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बालकाण्ड दोहा ३०१ से ३१०

दोहा

तेहिं रथ रुचिर बसिष्ठ कहुँ हरषि चढ़ाइ नरेसु।
आपु चढ़ेउ स्पंदन सुमिरि हर गुर गौरि गनेसु ॥३०१॥

चौपाला
सहित बसिष्ठ सोह नृप कैसें । सुर गुर संग पुरंदर जैसें ॥
करि कुल रीति बेद बिधि राऊ । देखि सबहि सब भाँति बनाऊ ॥
सुमिरि रामु गुर आयसु पाई । चले महीपति संख बजाई ॥
हरषे बिबुध बिलोकि बराता । बरषहिं सुमन सुमंगल दाता ॥
भयउ कोलाहल हय गय गाजे । ब्योम बरात बाजने बाजे ॥
सुर नर नारि सुमंगल गाई । सरस राग बाजहिं सहनाई ॥
घंट घंटि धुनि बरनि न जाहीं । सरव करहिं पाइक फहराहीं ॥
करहिं बिदूषक कौतुक नाना । हास कुसल कल गान सुजाना ।

दोहा

तुरग नचावहिं कुँअर बर अकनि मृदंग निसान ॥
नागर नट चितवहिं चकित डगहिं न ताल बँधान ॥३०२॥

चौपाला
बनइ न बरनत बनी बराता । होहिं सगुन सुंदर सुभदाता ॥
चारा चाषु बाम दिसि लेई । मनहुँ सकल मंगल कहि देई ॥
दाहिन काग सुखेत सुहावा । नकुल दरसु सब काहूँ पावा ॥
सानुकूल बह त्रिबिध बयारी । सघट सवाल आव बर नारी ॥
लोवा फिरि फिरि दरसु देखावा । सुरभी सनमुख सिसुहि पिआवा ॥
मृगमाला फिरि दाहिनि आई । मंगल गन जनु दीन्हि देखाई ॥
छेमकरी कह छेम बिसेषी । स्यामा बाम सुतरु पर देखी ॥
सनमुख आयउ दधि अरु मीना । कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना ॥

दोहा

मंगलमय कल्यानमय अभिमत फल दातार।
जनु सब साचे होन हित भए सगुन एक बार ॥३०३॥

चौपाला
मंगल सगुन सुगम सब ताकें । सगुन ब्रह्म सुंदर सुत जाकें ॥
राम सरिस बरु दुलहिनि सीता । समधी दसरथु जनकु पुनीता ॥
सुनि अस ब्याहु सगुन सब नाचे । अब कीन्हे बिरंचि हम साँचे ॥
एहि बिधि कीन्ह बरात पयाना । हय गय गाजहिं हने निसाना ॥
आवत जानि भानुकुल केतू । सरितन्हि जनक बँधाए सेतू ॥
बीच बीच बर बास बनाए । सुरपुर सरिस संपदा छाए ॥
असन सयन बर बसन सुहाए । पावहिं सब निज निज मन भाए ॥
नित नूतन सुख लखि अनुकूले । सकल बरातिन्ह मंदिर भूले ॥

दोहा

आवत जानि बरात बर सुनि गहगहे निसान।
सजि गज रथ पदचर तुरग लेन चले अगवान ॥३०४॥

मासपारायण ,दसवाँ विश्राम

चौपाला
कनक कलस भरि कोपर थारा । भाजन ललित अनेक प्रकारा ॥
भरे सुधासम सब पकवाने । नाना भाँति न जाहिं बखाने ॥
फल अनेक बर बस्तु सुहाईं । हरषि भेंट हित भूप पठाईं ॥
भूषन बसन महामनि नाना । खग मृग हय गय बहुबिधि जाना ॥
मंगल सगुन सुगंध सुहाए । बहुत भाँति महिपाल पठाए ॥
दधि चिउरा उपहार अपारा । भरि भरि काँवरि चले कहारा ॥
अगवानन्ह जब दीखि बराता।उर आनंदु पुलक भर गाता ॥
देखि बनाव सहित अगवाना । मुदित बरातिन्ह हने निसाना ॥

दोहा

हरषि परसपर मिलन हित कछुक चले बगमेल।
जनु आनंद समुद्र दुइ मिलत बिहाइ सुबेल ॥३०५॥

चौपाला
बरषि सुमन सुर सुंदरि गावहिं । मुदित देव दुंदुभीं बजावहिं ॥
बस्तु सकल राखीं नृप आगें । बिनय कीन्ह तिन्ह अति अनुरागें ॥
प्रेम समेत रायँ सबु लीन्हा । भै बकसीस जाचकन्हि दीन्हा ॥
करि पूजा मान्यता बड़ाई । जनवासे कहुँ चले लवाई ॥
बसन बिचित्र पाँवड़े परहीं । देखि धनहु धन मदु परिहरहीं ॥
अति सुंदर दीन्हेउ जनवासा । जहँ सब कहुँ सब भाँति सुपासा ॥
जानी सियँ बरात पुर आई । कछु निज महिमा प्रगटि जनाई ॥
हृदयँ सुमिरि सब सिद्धि बोलाई । भूप पहुनई करन पठाई ॥

दोहा

सिधि सब सिय आयसु अकनि गईं जहाँ जनवास।
लिएँ संपदा सकल सुख सुरपुर भोग बिलास ॥३०६॥

चौपाला
निज निज बास बिलोकि बराती । सुर सुख सकल सुलभ सब भाँती ॥
बिभव भेद कछु कोउ न जाना । सकल जनक कर करहिं बखाना ॥
सिय महिमा रघुनायक जानी । हरषे हृदयँ हेतु पहिचानी ॥
पितु आगमनु सुनत दोउ भाई । हृदयँ न अति आनंदु अमाई ॥
सकुचन्ह कहि न सकत गुरु पाहीं । पितु दरसन लालचु मन माहीं ॥
बिस्वामित्र बिनय बड़ि देखी । उपजा उर संतोषु बिसेषी ॥
हरषि बंधु दोउ हृदयँ लगाए । पुलक अंग अंबक जल छाए ॥
चले जहाँ दसरथु जनवासे । मनहुँ सरोबर तकेउ पिआसे ॥

दोहा

भूप बिलोके जबहिं मुनि आवत सुतन्ह समेत।
उठे हरषि सुखसिंधु महुँ चले थाह सी लेत ॥३०७॥

चौपाला
मुनिहि दंडवत कीन्ह महीसा । बार बार पद रज धरि सीसा ॥
कौसिक राउ लिये उर लाई । कहि असीस पूछी कुसलाई ॥
पुनि दंडवत करत दोउ भाई । देखि नृपति उर सुखु न समाई ॥
सुत हियँ लाइ दुसह दुख मेटे । मृतक सरीर प्रान जनु भेंटे ॥
पुनि बसिष्ठ पद सिर तिन्ह नाए । प्रेम मुदित मुनिबर उर लाए ॥
बिप्र बृंद बंदे दुहुँ भाईं । मन भावती असीसें पाईं ॥
भरत सहानुज कीन्ह प्रनामा । लिए उठाइ लाइ उर रामा ॥
हरषे लखन देखि दोउ भ्राता । मिले प्रेम परिपूरित गाता ॥

दोहा

पुरजन परिजन जातिजन जाचक मंत्री मीत।
मिले जथाबिधि सबहि प्रभु परम कृपाल बिनीत ॥३०८॥

चौपाला
रामहि देखि बरात जुड़ानी । प्रीति कि रीति न जाति बखानी ॥
नृप समीप सोहहिं सुत चारी । जनु धन धरमादिक तनुधारी ॥
सुतन्ह समेत दसरथहि देखी । मुदित नगर नर नारि बिसेषी ॥
सुमन बरिसि सुर हनहिं निसाना । नाकनटीं नाचहिं करि गाना ॥
सतानंद अरु बिप्र सचिव गन । मागध सूत बिदुष बंदीजन ॥
सहित बरात राउ सनमाना । आयसु मागि फिरे अगवाना ॥
प्रथम बरात लगन तें आई । तातें पुर प्रमोदु अधिकाई ॥
ब्रह्मानंदु लोग सब लहहीं । बढ़हुँ दिवस निसि बिधि सन कहहीं ॥

दोहा

रामु सीय सोभा अवधि सुकृत अवधि दोउ राज।
जहँ जहँ पुरजन कहहिं अस मिलि नर नारि समाज ॥।३०९॥

चौपाला
जनक सुकृत मूरति बैदेही । दसरथ सुकृत रामु धरें देही ॥
इन्ह सम काँहु न सिव अवराधे । काहिँ न इन्ह समान फल लाधे ॥
इन्ह सम कोउ न भयउ जग माहीं । है नहिं कतहूँ होनेउ नाहीं ॥
हम सब सकल सुकृत कै रासी । भए जग जनमि जनकपुर बासी ॥
जिन्ह जानकी राम छबि देखी । को सुकृती हम सरिस बिसेषी ॥
पुनि देखब रघुबीर बिआहू । लेब भली बिधि लोचन लाहू ॥
कहहिं परसपर कोकिलबयनीं । एहि बिआहँ बड़ लाभु सुनयनीं ॥
बड़ें भाग बिधि बात बनाई । नयन अतिथि होइहहिं दोउ भाई ॥

दोहा

बारहिं बार सनेह बस जनक बोलाउब सीय।
लेन आइहहिं बंधु दोउ कोटि काम कमनीय ॥३१०॥

चौपाला
बिबिध भाँति होइहि पहुनाई । प्रिय न काहि अस सासुर माई ॥
तब तब राम लखनहि निहारी । होइहहिं सब पुर लोग सुखारी ॥
सखि जस राम लखनकर जोटा । तैसेइ भूप संग दुइ ढोटा ॥
स्याम गौर सब अंग सुहाए । ते सब कहहिं देखि जे आए ॥
कहा एक मैं आजु निहारे । जनु बिरंचि निज हाथ सँवारे ॥
भरतु रामही की अनुहारी । सहसा लखि न सकहिं नर नारी ॥
लखनु सत्रुसूदनु एकरूपा । नख सिख ते सब अंग अनूपा ॥
मन भावहिं मुख बरनि न जाहीं । उपमा कहुँ त्रिभुवन कोउ नाहीं ॥

छंद

उपमा न कोउ कह दास तुलसी कतहुँ कबि कोबिद कहैं।
बल बिनय बिद्या सील सोभा सिंधु इन्ह से एइ अहैं ॥
पुर नारि सकल पसारि अंचल बिधिहि बचन सुनावहीं ॥
ब्याहिअहुँ चारिउ भाइ एहिं पुर हम सुमंगल गावहीं ॥

रामचरितमानस

गोस्वामी तुलसीदास
Chapters
बालकाण्ड श्लोक बालकाण्ड दोहा १ से १० बालकाण्ड दोहा ११ से २० बालकाण्ड दोहा २१ से ३० बालकाण्ड दोहा ३१ से ४० बालकाण्ड दोहा ४१ से ५० बालकाण्ड दोहा ५१ से ६० बालकाण्ड दोहा ६१ से ७० बालकाण्ड दोहा ७१ से ८० बालकाण्ड दोहा ८१ से ९० बालकाण्ड दोहा ९१ से १०० बालकाण्ड दोहा १०१ से ११० बालकाण्ड दोहा १११ से १२० बालकाण्ड दोहा १२१ से १३० बालकाण्ड दोहा १३१ से १४० बालकाण्ड दोहा १४१ से १५० बालकाण्ड दोहा १५१ से १६० बालकाण्ड दोहा १६१ से १७० बालकाण्ड दोहा १७१ से १८० बालकाण्ड दोहा १८१ से १९० बालकाण्ड दोहा १९१ से २०० बालकाण्ड दोहा २०१ से २१० बालकाण्ड दोहा २११ से २२० बालकाण्ड दोहा २२१ से २३० बालकाण्ड दोहा २३१ से २४० बालकाण्ड दोहा २४१ से २५० बालकाण्ड दोहा २५१ से २६० बालकाण्ड दोहा २६१ से २७० बालकाण्ड दोहा २७१ से २८० बालकाण्ड दोहा २८१ से २९० बालकाण्ड दोहा २९१ से ३०० बालकाण्ड दोहा ३०१ से ३१० बालकाण्ड दोहा ३११ से ३२० बालकाण्ड दोहा ३२१ से ३३० बालकाण्ड दोहा ३३१ से ३४० बालकाण्ड दोहा ३४१ से ३५० बालकाण्ड दोहा ३५१ से ३६० अयोध्या काण्ड श्लोक अयोध्या काण्ड दोहा १ से १० अयोध्या काण्ड दोहा ११ से २० अयोध्या काण्ड दोहा २१ से ३० अयोध्या काण्ड दोहा ३१ से ४० अयोध्या काण्ड दोहा ४१ से ५० अयोध्या काण्ड दोहा ५१ से ६० अयोध्या काण्ड दोहा ६१ से ७० अयोध्या काण्ड दोहा ७१ से ८० अयोध्या काण्ड दोहा ८१ से ९० अयोध्या काण्ड दोहा ९१ से १०० अयोध्या काण्ड दोहा १०१ से ११० अयोध्या काण्ड दोहा १११ से १२० अयोध्या काण्ड दोहा १२१ से १३० अयोध्या काण्ड दोहा १३१ से १४० अयोध्या काण्ड दोहा १४१ से १५० अयोध्या काण्ड दोहा १५१ से १६० अयोध्या काण्ड दोहा १६१ से १७० अयोध्या काण्ड दोहा १७१ से १८० अयोध्या काण्ड दोहा १८१ से १९० अयोध्या काण्ड दोहा १९१ से २०० अयोध्या काण्ड दोहा २०१ से २१० अयोध्या काण्ड दोहा २११ से २२० अयोध्या काण्ड दोहा २२१ से २३० अयोध्या काण्ड दोहा २३१ से २४० अयोध्या काण्ड दोहा २४१ से २५० अयोध्या काण्ड दोहा २५१ से २६० अयोध्या काण्ड दोहा २६१ से २७० अयोध्या काण्ड दोहा २७१ से २८० अयोध्या काण्ड दोहा २८१ से २९० अयोध्या काण्ड दोहा २९१ से ३०० अयोध्या काण्ड दोहा ३०१ से ३१० अयोध्या काण्ड दोहा ३११ से ३२६ अरण्यकाण्ड श्लोक अरण्यकाण्ड दोहा १ से १० अरण्यकाण्ड दोहा ११ से २० अरण्यकाण्ड दोहा २१ से ३० अरण्यकाण्ड दोहा ३१ से ४० अरण्यकाण्ड दोहा ४१ से ४६ किष्किन्धाकाण्ड श्लोक किष्किन्धाकाण्ड दोहा १ से १० किष्किन्धाकाण्ड दोहा ११ से २० किष्किन्धाकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड श्लोक सुन्दरकाण्ड दोहा १ से १० सुन्दरकाण्ड दोहा ११ से २० सुन्दरकाण्ड दोहा २१ से ३० सुन्दरकाण्ड दोहा ३१ से ४० सुन्दरकाण्ड दोहा ४१ से ५० सुन्दरकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड श्लोक लंकाकाण्ड दोहा १ से १० लंकाकाण्ड दोहा ११ से २० लंकाकाण्ड दोहा २१ से ३० लंकाकाण्ड दोहा ३१ से ४० लंकाकाण्ड दोहा ४१ से ५० लंकाकाण्ड दोहा ५१ से ६० लंकाकाण्ड दोहा ६१ से ७० लंकाकाण्ड दोहा ७१ से ८० लंकाकाण्ड दोहा ८१ से ९० लंकाकाण्ड दोहा ९१ से १०० लंकाकाण्ड दोहा १०१ से ११० लंकाकाण्ड दोहा १११ से १२१ उत्तरकाण्ड - श्लोक उत्तरकाण्ड - दोहा १ से १० उत्तरकाण्ड - दोहा ११ से २० उत्तरकाण्ड - दोहा २१ से ३० उत्तरकाण्ड - दोहा ३१ से ४० उत्तरकाण्ड - दोहा ४१ से ५० उत्तरकाण्ड - दोहा ५१ से ६० उत्तरकाण्ड - दोहा ६१ से ७० उत्तरकाण्ड - दोहा ७१ से ८० उत्तरकाण्ड - दोहा ८१ से ९० उत्तरकाण्ड - दोहा ९१ से १०० उत्तरकाण्ड - दोहा १०१ से ११० उत्तरकाण्ड - दोहा १११ से १२० उत्तरकाण्ड - दोहा १२१ से १३०