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परिशिष्ट ४ 1

(त्रिपिटक ग्रंथ)

त्रिपिटक हा पालिभाषेंतील मुख्य ग्रंथ होय. हा महाभारत ग्रंथाच्या तिप्पटीनें मोठा आहे. म्हणजे याची ग्रंथसंख्या सरासरी ३ लक्ष आहे. सुत्तपिटक, विनयपिटक आणि अधिधम्मपिटक असे याचे मुख्य तीन भेद आहेत. त्यांचे पोटभेद खालींदिल्या प्रमाणे:-

सुत्तपिटक

१. दीघनिकाय
२. मज्झिमनिका
३. संयुक्तनिकाय
४. अंगुत्तरनिकाय
५. खुद्दकनिकाय

सुत्तपिटकाचे हे पांच मुख्य भाग. यांपैकी खुद्दकनिका याचे पुन: १५ पोटविभाग आहेत. ते हे:-
१. खुद्दकपाठ
२. धम्मपद
३. उदान
४. इतिवृत्तक
५. सुत्तनिपात
६. विमानवत्थु
७. पेतवत्थु
८. थेरगाथा
९. थेरीगाथा
१०. जातक
११. निद्देस
१२. पटिसंभिदामग्ग
१३. अपदान
१४. वुद्धवंस
१५. चरियापिटक

विनयपिटकाचे पांच भाग आहेत. ते हे:-

१. पाराजिका
२. पाचितियादि
३. महावग्ग
४. चुल्लवग्ग
५. परिवारपाठ

बुद्ध व बुद्धधर्म

धर्मानंद कोसंबी
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