कविता २
पैरों में बांध के बेडी सखी, रख दो चाभी कहीं पे सखी,
सजन को न तुम बताना सखी, छुपा देना मुझे तुम सखी,
बलम से कहना अभी तो अधूरा है सावन सखी,
बाकी हैं पड़ने डालो पे झूले सखी,
न रूठ जाएँ वो मुझसे सखी,
कुछ ऐसे न उनसे तुम बोलना सखी,
प्रेम स्वरुप ये फूल उन्हें तुम देना सखी,
न मुरझाये उनसे ये कहना सखी |
सजन को न तुम बताना सखी, छुपा देना मुझे तुम सखी,
बलम से कहना अभी तो अधूरा है सावन सखी,
बाकी हैं पड़ने डालो पे झूले सखी,
न रूठ जाएँ वो मुझसे सखी,
कुछ ऐसे न उनसे तुम बोलना सखी,
प्रेम स्वरुप ये फूल उन्हें तुम देना सखी,
न मुरझाये उनसे ये कहना सखी |