लिव इन रिलेशन
सुबह के समय पार्क में सैर करते हुए रमेश और सुरेश बैंच पर बैठ गए। रमेश
ने अखबार खोला, एक पन्ना सुरेश ने लेकर पढना शुरू किया।
“यार रमेश, यह दुनिया कहां जा रही है।“
“मुझे तो दुकान जाना है, दुनिया कहां जा रही है, अधिक सोचना नही चाहिए।
हमारा व्यापार कहां जा रहा है, यह सोचने का विषय है।“
“व्यापार तो पूजा है, धर्म है, उसमें लिप्त हम सारा दिन रहते है, पर कभी
कभी घर, समाज के बारे में भी सोचना चाहिए।“
“व्यापार तरक्की करेगा, घर, बाहर हर तरफ शान्ति रहेगी। बिना लक्ष्मी न तो
संगत मिलती है, न ही इज्जत।“
“हम दोनों व्यापारी है, सारा दिन दुकान पर व्यतीत करते है। जागते, खाते
याहां तक की नींद में भी सपने व्यापार के आते है।“
“हां, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो, सुरेश भाई। लेकिन आज अचानक से समाज, दीन,
दुनिया की कहां से याद आ गई।“
“यह खबर पढ, रमेश।“ कह कर समाचार पत्र का पन्ना सुरेश ने रमेश को पकडा
दिया।
रमेश समाचार पढने लगा। लिव इन रिलेशन में युवती की हत्या। रमेश बोल बोल कर
समाचार पढ रहा था। उसकी आवाज से आस पास सैर कर रहे कुछ व्यक्ति इकठ्ठा हो
गए। सभी अपनी अपनी राय प्रकट करने लगे।
पहला व्यक्ति – “तौबा, तौबा, यह दुनिया कहैं जा रही है। आजकल के युवा
भ्रष्ट हो गये हैं। विवाह को मजाक बना दिया है। बंधन समझते है, विवाह को।
बिना विवाह के साथ रहेगें। नया नाम दे दिया ‘लिव इन रिलेशन’। वाह भाई वाह,
क्या जमाना आ गया है।“
दूसरा व्यक्ति – “भाई साहब, आज कल यह एक भयंकर बीमारी है। अधिक पैसे कमाने
वाले युवा, युवतियां इसकी चपेट में आ गए है। मैं तो कहता हूं, कि पुराना
जमाना सही था, जब छोटी उम्र में विवाह हो जाते थे। कम से कम तो इस बीमारी
से तो बचते थे।“
तीसरा व्यक्ति – “हमारे जमाने में तो यह बीमारी ही नही थी। हमें तो हुई ही
नही।“
चौथा व्यक्ति – “अरे भाई, बिना विवाह के साथ रह रहे हो, रहो, कत्ल शत्ल
क्यों करतो है। पहले साथ रहो, फिर कत्ल कर दो। बाप रे बाप।“
सुरेश – “समाचार में लिखा है, कि लडकी गर्भवति हो गई, उसने शादी का दबाव
बनाया। लडका माना नही और छुटकारा पाने के लिए कत्ल कर दिया।“
पांचवा व्यक्ति – “जब साथ रह रहे है, जो काम हमने शादी के बाद किया, वह अब
पहले करते है। चोला पहना दिया, लिव इन रिलेशन का। विवाह करो, जो सब करते
है, करो, किसने रोका है। समाज का नियम है। विवाह करो, सब कुछ करो।“
छठा व्यक्ति – “हर मां बाप की इच्छा होती है, उनके बच्चे शादी करे। बात करो
तो साफ मना कर देते है, फिर लिव इन रिलेशन में रहते है। जब साथ रहना है,
विवाह कर लो।“
सातवां व्यक्ति – “भाई साहब, यह सब घर से दूर रहने का नतीजा है। घर में रहे
तो इतनी हिमम्त नही हो सकती। दूसरे शहरों में मां बाप से दूर रह कर नौकरी
करते है। एक उम्र को बाद इच्छा होती है, पठ्ठे शादी नही करते, इधर उधर मुंह
मारते रहते है, कभी किस के साथ, कभी कहां। लिव इन रिलेशन का नाम दे देते
हैं।“
सुरेश – “सब की बातों से एक बात सपष्ट है, कि यदि विवाह के पवित्र बंधन में
बंधे तो इस लिव इन रिलेशन की बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।“
रमेश – “सबसे बडी बात है, औरत और मर्द को प्रकृत्या एक दूसरे की जरूरत होती
है। इसीलिए विवाह की परमपरा समाज में शुरू हुई। जब एक उम्र के बाद हम इसकी
अनदेखी करेगें, तो कुदरत उन्हे खुद बखुद इसके लिए मजबूर करती है। समाज की
नजरों से बचने के लिए लिव इन रिलेशन का नाम देते है।“
सुरेश – “विवाह के बजाए लिव इन रिलेशन में रहने का कारण एक यह है, कि विवाह
के बाद परिवार का दायित्व संभालना नही चाहते। बच्चों, उनकी परवरिश, दायित्व
नही चाहते। सिर्फ अकेले जीना चाहते है। सेक्स चाहते है, परिवार नही चाहते।“
आठवां व्यक्ति – “आप इस केस को देखे, लडकी गर्भवति होले के बाद बच्चा चाहती
थी, परिवार बनाना चाहती थी, इसलिए विवाह के लिए लडके को कहा, लेकिन ताली एक
हाथ से नही बजती। लडका नही चाहता था, छुटकारा पाने के लिए कत्ल कर दिया।“
नवां व्यक्ति – “यह बीमारी अमेरिका, यूरोप से आई है। वहां कभी एक के साथ,
तो कभी दूसरे के साथ। यह हिन्दुस्तान में फैलती जा रही है।“
सुरेश – “बीमारी कहां से आई, लेकिन खराब है। हम सब तो समझना चाहिए, कि
विवाह ही एक मात्र उत्तम तरीका और माध्यम है, प्रकृति का फल चखने के लिए।“
रमेश – “बच्चे जहां भी रहे, घर में, घर से दूर, सब को समझना चाहिए कि यह पल
दो पल का छणिक सुख नही है, कि लिव इन रिलेशन से पूरा किया जा सके। विवाह ही
एक मात्र माध्यम है। बच्चे बोझ नही, जरूरत है। व्यक्ति में समपूणता परिवार
के साथ आती है। पति, पत्नी को एक दूसरे का शारीरिक, मानसिक सहारा होता है,
सुख, दुख में साथ साथ रहते है, ये सब लिव इन रिलेशन में नही मिलती हैं।“
दसवां व्यक्ति – “तुम ठीक कहतो हो। लिव इन रिलेशन में सिर्फ पल भर का मजा
है, जिन्दगी का आनन्द नही है। परिवार में सुख, दुख, सबके साथ रहने, शेयर
करने में ही जीवन का आनन्द है। जो लिव इन रिलेशन में नही है।“
सैर के सभी साथियों ने हां में हां मिलाई। रमेश और सुरेश ने समाचार पत्र
लपेटा और भावुक भाव में घर के लिए रवाना हुए।
मनमोहन भाटिया