कविता ७
नैनों में छुपी वो चुप्पी मुझसे बोलती है,
वो बातें जो तुम होठों पे अपने ला नहीं पाती ! जो छुपा है एक भंवर असमंजस का हृदय में,
चाह कर जिसे तुम दबा नहीं पाती !
वो बातें जो तुम होठों पे अपने ला नहीं पाती ! जो छुपा है एक भंवर असमंजस का हृदय में,
चाह कर जिसे तुम दबा नहीं पाती !