कविता ३
एक बार मुस्कुरा देते तो यूँ ही मर जाते,
मर जाने कि यूँ मेरे लिए दुआ तो न करते,
खुद लड़ जाते खुदा से खातिर तेरी,
खुद कम से कम यूँ काफ़िर तो न बनते |
मर जाने कि यूँ मेरे लिए दुआ तो न करते,
खुद लड़ जाते खुदा से खातिर तेरी,
खुद कम से कम यूँ काफ़िर तो न बनते |