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उत्तरकाण्ड - दोहा ३१ से ४०

दोहा

यह प्रताप रबि जाकें उर जब करइ प्रकास ।

पछिले बाढ़हिं प्रथम जे कहे ते पावहिं नास ॥३१॥

चौपाला

भ्रातन्ह सहित रामु एक बारा । संग परम प्रिय पवनकुमारा ॥

सुंदर उपबन देखन गए । सब तरु कुसुमित पल्लव नए ॥

जानि समय सनकादिक आए । तेज पुंज गुन सील सुहाए ॥

ब्रह्मानंद सदा लयलीना । देखत बालक बहुकालीना ॥

रूप धरें जनु चारिउ बेदा । समदरसी मुनि बिगत बिभेदा ॥

आसा बसन ब्यसन यह तिन्हहीं । रघुपति चरित होइ तहँ सुनहीं ॥

तहाँ रहे सनकादि भवानी । जहँ घटसंभव मुनिबर ग्यानी ॥

राम कथा मुनिबर बहु बरनी । ग्यान जोनि पावक जिमि अरनी ॥

दोहा

देखि राम मुनि आवत हरषि दंडवत कीन्ह ।

स्वागत पूँछि पीत पट प्रभु बैठन कहँ दीन्ह ॥३२॥

चौपाला

कीन्ह दंडवत तीनिउँ भाई । सहित पवनसुत सुख अधिकाई ॥

मुनि रघुपति छबि अतुल बिलोकी । भए मगन मन सके न रोकी ॥

स्यामल गात सरोरुह लोचन । सुंदरता मंदिर भव मोचन ॥

एकटक रहे निमेष न लावहिं । प्रभु कर जोरें सीस नवावहिं ॥

तिन्ह कै दसा देखि रघुबीरा । स्त्रवत नयन जल पुलक सरीरा ॥

कर गहि प्रभु मुनिबर बैठारे । परम मनोहर बचन उचारे ॥

आजु धन्य मैं सुनहु मुनीसा । तुम्हरें दरस जाहिं अघ खीसा ॥

बड़े भाग पाइब सतसंगा । बिनहिं प्रयास होहिं भव भंगा ॥

दोहा

संत संग अपबर्ग कर कामी भव कर पंथ ।

कहहि संत कबि कोबिद श्रुति पुरान सदग्रंथ ॥३३॥

चौपाला

सुनि प्रभु बचन हरषि मुनि चारी । पुलकित तन अस्तुति अनुसारी ॥

जय भगवंत अनंत अनामय । अनघ अनेक एक करुनामय ॥

जय निर्गुन जय जय गुन सागर । सुख मंदिर सुंदर अति नागर ॥

जय इंदिरा रमन जय भूधर । अनुपम अज अनादि सोभाकर ॥

ग्यान निधान अमान मानप्रद । पावन सुजस पुरान बेद बद ॥

तग्य कृतग्य अग्यता भंजन । नाम अनेक अनाम निरंजन ॥

सर्ब सर्बगत सर्ब उरालय । बससि सदा हम कहुँ परिपालय ॥

द्वंद बिपति भव फंद बिभंजय । ह्रदि बसि राम काम मद गंजय ॥

दोहा

परमानंद कृपायतन मन परिपूरन काम ।

प्रेम भगति अनपायनी देहु हमहि श्रीराम ॥३४॥

चौपाला

देहु भगति रघुपति अति पावनि । त्रिबिध ताप भव दाप नसावनि ॥

प्रनत काम सुरधेनु कलपतरु । होइ प्रसन्न दीजै प्रभु यह बरु ॥

भव बारिधि कुंभज रघुनायक । सेवत सुलभ सकल सुख दायक ॥

मन संभव दारुन दुख दारय । दीनबंधु समता बिस्तारय ॥

आस त्रास इरिषादि निवारक । बिनय बिबेक बिरति बिस्तारक ॥

भूप मौलि मन मंडन धरनी । देहि भगति संसृति सरि तरनी ॥

मुनि मन मानस हंस निरंतर । चरन कमल बंदित अज संकर ॥

रघुकुल केतु सेतु श्रुति रच्छक । काल करम सुभाउ गुन भच्छक ॥

तारन तरन हरन सब दूषन । तुलसिदास प्रभु त्रिभुवन भूषन ॥

दोहा

बार बार अस्तुति करि प्रेम सहित सिरु नाइ ।

ब्रह्म भवन सनकादि गे अति अभीष्ट बर पाइ ॥३५॥

चौपाला

सनकादिक बिधि लोक सिधाए । भ्रातन्ह राम चरन सिरु नाए ॥

पूछत प्रभुहि सकल सकुचाहीं । चितवहिं सब मारुतसुत पाहीं ॥

सुनि चहहिं प्रभु मुख कै बानी । जो सुनि होइ सकल भ्रम हानी ॥

अंतरजामी प्रभु सभ जाना । बूझत कहहु काह हनुमाना ॥

जोरि पानि कह तब हनुमंता । सुनहु दीनदयाल भगवंता ॥

नाथ भरत कछु पूँछन चहहीं । प्रस्न करत मन सकुचत अहहीं ॥

तुम्ह जानहु कपि मोर सुभाऊ । भरतहि मोहि कछु अंतर काऊ ॥

सुनि प्रभु बचन भरत गहे चरना । सुनहु नाथ प्रनतारति हरना ॥

दोहा

नाथ न मोहि संदेह कछु सपनेहुँ सोक न मोह ।

केवल कृपा तुम्हारिहि कृपानंद संदोह ॥३६॥

चौपाला

करउँ कृपानिधि एक ढिठाई । मैं सेवक तुम्ह जन सुखदाई ॥

संतन्ह कै महिमा रघुराई । बहु बिधि बेद पुरानन्ह गाई ॥

श्रीमुख तुम्ह पुनि कीन्हि बड़ाई । तिन्ह पर प्रभुहि प्रीति अधिकाई ॥

सुना चहउँ प्रभु तिन्ह कर लच्छन । कृपासिंधु गुन ग्यान बिचच्छन ॥

संत असंत भेद बिलगाई । प्रनतपाल मोहि कहहु बुझाई ॥

संतन्ह के लच्छन सुनु भ्राता । अगनित श्रुति पुरान बिख्याता ॥

संत असंतन्हि कै असि करनी । जिमि कुठार चंदन आचरनी ॥

काटइ परसु मलय सुनु भाई । निज गुन देइ सुगंध बसाई ॥

दोहा

ताते सुर सीसन्ह चढ़त जग बल्लभ श्रीखंड ।

अनल दाहि पीटत घनहिं परसु बदन यह दंड ॥३७॥

चौपाला

बिषय अलंपट सील गुनाकर । पर दुख दुख सुख सुख देखे पर ॥

सम अभूतरिपु बिमद बिरागी । लोभामरष हरष भय त्यागी ॥

कोमलचित दीनन्ह पर दाया । मन बच क्रम मम भगति अमाया ॥

सबहि मानप्रद आपु अमानी । भरत प्रान सम मम ते प्रानी ॥

बिगत काम मम नाम परायन । सांति बिरति बिनती मुदितायन ॥

सीतलता सरलता मयत्री । द्विज पद प्रीति धर्म जनयत्री ॥

ए सब लच्छन बसहिं जासु उर । जानेहु तात संत संतत फुर ॥

सम दम नियम नीति नहिं डोलहिं । परुष बचन कबहूँ नहिं बोलहिं ॥

दोहा

निंदा अस्तुति उभय सम ममता मम पद कंज ।

ते सज्जन मम प्रानप्रिय गुन मंदिर सुख पुंज ॥३८॥

चौपाला

सनहु असंतन्ह केर सुभाऊ । भूलेहुँ संगति करिअ न काऊ ॥

तिन्ह कर संग सदा दुखदाई । जिमि कलपहि घालइ हरहाई ॥

खलन्ह हृदयँ अति ताप बिसेषी । जरहिं सदा पर संपति देखी ॥

जहँ कहुँ निंदा सुनहिं पराई । हरषहिं मनहुँ परी निधि पाई ॥

काम क्रोध मद लोभ परायन । निर्दय कपटी कुटिल मलायन ॥

बयरु अकारन सब काहू सों । जो कर हित अनहित ताहू सों ॥

झूठइ लेना झूठइ देना । झूठइ भोजन झूठ चबेना ॥

बोलहिं मधुर बचन जिमि मोरा । खाइ महा अति हृदय कठोरा ॥

दोहा

पर द्रोही पर दार रत पर धन पर अपबाद ।

ते नर पाँवर पापमय देह धरें मनुजाद ॥३९॥

चौपाला

लोभइ ओढ़न लोभइ डासन । सिस्त्रोदर पर जमपुर त्रास न ॥

काहू की जौं सुनहिं बड़ाई । स्वास लेहिं जनु जूड़ी आई ॥

जब काहू कै देखहिं बिपती । सुखी भए मानहुँ जग नृपती ॥

स्वारथ रत परिवार बिरोधी । लंपट काम लोभ अति क्रोधी ॥

मातु पिता गुर बिप्र न मानहिं । आपु गए अरु घालहिं आनहिं ॥

करहिं मोह बस द्रोह परावा । संत संग हरि कथा न भावा ॥

अवगुन सिंधु मंदमति कामी । बेद बिदूषक परधन स्वामी ॥

बिप्र द्रोह पर द्रोह बिसेषा । दंभ कपट जियँ धरें सुबेषा ॥

दोहा

ऐसे अधम मनुज खल कृतजुग त्रेता नाहिं ।

द्वापर कछुक बृंद बहु होइहहिं कलिजुग माहिं ॥४०॥

चौपाला

पर हित सरिस धर्म नहिं भाई । पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ॥

निर्नय सकल पुरान बेद कर । कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर ॥

नर सरीर धरि जे पर पीरा । करहिं ते सहहिं महा भव भीरा ॥

करहिं मोह बस नर अघ नाना । स्वारथ रत परलोक नसाना ॥

कालरूप तिन्ह कहँ मैं भ्राता । सुभ अरु असुभ कर्म फल दाता ॥

अस बिचारि जे परम सयाने । भजहिं मोहि संसृत दुख जाने ॥

त्यागहिं कर्म सुभासुभ दायक । भजहिं मोहि सुर नर मुनि नायक ॥

संत असंतन्ह के गुन भाषे । ते न परहिं भव जिन्ह लखि राखे ॥

रामचरितमानस

गोस्वामी तुलसीदास
Chapters
बालकाण्ड श्लोक बालकाण्ड दोहा १ से १० बालकाण्ड दोहा ११ से २० बालकाण्ड दोहा २१ से ३० बालकाण्ड दोहा ३१ से ४० बालकाण्ड दोहा ४१ से ५० बालकाण्ड दोहा ५१ से ६० बालकाण्ड दोहा ६१ से ७० बालकाण्ड दोहा ७१ से ८० बालकाण्ड दोहा ८१ से ९० बालकाण्ड दोहा ९१ से १०० बालकाण्ड दोहा १०१ से ११० बालकाण्ड दोहा १११ से १२० बालकाण्ड दोहा १२१ से १३० बालकाण्ड दोहा १३१ से १४० बालकाण्ड दोहा १४१ से १५० बालकाण्ड दोहा १५१ से १६० बालकाण्ड दोहा १६१ से १७० बालकाण्ड दोहा १७१ से १८० बालकाण्ड दोहा १८१ से १९० बालकाण्ड दोहा १९१ से २०० बालकाण्ड दोहा २०१ से २१० बालकाण्ड दोहा २११ से २२० बालकाण्ड दोहा २२१ से २३० बालकाण्ड दोहा २३१ से २४० बालकाण्ड दोहा २४१ से २५० बालकाण्ड दोहा २५१ से २६० बालकाण्ड दोहा २६१ से २७० बालकाण्ड दोहा २७१ से २८० बालकाण्ड दोहा २८१ से २९० बालकाण्ड दोहा २९१ से ३०० बालकाण्ड दोहा ३०१ से ३१० बालकाण्ड दोहा ३११ से ३२० बालकाण्ड दोहा ३२१ से ३३० बालकाण्ड दोहा ३३१ से ३४० बालकाण्ड दोहा ३४१ से ३५० बालकाण्ड दोहा ३५१ से ३६० अयोध्या काण्ड श्लोक अयोध्या काण्ड दोहा १ से १० अयोध्या काण्ड दोहा ११ से २० अयोध्या काण्ड दोहा २१ से ३० अयोध्या काण्ड दोहा ३१ से ४० अयोध्या काण्ड दोहा ४१ से ५० अयोध्या काण्ड दोहा ५१ से ६० अयोध्या काण्ड दोहा ६१ से ७० अयोध्या काण्ड दोहा ७१ से ८० अयोध्या काण्ड दोहा ८१ से ९० अयोध्या काण्ड दोहा ९१ से १०० अयोध्या काण्ड दोहा १०१ से ११० अयोध्या काण्ड दोहा १११ से १२० अयोध्या काण्ड दोहा १२१ से १३० अयोध्या काण्ड दोहा १३१ से १४० अयोध्या काण्ड दोहा १४१ से १५० अयोध्या काण्ड दोहा १५१ से १६० अयोध्या काण्ड दोहा १६१ से १७० अयोध्या काण्ड दोहा १७१ से १८० अयोध्या काण्ड दोहा १८१ से १९० अयोध्या काण्ड दोहा १९१ से २०० अयोध्या काण्ड दोहा २०१ से २१० अयोध्या काण्ड दोहा २११ से २२० अयोध्या काण्ड दोहा २२१ से २३० अयोध्या काण्ड दोहा २३१ से २४० अयोध्या काण्ड दोहा २४१ से २५० अयोध्या काण्ड दोहा २५१ से २६० अयोध्या काण्ड दोहा २६१ से २७० अयोध्या काण्ड दोहा २७१ से २८० अयोध्या काण्ड दोहा २८१ से २९० अयोध्या काण्ड दोहा २९१ से ३०० अयोध्या काण्ड दोहा ३०१ से ३१० अयोध्या काण्ड दोहा ३११ से ३२६ अरण्यकाण्ड श्लोक अरण्यकाण्ड दोहा १ से १० अरण्यकाण्ड दोहा ११ से २० अरण्यकाण्ड दोहा २१ से ३० अरण्यकाण्ड दोहा ३१ से ४० अरण्यकाण्ड दोहा ४१ से ४६ किष्किन्धाकाण्ड श्लोक किष्किन्धाकाण्ड दोहा १ से १० किष्किन्धाकाण्ड दोहा ११ से २० किष्किन्धाकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड श्लोक सुन्दरकाण्ड दोहा १ से १० सुन्दरकाण्ड दोहा ११ से २० सुन्दरकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड दोहा ३१ से ४० सुन्दरकाण्ड दोहा ४१ से ५० सुन्दरकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड श्लोक लंकाकाण्ड दोहा १ से १० लंकाकाण्ड दोहा ११ से २० लंकाकाण्ड दोहा २१ से ३० लंकाकाण्ड दोहा ३१ से ४० लंकाकाण्ड दोहा ४१ से ५० लंकाकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड दोहा ६१ से ७० लंकाकाण्ड दोहा ७१ से ८० लंकाकाण्ड दोहा ८१ से ९० लंकाकाण्ड दोहा ९१ से १०० लंकाकाण्ड दोहा १०१ से ११० लंकाकाण्ड दोहा १११ से १२१ उत्तरकाण्ड - श्लोक उत्तरकाण्ड - दोहा १ से १० उत्तरकाण्ड - दोहा ११ से २० उत्तरकाण्ड - दोहा २१ से ३० उत्तरकाण्ड - दोहा ३१ से ४० उत्तरकाण्ड - दोहा ४१ से ५० उत्तरकाण्ड - दोहा ५१ से ६० उत्तरकाण्ड - दोहा ६१ से ७० उत्तरकाण्ड - दोहा ७१ से ८० उत्तरकाण्ड - दोहा ८१ से ९० उत्तरकाण्ड - दोहा ९१ से १०० उत्तरकाण्ड - दोहा १०१ से ११० उत्तरकाण्ड - दोहा १११ से १२० उत्तरकाण्ड - दोहा १२१ से १३०