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अरण्यकाण्ड दोहा ४१ से ४६

दोहा

नाना बिधि बिनती करि प्रभु प्रसन्न जियँ जानि ।

नारद बोले बचन तब जोरि सरोरुह पानि ॥४१॥

चौपाला

सुनहु उदार सहज रघुनायक । सुंदर अगम सुगम बर दायक ॥

देहु एक बर मागउँ स्वामी । जद्यपि जानत अंतरजामी ॥

जानहु मुनि तुम्ह मोर सुभाऊ । जन सन कबहुँ कि करउँ दुराऊ ॥

कवन बस्तु असि प्रिय मोहि लागी । जो मुनिबर न सकहु तुम्ह मागी ॥

जन कहुँ कछु अदेय नहिं मोरें । अस बिस्वास तजहु जनि भोरें ॥

तब नारद बोले हरषाई । अस बर मागउँ करउँ ढिठाई ॥

जद्यपि प्रभु के नाम अनेका । श्रुति कह अधिक एक तें एका ॥

राम सकल नामन्ह ते अधिका । होउ नाथ अघ खग गन बधिका ॥

दोहा

राका रजनी भगति तव राम नाम सोइ सोम ।

अपर नाम उडगन बिमल बसुहुँ भगत उर ब्योम ॥४२ -क ॥

एवमस्तु मुनि सन कहेउ कृपासिंधु रघुनाथ ।

तब नारद मन हरष अति प्रभु पद नायउ माथ ॥४२ -ख ॥

चौपाला

अति प्रसन्न रघुनाथहि जानी । पुनि नारद बोले मृदु बानी ॥

राम जबहिं प्रेरेउ निज माया । मोहेहु मोहि सुनहु रघुराया ॥

तब बिबाह मैं चाहउँ कीन्हा । प्रभु केहि कारन करै न दीन्हा ॥

सुनु मुनि तोहि कहउँ सहरोसा । भजहिं जे मोहि तजि सकल भरोसा ॥

करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी । जिमि बालक राखइ महतारी ॥

गह सिसु बच्छ अनल अहि धाई । तहँ राखइ जननी अरगाई ॥

प्रौढ़ भएँ तेहि सुत पर माता । प्रीति करइ नहिं पाछिलि बाता ॥

मोरे प्रौढ़ तनय सम ग्यानी । बालक सुत सम दास अमानी ॥

जनहि मोर बल निज बल ताही । दुहु कहँ काम क्रोध रिपु आही ॥

यह बिचारि पंडित मोहि भजहीं । पाएहुँ ग्यान भगति नहिं तजहीं ॥

दोहा

काम क्रोध लोभादि मद प्रबल मोह कै धारि ।

तिन्ह महँ अति दारुन दुखद मायारूपी नारि ॥४३॥

चौपाला

सुनि मुनि कह पुरान श्रुति संता । मोह बिपिन कहुँ नारि बसंता ॥

जप तप नेम जलाश्रय झारी । होइ ग्रीषम सोषइ सब नारी ॥

काम क्रोध मद मत्सर भेका । इन्हहि हरषप्रद बरषा एका ॥

दुर्बासना कुमुद समुदाई । तिन्ह कहँ सरद सदा सुखदाई ॥

धर्म सकल सरसीरुह बृंदा । होइ हिम तिन्हहि दहइ सुख मंदा ॥

पुनि ममता जवास बहुताई । पलुहइ नारि सिसिर रितु पाई ॥

पाप उलूक निकर सुखकारी । नारि निबिड़ रजनी अँधिआरी ॥

बुधि बल सील सत्य सब मीना । बनसी सम त्रिय कहहिं प्रबीना ॥

दोहा

अवगुन मूल सूलप्रद प्रमदा सब दुख खानि ।

ताते कीन्ह निवारन मुनि मैं यह जियँ जानि ॥४४॥

चौपाला

सुनि रघुपति के बचन सुहाए । मुनि तन पुलक नयन भरि आए ॥

कहहु कवन प्रभु कै असि रीती । सेवक पर ममता अरु प्रीती ॥

जे न भजहिं अस प्रभु भ्रम त्यागी । ग्यान रंक नर मंद अभागी ॥

पुनि सादर बोले मुनि नारद । सुनहु राम बिग्यान बिसारद ॥

संतन्ह के लच्छन रघुबीरा । कहहु नाथ भव भंजन भीरा ॥

सुनु मुनि संतन्ह के गुन कहऊँ । जिन्ह ते मैं उन्ह कें बस रहऊँ ॥

षट बिकार जित अनघ अकामा । अचल अकिंचन सुचि सुखधामा ॥

अमितबोध अनीह मितभोगी । सत्यसार कबि कोबिद जोगी ॥

सावधान मानद मदहीना । धीर धर्म गति परम प्रबीना ॥

दोहा

गुनागार संसार दुख रहित बिगत संदेह ॥

तजि मम चरन सरोज प्रिय तिन्ह कहुँ देह न गेह ॥४५॥

चौपाला

निज गुन श्रवन सुनत सकुचाहीं । पर गुन सुनत अधिक हरषाहीं ॥

सम सीतल नहिं त्यागहिं नीती । सरल सुभाउ सबहिं सन प्रीती ॥

जप तप ब्रत दम संजम नेमा । गुरु गोबिंद बिप्र पद प्रेमा ॥

श्रद्धा छमा मयत्री दाया । मुदिता मम पद प्रीति अमाया ॥

बिरति बिबेक बिनय बिग्याना । बोध जथारथ बेद पुराना ॥

दंभ मान मद करहिं न काऊ । भूलि न देहिं कुमारग पाऊ ॥

गावहिं सुनहिं सदा मम लीला । हेतु रहित परहित रत सीला ॥

मुनि सुनु साधुन्ह के गुन जेते । कहि न सकहिं सारद श्रुति तेते ॥

छंद

कहि सक न सारद सेष नारद सुनत पद पंकज गहे ।

अस दीनबंधु कृपाल अपने भगत गुन निज मुख कहे ॥

सिरु नाह बारहिं बार चरनन्हि ब्रह्मपुर नारद गए ॥

ते धन्य तुलसीदास आस बिहाइ जे हरि रँग रँए ॥

दोहा

रावनारि जसु पावन गावहिं सुनहिं जे लोग ।

राम भगति दृढ़ पावहिं बिनु बिराग जप जोग ॥४६ -क ॥

दीप सिखा सम जुबति तन मन जनि होसि पतंग ।

भजहि राम तजि काम मद करहि सदा सतसंग ॥४६ -ख ॥

मासपारायण , बाईसवाँ विश्राम

इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने

तृतीयः सोपानः समाप्तः ।

- अरण्यकाण्ड समाप्त

रामचरितमानस

गोस्वामी तुलसीदास
Chapters
बालकाण्ड श्लोक बालकाण्ड दोहा १ से १० बालकाण्ड दोहा ११ से २० बालकाण्ड दोहा २१ से ३० बालकाण्ड दोहा ३१ से ४० बालकाण्ड दोहा ४१ से ५० बालकाण्ड दोहा ५१ से ६० बालकाण्ड दोहा ६१ से ७० बालकाण्ड दोहा ७१ से ८० बालकाण्ड दोहा ८१ से ९० बालकाण्ड दोहा ९१ से १०० बालकाण्ड दोहा १०१ से ११० बालकाण्ड दोहा १११ से १२० बालकाण्ड दोहा १२१ से १३० बालकाण्ड दोहा १३१ से १४० बालकाण्ड दोहा १४१ से १५० बालकाण्ड दोहा १५१ से १६० बालकाण्ड दोहा १६१ से १७० बालकाण्ड दोहा १७१ से १८० बालकाण्ड दोहा १८१ से १९० बालकाण्ड दोहा १९१ से २०० बालकाण्ड दोहा २०१ से २१० बालकाण्ड दोहा २११ से २२० बालकाण्ड दोहा २२१ से २३० बालकाण्ड दोहा २३१ से २४० बालकाण्ड दोहा २४१ से २५० बालकाण्ड दोहा २५१ से २६० बालकाण्ड दोहा २६१ से २७० बालकाण्ड दोहा २७१ से २८० बालकाण्ड दोहा २८१ से २९० बालकाण्ड दोहा २९१ से ३०० बालकाण्ड दोहा ३०१ से ३१० बालकाण्ड दोहा ३११ से ३२० बालकाण्ड दोहा ३२१ से ३३० बालकाण्ड दोहा ३३१ से ३४० बालकाण्ड दोहा ३४१ से ३५० बालकाण्ड दोहा ३५१ से ३६० अयोध्या काण्ड श्लोक अयोध्या काण्ड दोहा १ से १० अयोध्या काण्ड दोहा ११ से २० अयोध्या काण्ड दोहा २१ से ३० अयोध्या काण्ड दोहा ३१ से ४० अयोध्या काण्ड दोहा ४१ से ५० अयोध्या काण्ड दोहा ५१ से ६० अयोध्या काण्ड दोहा ६१ से ७० अयोध्या काण्ड दोहा ७१ से ८० अयोध्या काण्ड दोहा ८१ से ९० अयोध्या काण्ड दोहा ९१ से १०० अयोध्या काण्ड दोहा १०१ से ११० अयोध्या काण्ड दोहा १११ से १२० अयोध्या काण्ड दोहा १२१ से १३० अयोध्या काण्ड दोहा १३१ से १४० अयोध्या काण्ड दोहा १४१ से १५० अयोध्या काण्ड दोहा १५१ से १६० अयोध्या काण्ड दोहा १६१ से १७० अयोध्या काण्ड दोहा १७१ से १८० अयोध्या काण्ड दोहा १८१ से १९० अयोध्या काण्ड दोहा १९१ से २०० अयोध्या काण्ड दोहा २०१ से २१० अयोध्या काण्ड दोहा २११ से २२० अयोध्या काण्ड दोहा २२१ से २३० अयोध्या काण्ड दोहा २३१ से २४० अयोध्या काण्ड दोहा २४१ से २५० अयोध्या काण्ड दोहा २५१ से २६० अयोध्या काण्ड दोहा २६१ से २७० अयोध्या काण्ड दोहा २७१ से २८० अयोध्या काण्ड दोहा २८१ से २९० अयोध्या काण्ड दोहा २९१ से ३०० अयोध्या काण्ड दोहा ३०१ से ३१० अयोध्या काण्ड दोहा ३११ से ३२६ अरण्यकाण्ड श्लोक अरण्यकाण्ड दोहा १ से १० अरण्यकाण्ड दोहा ११ से २० अरण्यकाण्ड दोहा २१ से ३० अरण्यकाण्ड दोहा ३१ से ४० अरण्यकाण्ड दोहा ४१ से ४६ किष्किन्धाकाण्ड श्लोक किष्किन्धाकाण्ड दोहा १ से १० किष्किन्धाकाण्ड दोहा ११ से २० किष्किन्धाकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड श्लोक सुन्दरकाण्ड दोहा १ से १० सुन्दरकाण्ड दोहा ११ से २० सुन्दरकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड दोहा ३१ से ४० सुन्दरकाण्ड दोहा ४१ से ५० सुन्दरकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड श्लोक लंकाकाण्ड दोहा १ से १० लंकाकाण्ड दोहा ११ से २० लंकाकाण्ड दोहा २१ से ३० लंकाकाण्ड दोहा ३१ से ४० लंकाकाण्ड दोहा ४१ से ५० लंकाकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड दोहा ६१ से ७० लंकाकाण्ड दोहा ७१ से ८० लंकाकाण्ड दोहा ८१ से ९० लंकाकाण्ड दोहा ९१ से १०० लंकाकाण्ड दोहा १०१ से ११० लंकाकाण्ड दोहा १११ से १२१ उत्तरकाण्ड - श्लोक उत्तरकाण्ड - दोहा १ से १० उत्तरकाण्ड - दोहा ११ से २० उत्तरकाण्ड - दोहा २१ से ३० उत्तरकाण्ड - दोहा ३१ से ४० उत्तरकाण्ड - दोहा ४१ से ५० उत्तरकाण्ड - दोहा ५१ से ६० उत्तरकाण्ड - दोहा ६१ से ७० उत्तरकाण्ड - दोहा ७१ से ८० उत्तरकाण्ड - दोहा ८१ से ९० उत्तरकाण्ड - दोहा ९१ से १०० उत्तरकाण्ड - दोहा १०१ से ११० उत्तरकाण्ड - दोहा १११ से १२० उत्तरकाण्ड - दोहा १२१ से १३०