कविता १०
न मिल पाया वो, तो गिला क्या किस्मत से करे ?
गलत राहों पे मुड जाना फितरत में मेरी शामिल है !
गलत राहों पे मुड जाना फितरत में मेरी शामिल है !
इंतज़ार में पथरायी नज़रों से कैसे रोके होंगे अश्क अपने ?
तब्बसुम में छुपे उसके दर्द को न समझ पाना कमजोरियों में मेरी शामिल है !