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चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12

आज के दरबारे-आम की बैठक भी उसी ढंग की है जैसा कि हम दरबारे-खास के बारे में बयान कर चुके हैं, अगर फर्क है तो सिर्फ इतना ही है कि दरबारे-खास में बैठने वाले लोगों के बाद उन रईसों, अमीरों और अफसरों तथा ऐथारों को दर्जे-बदर्जे जगह मिली है जो आज के दरबार में शरीक हुए हैं और आदमी भी बहुत ज्यादे इकट्ठे हुए हैं मगर आवाज के खयाल से पूरा-पूरा सन्नाटा छाया हुआ है। गुलशोर की तो दूर रही किसी की मजाल नहीं कि बिना मर्जी के चुटकी भी बजा सके। इसके अतिरिक्त नंगी तलवार लिए रुआबदार फौजी सिपाहियों के पहरे का इन्तजाम भी बहुत ही मुनासिब और खूबसूरती के साथ किया गया है और बाहर के आये हुए मेहमान भी बड़ी दिलचस्पी के साथ बलभद्रसिंह और भूतनाथ का मुकद्दमा सुनने के लिए तैयार हैं।

नकटा दारोगा, जैपाल, बेगम, नौरतन और जमालो के हाजिर होने के बाद तेजसिंह ने कल के दरबार में भूतनाथ की पेश की हुई चीठियां, अंगूठी और छोटी किताब राजा गोपालसिंह को दे दी और राजा गोपालसिंह ने इस खयाल से कि कल के और परसों के मामले से भी सभी को आगाही हो जानी चाहिए, जो कुछ पिछले दो दिन के दरबारे-खास में हुआ था रणधीरसिंह की तरफ देखकर बयान किया और इसके बाद कहा, “आज भी वे दोनों नकाबपोश इस दरबार में हाजिर हैं जिन्हें हम लोग ताज्जुब की निगाहों से देख रहे हैं और नहीं जानते कि कौन हैं, कहां के रहने वाले हैं, या इन मामलों से इन्हें क्या सम्बन्ध है जिसके लिए इन दोनों ने यहां आने और मुकद्दमे में शरीक होने का कष्ट स्वीकार किया है। फिर भी जब तक ये दोनों अपने को प्रकट न करें हम लोगों को इनका हाल जानने के लिए उद्योग न करना चाहिए और देखना चाहिए कि इनकी कार्रवाइयों और बातों का असर कम्बख्त मुजरिमों पर कैसा पड़ता है।”

यह कहकर गोपालसिंह ने वह अंगूठी, चीठियां और छोटी किताब नकाबपोश के आगे रख दीं।

इस दरबारे-आम वाले मकान में भी ऐसी जगह बनी हुई थी जहां से रानी चन्द्रकान्ता और किशोरी, कामिनी, लक्ष्मीदेवी, कमलिनी वगैरह भी यहां की कैफियत देख-सुन सकती थीं, इसलिए समझ रखना चाहिए कि वे सब भी दरबार के मामले को देख-सुन रही हैं।

उन दोनों में से एक नकाबपोश ने भूतनाथ के पेश किये हुए कागजों में से एक कागज उठा लिया और खड़े होकर इस तरह कहना शुरू किया –

“निःसन्देह आप लोग हम दोनों को ताज्जुब की निगाह से देखते होंगे और यह भी जानने की इच्छा रखते होंगे कि हम लोग कौन और कहां के रहने वाले हैं, मगर अफसोस है कि इस समय इस बारे में हम इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते कि हम लोग ईश्वर के दूत हैं और इन दुष्टों के अच्छे-बुरे कर्मों को अच्छी तरह जानते हैं। यह जैपाल अर्थात् नकली बलभद्रसिंह चाहता है कि अपने साथ भूतनाथ को भी ले डूबे, मगर इसे समझ रखना चाहिए कि भूतनाथ हजार बुरा होने पर भी इज्जत और कदर की निगाह से देखे जाने के लायक है। अगर भूतनाथ न होता तो यह जैपाल इस समय असली बलभद्रसिंह बनकर न मालूम और भी कैसे-कैसे अनर्थ करता और असली बलभद्रसिंह की जान न जाने किस तकलीफ के साथ निकलती। अगर भूतनाथ न होता तो आज का यह आलीशान दरबार भी हम लोगों के लिए न होता और राजा गोपालसिंह भी इस तरह बैठे हुए दिखाई न देते, क्योंकि भूतनाथ की ही बदौलत दारोगा की गुप्त कमेटी का अन्त हुआ और इसी की बदौलत कमलिनी भी मायारानी के साथ मुकाबला करने लायक हुई। अगर भूतनाथ ने दो काम बुरे किये हैं तो दस काम अच्छे भी किये हैं, जो आप लोगों से छिपे नहीं हैं। भूतनाथ के अनूठे कामों का बदला यह नहीं हो सकता कि उसे किसी तरह की सजा मिले बल्कि यही हो सकता है कि उसे मुंहमांगा इनाम मिले। आशा है कि मेरी इस बात को महाराज खुले दिल से स्वीकार भी करेंगे।”

इतना करकर नकाबपोश चुप हो गया और महाराज की तरफ देखने लगा। महाराज का इशारा पाकर तेजसिंह ने कहा, “महाराज आपकी इस बात को प्रसन्नता के साथ स्वीकार करते हैं।”

इतना सुनते ही भूतनाथ ने खड़े होकर सलाम किया और नकाबपोश ने भी सलाम करके पुनः इस तरह कहना शुरू किया - “बहुतों को ताज्जुब होगा कि जैपाल जब बलभद्रसिंह बन ही चुका था तो इतने दिनों तक कहां और क्योंकर छिपा रहा, लक्ष्मीदेवी या कमलिनी से मिला क्यों नहीं और इसी तरह से भूतनाथ भी जब जानता था कि बलभद्रसिंह कौन और कहां है तो उसने इस बात को इतने दिनों तक छिपा क्यों रक्खा इसका जवाब मैं इस तरह देता हूं कि अगर भूतनाथ कमलिनी का ऐयार बना हुआ न होता तो यह नकली बलभद्रसिंह अर्थात् जैपाल जिसे भूतनाथ मरा हुआ समझे बैठा था, कभी का प्रकट हो चुका होता, मगर भूतनाथ का डर इसे हद से ज्यादे था और यह चाहता था कि कोई ऐसा जरिया हाथ लग जाय जिससे भूतनाथ इसके सामने सिर उठाने लायक न रहे, और तब यह प्रकट होकर अपने को बलभद्रसिंह के नाम से मशहूर करे। आखिर ऐसा ही हुआ अर्थात् वह छोटी सन्दूकड़ी जिसकी तरफ देखने की भी ताकत भूतनाथ में नहीं है इसके हाथ लग गई और वह कागज का मुट्ठा भी इसे मिल गया जो भूतनाथ के हाथ का लिखा हुआ था। अपनी इस बात के सबूत में मैं इस (हाथ की चिट्ठी दिखाकर) चिट्ठी को जो आज के बहुत दिन पहिले की लिखी हुई है, पढ़कर सुनाऊंगा!”

इतना कहकर उसने चिट्ठी पढ़ना शुरू किया जिसमें यह लिखा हुआ था –

“प्यारी बेगम,

वह सन्दूकड़ी तो मेरे हाथ लग गई जो भूतनाथ को बस में करने के लिए जादू का असर रखती है मगर भूतनाथ तथा उसके आदमी बेतरह मेरे पीछे पड़े हुए हैं। ताज्जुब नहीं कि मैं गिरफ्तार हो जाऊं, इसलिए यह सन्दूकड़ी तुम्हारे पास भेजता हूं, तुम इसे हिफाजत के साथ रखना। मैं भूतनाथ को धोखा देने का बन्दोबस्त कर रहा हूं। अगर मैं अपना काम पूरा कर सका तो निःसन्देह भूतनाथ को विश्वास हो जायेगा कि जैपाल मर गया। उस समय मैं तुम्हारे पास आकर अपनी खुशी का तमाशा दिखाऊंगा। मुझे इस बात का पता भी लग चुका है कि वह कागज की गठरी उसकी स्त्री के सन्दूक में है जिसका जिक्र मैं कई दफे तुमसे कर चुका हूं और जिसके मिले बिना मैं अपने को बलभद्रसिंह बनाकर प्रकट नहीं कर सकता।

- वही जैपाल”

पढ़ने के बाद नकाबपोश ने वह चिट्ठी गोपालसिंह के आगे फेंक दी और बेगम की तरफ देखके पूछा, “तुझे याद है कि यह चिट्ठी किस महीने में जैपाल ने तेरे पास भेजी थी?'

बेगम - बहुत दिन की बात हो गई इसलिए मुझे महीना और दिन तो याद नहीं।

नकाब - (जैपाल से) क्या तुझे याद है कि यह चिट्ठी तूने किस महीने में लिखी थी?

जैपाल - वह चिट्ठी मेरे हाथ की लिखी हुई होती तो मैं तेरी बात का जवाब देता।

नकाब - तो यह बेगम क्या कह रही है?

जैपाल - तू ही जाने कि तेरी बेगम क्या कह रही है मैं तो उसे पहिचानता भी नहीं!

इतना सुनते ही नकाबपोश को गुस्सा चढ़ आया। उसने अपने चेहरे से नकाब हटाकर गुस्से-भरी निगाहों से जैपाल की तरफ देखा जिसकी ताज्जुब-भरी निगाहें पहिले ही से उसकी तरफ जम रही थीं, और इसके बाद तुरत अपना चेहरा ढांप लिया।

न मालूम उस नकाबपोश की सूरत में क्या बात थी कि उसे देखते ही जैपाल की सूरत बिगड़ गई और वह कांपता तथा नकाबपोश की तरफ देखता हुआ अपने हथकड़ी सहित हाथों को जोड़कर बोला, “बस-बस माफ कीजिए, बेशक यह चिट्ठी मेरे हाथ की लिखी हुई है! ओफ, मैं जानता था कि तुम अभी जीते हो, मैं तुम्हारी तरफ देखना नहीं चाहता हूं!”

इतना कहकर जैपाल ने दोनों हाथों से अपनी आंखें ढंक लीं और लम्बी-लम्बी सांसें लेने लगा।

इस नकाबपोश की सूरत पर सभों की तो नहीं मगर बहुतों की निगाह पड़ी। हमारे राजा साहब, ऐयार लोग, गोपालसिंह, इन्द्रदेव और भूतनाथ वगैरह ने भी इसे देखा मगर पहिचाना किसी ने भी नहीं, क्योंकि इन लोगों में से किसी ने भी आज के पहिले इसे देखा न था। इसके अतिरिक्त पहिले दिन दरबार में नकाबपोश की जो सूरत दिखाई दी थी उसमें और आज की सूरत में जमीन-आसमान का अन्तर था। इस विषय में लोगों ने यह खयाल कर लिया कि पहिले दिन एक नकाबपोश ने सूरत दिखाई थी और आज दूसरे ने, क्योंकि नकाब और पोशाक इत्यादि के खयाल से जाहिर में दोनों नकाबपोश एक ही रंग के थे।

इन नकाबपोशों की तरफ से भूतनाथ का दिल तरददुद और खुटके से खाली न था। पहिले दिन उस नकाबपोश की जो सूरत भूतनाथ ने देखी उसे उसने अपने दिल में अच्छी तरह नक्शा कर लिया था - बल्कि एक कागज पर उसकी सूरत (तस्वीर) भी बनाकर तैयार कर ली थी और आज भी इसी नीयत से उसकी सूरत के विषय में बारीक निगाह से भूतनाथ ने काम लिया मगर ताज्जुब कर रहा था कि ये दोनों कौन हैं जो बेवजह मेरी मदद कर रहे हैं और ये गुप्त बातें इन दोनों को कैसे मालूम हुईं।

थोड़ी देर तक नकाबपोश चुप रहा और इसके बाद उसने राजा साहब की तरफ देखके कहा, “महाराज देखते हैं कि मैं इस मुकद्दमे की गुत्थी को किस तरह सुलझा रहा हूं और जैपाल के दिल पर मेरी सूरत का क्या असर पड़ा, अस्तु मैं इसी जगह एक और भी गुप्त बात की तरफ इशारा किया चाहता हूं जिसका हाल शायद अभी तक भूतनाथ को भी मालूम न होगा। वह यह है कि मनोरमा इस (बेगम की तरफ बताकर) बेगम की मौसेरी बहिन है और भूतनाथ की गुप्त सहेली नन्हों से गहरी मुहब्बत रखती है। यही सबब है कि भूतनाथ के घर से यह गठरी गायब हुई और जैपाल ने भी प्रकट होने के साथ ही लामाघाटी की तरफ इशारा करके भूतनाथ को काबू में कर लिया। इस बात को महाराज तो न जानते होंगे मगर भूतनाथ को इन्कार करने की जगह अब नहीं तो दो दिन बाद न रहेगी।'

नकाबपोश की इस बात ने भूतनाथ को चौंका दिया और उसने घबड़ाकर नकाबपोश से कहा, “क्या यह बात आप पूरी तरह से समझ-बूझकर कह रहे हैं'

नकाब - हां, और यह बात तुम्हारे ही सबब से पैदा हुई थी जिसके सबूत में मैं यह पुर्जा पेश करता हूं।

इतना कहकर नकाबपोश ने अपने जेब में से एक पुर्जा निकालकर पढ़ा और फिर राजा गोपालसिंह के सामने फेंक दिया। उसमें लिखा हुआ था –

“प्यारी नन्हों,

अब तो उन्होंने अपना नाम भी बदल दिया। तुम्हें पता लगाना हो तो 'भूतनाथ' के नाम से पता लगा लेना और मुझे भी चांद वाले दिन गौहर के यहां देखना जो शेर की लड़की है।

- करौंदा की छैंये-छैंये”

इस चिट्ठी ने भूतनाथ को परेशान कर दिया और उसने खड़े होकर कहा, “बस-बस, मुझे आपके कहने का विश्वास हो गया और बहुत-सी पुरानी बातों का पता भी लग गया।”

नकाबपोश - मैं इस बारे में और भी बहुत-सी बातें कहूंगा मगर अभी नहीं, जब समय तथा बातों का सिलसिला आ जायगा तब। मैं यह तो ठीक-ठीक नहीं कह सकता कि तुम्हारी स्त्री तुमसे दुश्मनी रखती है या वह इस बात को जानती है कि नन्हों और बेगम की मुहब्बत है मगर इतना जरूर कहूंगा कि तुमने अपनी स्त्री को गौहर के यहां जाने की इजाजत देकर अपने पैर में आप कुल्हाड़ी मार ली। मुझे इन बातों के कहने की कोई जरूरत नहीं थी मगर इस खयाल से बात निकल आई कि तुम भी अपनी गठरी के चोरी जाने का सबब जान जाओ। (तेजसिंह की तरफ देखकर) औरों को क्या कहा जाय, भूतनाथ ऐसे चालाक ऐयार लोग भी औरतों के मामले में चूक ही जाते हैं।

इसी समय बेगम उद्योग करके उठ खड़ी हुई और महाराज की तरफ देखकर जोर से बोली, “दोहाई महाराज की! इन नकाबपोश का यह कहना कि नन्हों नाम की किसी औरत से मुझसे दोस्ती है बिल्कुल झूठ है। इसका कोई सबूत नकाबपोश साहब नहीं दे सकते। मैं तो जानती भी नहीं कि नन्हों किस चिड़िया का नाम है। असल तो यह है कि यह केवल भूतनाथ की मदद करने आए हैं और झूठ-सच बोलकर अपना काम निकालना चाहते हैं। अगर सरकार उस सन्दूकड़ी को खोलें तो सारी कलई खुल जाय।”

बेगम की बात सुनकर दोनों नकाबपोश गुस्से में आ गये। दूसरा नकाबपोश जो बैठा था उठ खड़ा हुआ और अपने चेहरे की एक झलक लापरवाही के साथ बेगम को दिखाकर क्रोध-भरी आवाज में बोला, “क्या ये सब बातें झूठ हैं!”

इस दूसरे नकाबपोश ने अपनी सूरत दिखाने की नीयत से अपनी नकाब को दम-भर के लिए इस तरह हटाया जिससे लोगों को गुमान हो सकता था कि धोखे में नकाब खिसक गई, मगर होशियार और ऐयार लोग समझ गये कि इसने जान-बूझके अपनी सूरत दिखाई है। यद्यपि इसके चेहरे पर केवल तेजसिंह, देवीसिंह, गोपालसिंह, भूतनाथ, जैपाल और बेगम की निगाह पड़ी थी, मगर इस दूसरे नकाबपोश के चेहरे पर निगाह पड़ते ही बेगम यह कहकर चिल्ला उठी - “आह तू कहां! क्या नन्हों भी गई!!”

बस इससे ज्यादे और कुछ न कह सकी, एक दफे कांपकर बेहोश हो गई और जैपाल भी जमीन पर गिरकर बेहोश हो गया, अतएव मुकद्दमे की कार्रवाई रोक देनी पड़ी।

भूतनाथ तथा हमारे ऐयारों को विश्वास था कि यह दूसरा नकाबपोश वही होगा जिसने पहिले दिन सूरत दिखलाई थी, मगर ऐसा न था। उस सूरत और इस सूरत में जमीन-आसमान का फर्क था, अतएव सभों ने निश्चय कर लिया कि वह कोई दूसरा था और यह कोई और है।

इस सूरत को भी भूतनाथ पहिचानता न था। उसके ताज्जुब का हद न रहा और उसने निश्चय कर लिया कि आज इनकी खबर जरूर ली जायगी और यही कैफियत हमारे ऐयारों की भी थी।

कैदी पुनः कैदखाने में भेज दिये गये, दोनों नकाबपोश बिदा हुए और दरबार बर्खास्त किया गया।

चंद्रकांता संतति

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 16 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 8