संत गेर्मैन
क्या कोई इंसान हमेशा जीवित रह सकता है ? ऐसा कई लोगों का एक एतिहासिक इंसान काउंट दे संत –गेर्मैन के बारे में कहना है | उसके जन्म के बारे में कुछ भी साफ़ नहीं है | कुछ लेखों में उसका जन्म १६०० के आख़िरी सालों में बताया गया है और कुछ कहते हैं की वह जेसू के समय से जिंदा है | वह इतिहास में कई बार सामने आ चुका है – यहाँ तक की हाल ही १९७० के दशक में – और हमेशा ४५ साल का ही दिखता है |
वह यूरोपियन इतिहास के कई मशहूर लोगों के पहचान में थे जिनमें शामिल हैं कैसानोवा , मेडम दे पम्पदौर ,वोल्तैर , राजा लुइस XV, काथेरीन द ग्रेट ,अन्तोन मेस्मेर , जॉर्ज वाशिंगटन और और भी कई | उसे कई मनोगत आंदोलनों और षड्यंत्र के सिद्धांत से भी जोड़ा गया है।
कौन था वो रहस्यमयी आदमी ? क्या उसके अमर होने की कहानियां सिर्फ कथा और लोककथाएं हैं ? या ये संभव है की उसे अमरता का रहस्य पता चल गया था ?
संत गेर्मैन के जनम की तारिख अनजान है , हालाँकि काफी जगहों पर लिखा है की वह १६९० में पैदा हुआ था | एनी बेसेंट द्वारा अपनी सह लिखित पुस्तक “ द कोम्टे दे संत गेर्मैन” में संकलित एक वंशावली में बताया गया की उनका जन्म १६९० में ट्रांस्य्ल्वानिया के राजकुमार के पुत्र फ़्रन्कोइस राकोच्ज़ी II के रूप में हुआ था | जो बात हमें पता है वो ये है की वो एक निपुण कीमियागर थे मतलब
बाहरी ज़िंदगी !
इतना ही काफी नहीं था , काउंट को अमरता का रहस्य भी पता चल गया था ! १७४० और १७८० के बीच में संत गेर्मैन जो उस वक़्त काफी लोकप्रिय थे ने यूरोप का खूब भ्रमण किया – और उस सारे वक़्त में उनकी उम्र आगे नहीं बड़ी |
उनसे मिलने वाले लोग उनकी नीचे लिखी क्षमताओं और विशेषताओं से हैरान थे :
वह 12 भाषाएँ बोल सकते थे
वह बेहतरीन वायलिन बजा सकते थे
वह बहुत गुणी चित्रकार थे |
वह जहाँ भी सफ़र करते थे अपनी कार्यशाला स्थापित कर लेते थे , शायद अपने किमियागरी के काम के लिए |
वह बहुत आमिर थे , जबकि उनके पास कोई बैंक अकाउंट नहीं थे ( अगर ये पैसा उनके पास धातू को सोने में बदलने से था तो वह ये करतब श्रोताओं के लिए नहीं करते थे |
वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ खाना खाते थे क्यूंकि उन्हें अपने दोस्तों का साथ अच्छा लगता था , लेकिन वह कभी सार्वजानिक तौर पर खाना नहीं खाते थे | ऐसा कहा जाता था की वह ओटमील खाते थे खाने में |
वह चेहरे की झुरियां हटाने और बाल काले करने के तरीके बताते थे |
उन्हें रत्न बहुत पसंद थे और उनके काफी कपडे – जिनमें जूते भी शामिल थे – उनसे जड़े हुए थे |
उन्हें रत्नों को रंगने की तकनीक आती थी |
उनका दावा था की वह कई छोटे हीरों को मिला एक बड़ा हीरा बना सकते हैं | वह ये कहते थे की वह मोतियों को काफी बड़ा बना सकते हैं |
उन्हें कई गुप्त संस्थानों से जोड़ा जाता है जिनमें शामिल हैं रोसीक्रुसींस, फ्रीमेसंस, एशियाटिक ब्रदर्स के सोसायटी, लाइट के शूरवीरों, प्रबुद्ध और टेम्पलर के आदेश।
आधिकारिक मौत के बाद दर्शन !
आधिकारिक तौर पर संत गेर्मैन की मौत १७८४ में हो गयी थी लेकिन जब आपका नाम अमर काउंट हो तो मौत का दिन एक बुरे दिन की तरह होता है | उनको १९ और २० शताब्दी में देखा गया |
१७८५ में उन्हें जर्मनी में अग्रणी सम्मोहनकार अन्तोन मेस्मेर के साथ देखा गया (कुछ लोगों का मानना है की सनित गेर्मैन ने ही मेस्मेर को सम्मोहन और व्यक्तिगत चुंबकत्व की कला सिखाई थी) | फ्रीमसोंरी के दस्तावेजों में उन्होनें १७८५ में संत गेर्मैन को एक सम्मलेन के लिए प्रतिनिधि चुना था |
१७८९ में फ्रेंच क्रांति में बस्तिल्ले के गिरने के बाद, कोम्तेस द अधेमर ने बताया की उनकी काउंट दे संत गेर्मैन के साथ विस्तृत बात हुई थी | उन्होनें उसको फ्रांस के भविष्य के बारे में बताया जैसे उसे मालूम था की आगे क्या होने वाला था | १८२१ में उन्होनें लिखा "हैरानी की बात है की मेने फिर संत गेर्मैन को देखा | इससे पहले मेने उन्हें ब्रुमैरे की १८ तारीख को रानी अन्तोनिनेती के खून के वक़्त देखा था , जनवरी १८१५ में डयूक द एन्घिएन की मौत के बाद वाले दिन और ड्यूक दे बेर्री की मौत के एक रात पहले भी देखा था" आख़री बार उन्होनें उनको १८२० में देखा और हर भर वह ४० की मध्य उम्र के लग रहे थे |
१८ शताब्दी के दार्शनिक वोल्तैरे ने काउंट सत गेर्मैन के बारे में उनका कहना है की वो “ एक ऐसा आदमी जो कभी नहीं मरता और जो सब जानता है”
ये सच है के नहीं, सिर्फ इतिहास बता सकता है |
कोम्टे दे संत गेर्मैन और रिचर्ड चंफ्रे वो आदमी है जिसने १९७० में काउंट होने का दावा किया | चंफ्रय टेलीविज़न पर अपने दावे के साथ पेश हुआ और उसने लेड को सोने में बदल कर दिखाया | चंफ्रे ने १९८३ में ख़ुदकुशी करली थी , लेकिन अब ऐसे दावे उठ रहे हैं की शव नहीं मिला था सिर्फ एक ख़ुदकुशी पत्र था !