुट्टी हो गई थी।“
रक्षित – “तुम्हे पता है, कल बस दुर्घटना के कारण छुट्टी हुई थी। जिस बस में मैं आता हूं, उस बस का भी।“
जय – “अच्छा, तुम्हे चोट आई क्या?”
रक्षित – “मुझे सुबह उठने में देर हो गई थी, मेरी बस छूट गई थी। पापा ने कार में स्कूल छोडा। यहां आया तो मालूम हुआ, कि बस दुर्घटना के कारण छुट्टी हो गई।“
जय – “देर से क्यों उठे।“
रक्षित – “मेरे सपने में शेरां वाली मां आई थी, कहने लगी, कि पापा की कार में स्कूल जाना। मेरे साथ बहुत देर तक बाते करती रही, और इस कारण देर से आंख खुली। स्कूल बस छूट गई और मैं पापा की कार में स्कूल आया। शेरांवाली मां ने मुझे ऐक्सीडेन्ट से बचा लिया।“
जय – “तुमने सपना देखा होगा। शेरावाली तुम्हारे सपने में कैसे आ सकती है।“
रक्षित – “सच्ची बोल रहा हूं। मेरे सपने में आई थी, मेरे से बहुत देर तक बाते करती रही। शेरांवाली ने मुझे बचाया है।“
जय – “तुम सच कह रहे हो।“
रक्षित – “एकदम सच। मैं झूठ कभी नही बोलता।“
लंच अंतराल के बाद पढाई शुरू हो गई। स्कूल छुट्टी के बाद रक्षित रूट नंबर 5 की बस में बैठा। जय भी उसी बस में बैठा।
रक्षित प्रफुल्लित हो कर – “जय तुम भी। कहां रहते हो।“
जय – “मैं सेक्टर 13 में रहता हूं।“
रक्षित – “मैं भी 13 सेक्टर में रहता हूं।“
जय – “कौन सी सोसाइटी में रहते हो।“
रक्षित – “मैं पिंक सोसाइटी में रहता हूं।“
जय – “में सूर्या सोसाइटी में रहता हूं।“
रक्षित – “वो देखो मेरी छोटी बहन रक्षा, तीसरी कक्षा में पढती है।“
रक्षा अपने दोस्तो के साथ बाते करती आ रही थी और रक्षित के पीछे वाली सीट पर बैठ गई।
रक्षित – “पहले कौन से स्कूल में पढते थे।“
जय – “मैं पहले बरेली में रहते था। मेरे पापा बैंक में काम करते है। अभी दिल्ली में हस्तांतरण हुआ है। तुम पहले कहां रहते थे।“
रक्षित – “मैं तो नर्सरी से इसी स्कूल में पढ रहा हूं।“
बातों बातों में घर घर आ गया। सभी बस से उतरे। घर में घुसते ही रक्षित ने मां सारिका को जय के बारे में बताया, कि वह उसका देस्त बन गया है, तो रक्षा ने भी बताया, कि उसकी क्लास में वृन्दा ने नया एडमिशन लिया है और वह भी सेक्टर 13 में सवेरा सोसाइटी में रहती है। सारिका ने दोनों को कहा – “पहले हाथ मुंह धो कर खाना खा लो, फिर अपने दोस्तों के बारे में बताना। तुम दोनों बहुत उत्तेजित हो, अपने नए दोस्तों से मिल कर।“
“क्योंकि मैडम ने हमें एक ही सीट में बिठाया है।“ रक्षित और रक्षा दोनों एक ही स्वर में एक साथ बोले।

 

 

मनमोहन भाटिया