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चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9

लक्ष्मीदेवी, कमलिनी, लाडिली और नकली बलभद्रसिंह को लिये हुए इन्द्रदेव अपने गुप्त स्थान पर पहुंच गये। दोपहर का समय है। एक सजे हुए कमरे के अन्दर ऊंची गद्दी के ऊपर इन्द्रदेव बैठे हुए हैं, पास ही में एक दूसरी गद्दी बिछी हुई है जिस पर लक्ष्मीदेवी, कमलिनी और लाडिली बैठी हुई हैं, उनके सामने हथकड़ी-बेड़ी और रस्सियों से जकड़ा हुआ नकली बलभद्रसिंह बैठा है, और उसके पीछे हाथ में नंगी तलवार लिए इन्द्रदेव का ऐयार सर्यूसिंह खड़ा है।

नकली बलभद्र - (इन्द्रदेव से) जिस समय मुझसे और भूतनाथ से मुलाकात हुई थी उस समय भूतनाथ की क्या दशा हुई सो स्वयं तेजसिंह देख चुके हैं। अगर भूतनाथ सच्चा होता तो मुझसे क्यों डरता। मगर बड़े अफसोस की बात है कि राजा वीरेन्द्रसिंह ने कृष्णा जिन्न के कहने से भूतनाथ को छोड़ दिया और जिस सन्दूकड़ी को मैंने पेश किया था उसे न खोला, वह खुलती तो भूतनाथ का बाकी भेद छिपा न रहता।

इन्द्रदेव - जो हो, मैं राजा साहब की बातों में दखल नहीं दे सकता, मगर इतना कह सकता हूं कि भूतनाथ ने चाहे तुम्हारे साथ हद से ज्यादे बुराई की हो मगर लक्ष्मीदेवी के साथ कोई बुराई नहीं की थी, इसके अतिरिक्त छोड़ दिये जाने पर भी भूतनाथ भागने का उद्योग नहीं करता और समय पड़ने पर हम लोगों का साथ देता है।

नकली बलभद्र - अगर भूतनाथ आप लोगों का काम न करे तो आप लोग उस पर दया न करेंगे यही समझकर वह...।

इन्द्रदेव - (चिढ़कर) ये सब वाहियात बातें हैं, मैं तुमसे बकवास करना पसन्द नहीं करता, तुम यह बताओ कि तुम जैपाल हो या नहीं।

नकली बलभद्र - मैं वास्तव में बलभद्रसिंह हूं।

इन्द्र - (क्रोध के साथ) अब भी तू झूठ बोलने से बाज नहीं आता, मालूम होता है कि तेरी मौत आ चुकी है, अच्छा देख मैं तुझे किस दुर्दशा के साथ मारता हूं! (सर्यूसिंह से) तुम पहिले इसकी दाहिनी आंख उंगली डालकर निकाल लो।

नकली बलभद्र - (लक्ष्मीदेवी से) देखो तुम्हारे बाप की क्या दुर्दशा हो रही है!

लक्ष्मी - मुझे अब अच्छी तरह से निश्चय हो गया कि तू हमारा बाप नहीं है। आज जब मैं पुरानी बातों को याद करती हूं तो तेरी और दारोगा की बेईमानी साफ मालूम हो जाती है। सबसे पहिले जिस दिन तू कैदखाने में मुझसे मिला था उसी दिन मुझे तुम पर शक था मगर तेरी इस बात पर कि 'जहरीली दवा के कारण मेरा बदन खराब हो गया है' मैं धोखे में आ गई थी।

नकली बलभद्र - और यह मोढ़े पर वाला निशान?

लक्ष्मी - यह भी बनावटी है, अच्छा अगर तू मेरा बाप है तो मेरी एक बात का जवाब दे।

नकली बलभद्र - पूछो।

लक्ष्मी - जिन दिनों मेरी शादी होने वाली थी और जमानिया जाने के लिए मैं पालकी पर सवार होने लगी थी तब मेरी क्या दुर्दशा हुई थी और मैं किस ढंग से पालकी पर बैठाई गई थी?

नकली बलभद्र - (कुछ सोचकर) अब इतनी पुरानी बात तो मुझे याद नहीं है मगर मैं सच कहता हूं कि मैं ही बलभद्र...।

इन्द्रदेव - (क्रोध से सर्यूसिंह से) बस अब विलम्ब करने की आवश्यकता नहीं।

इतना सुनते ही सर्यूसिंह ने धक्का देकर नकली बलभद्रसिंह को गिरा दिया और औजार डालकर उसकी दाहिनी आंख निकाल ली। नकली बलभद्रसिंह जिसे अब हम जैपाल के ही नाम से लिखेंगे दर्द से तड़पने लगा और बोला, “अफसोस मेरे हाथ-पैर बंधे हुए हैं, अगर खुले होते तो मैं इस बेदर्दी का मजा चखा देता!”

इन्द्रदेव - अभी अफसोस क्या करता है, थोड़ी देर में तेरी दूसरी आंख भी निकाली जायेगी और उसके बाद तेरा एक-एक अंग काटकर अलग किया जायगा! (सर्यूसिंह से) हां सर्यूसिंह, अब इसकी दूसरी आंख भी निकाल लो और इसके बाद दोनों पैर काट डालो।

जैपाल - (चिल्लाकर) नहीं-नहीं, जरा ठहरो, मैं तुम्हें बलभद्रसिंह का सच्चा हाल बताता हूं।

इन्द्रदेव - अच्छा बताओ।

जैपाल - पहिले मेरी आंख में कोई दवा लगाओ जिसमें दर्द कम हो जाय। तब मैं तुमसे सब हाल कहूंगा।

इन्द्रदेव - ऐसा नहीं हो सकता, बताना हो तो जल्द बता नहीं तो तेरी दूसरी आंख भी निकाल ली जायगी।

जैपाल - अच्छा मैं अभी बताता हूं। दारोगा ने उसे अपने बंगले में कैद कर रक्खा था, मगर अफसोस, मायारानी ने उस बंगले को बारूद के जोर से उड़ा दिया, उम्मीद है कि उसी में उस बेचारे की हड्डी-पसली भी उड़ गई होगी।

इन्द्रदेव - (सर्यूसिंह से) सर्यूसिंह, यह हरामजादा अपनी बदमाशी से बाज न आवेगा, अस्तु तुम एक काम करो, इसकी जो आंख तुमने निकाली है उसके गड़हे में पिसी हुई लाल मिर्च भर दो।

इतना सुनते ही जैपाल चिल्ला उठा और हाथ जोड़कर बोला –

जैपाल - माफ करो, माफ करो, अब मैं झूठ न बोलूंगा, मुझे जरा दम ले लेने दो, जो कुछ हाल है मैं सच-सच कह दूंगा, इस तरह तड़प-तड़पकर जान देना मुझे मंजूर नहीं। मुझे क्या पड़ी है जो दारोगा का पक्ष करके इस तरह अपनी जान दूं, कभी नहीं, अब मैं तुमसे झूठ नहीं बोलूंगा।

इन्द्रदेव - अच्छ-अच्छा, दम ले-ले, कोई चिन्ता नहीं, जब तू बलभद्रसिंह का हाल बताने को तैयार ही है तो मैं तुझे क्यों सताने लगा।

जैपाल - (कुछ ठहरकर) इसमें कोई शक नहीं कि बलभद्रसिंह अभी तक जीता है और इन्दिरा तथा इन्दिरा की मां के विषय में भी आशा करता हूं कि जीती होंगी।

इन्द्रदेव - बलभद्रसिंह के जीते रहने का तो तुझे निश्चय है मगर इन्दिरा और उसकी मां के बारे में 'आशा है' से क्या मतलब है?

जैपाल - इन्दिरा और इन्दिरा की मां को दारोगा ने तिलिस्म में बन्द करना चाहा था, उस समय न मालूम किस ढंग से इन्दिरा तो छूटकर निकल गई मगर उसकी मां जमानिया तिलिस्म के चौथे दर्जे में कैद कर दी गई, इसी से उसके बारे में निश्चय रूप से नहीं कह सकता, मगर बलभद्रसिंह अभी तक जमानिया में उस मकान के अन्दर कैद है जिसमें दारोगा रहता था। यदि आप मुझे छुट्टी दें या मेरे साथ चलें तो मैं उसे बाहर निकाल दूं या आप खुद जाकर जिस ढंग से चाहें, उसे छुड़ा लें।

इन्द्रदेव - मुझे तेरी यह बात भी सच नहीं जान पड़ती।

जैपाल - नहीं-नहीं, अबकी दफे मैंने सच ही सच बता दिया है।

इन्द्रदेव - यदि मैं वहां जाऊं और बलभद्रसिंह न मिले तो!

जैपाल - मिलने न मिलने से मुझे कोई मतलब नहीं, क्योंकि उस मकान में से ढूंढ़ निकालना आपका काम है, अगर आप ही पता लगाने में कसर कर जायेंगे तो मेरा क्या कसूर! हां एक बात और है, इधर थोड़े दिन के अन्दर दारोगा ने किसी दूसरी जगह उन्हें रख दिया हो तो मैं नहीं जानता मगर दारोगा का रोजनामचा यदि आपको मिल जाये और उसे पढ़ सकें तो बलभद्रसिंह के छूटने में कुछ कसर न रहे।

इन्द्रदेव - क्या दारोगा रोजनामचा बराबर लिखा करता था?

जैपाल - जी हां, वह अपना रत्ती-रत्ती हाल रोजनामचे में लिखा करता था।

इन्द्रदेव - वह रोजनामचा क्योंकर मिलेगा?

जैपाल - जमानिया के पक्के घाट के ऊपर ही एक तेली रहता है, उसका मकान बहुत बड़ा है और दारोगा की बदौलत वह भी अमीर हो गया है। उसका नाम भी जैपाल है और उसी के पास दारोगा का रोजनामचा है, यदि आप उससे ले सकें तो अच्छी बात है नहीं तो कहिये मैं उसके नाम की एक चिट्ठी लिख दूंगा।

इन्द्रदेव - (कुछ सोचकर) बेशक तुझे उसके नाम की एक चिट्ठी लिख देनी होगी, मगर इतना याद रखियो के यदि तेरी बात झूठ निकली तो मैं बड़ी दुर्दशा के साथ तेरी जान लूंगा!

जैपाल - और अगर सच निकली तो क्या मैं छोड़ दिया जाऊंगा?

इन्द्रदेव - (मुस्कुराकर) हां अगर तेरी मदद से बलभद्रसिंह को हम पा जायेंगे तो तेरी जान छोड़ दी जाएगी मगर तेरे दोनों पैर काट डाले जायेंगे और तेरी दूसरी आंख भी बेकाम कर दी जायेगी।

जैपाल - सो क्यों?

इन्द्रदेव - इसलिए कि तू फिर किसी काम लायक न रहे और न किसी के साथ बुराई कर सके।

जैपाल - फिर मुझे खाने को कौन देगा?

इन्द्रदेव - मैं दूंगा।

जैपाल - खैर जैसी मर्जी आपकी। मुझे स्वीकार है, मगर इस समय तो मेरी आंख में कोई दवा डालिये नहीं तो मैं मर जाऊंगा।

इन्द्रदेव - हां-हां, तेरी आंख का इलाज भी किया जायगा, मगर पहिले तू उस तेली के नाम की चिट्ठी लिख दे।

जैपाल - अच्छा मैं लिख देता हूं, हाथ खोलकर कलम-दवात, कागज मेरे आगे रक्खो।

यद्यपि आंख की तकलीफ बहुत ज्यादे थी मगर जैपाल भी बड़े ही कड़े दिल का आदमी था। उसका एक हाथ खोल दिया गया, कलम-दवात-कागज उसके सामने रक्खा गया, और उसने जैपाल तेली के नाम एक चिट्ठी लिखकर उसकी निशानी कर दी। चिट्ठी में यह लिखा हुआ था –

“मेरे प्यारे जैपाल चक्री,

दारोगा बाबा वाला रोजनामचा इन्हें दे देना, नहीं तो मेरी और दारोगा की जान न बचेगी। हम दोनों आदमी इन्हीं के कब्जे में हैं।”

इन्द्रदेव ने वह चिट्ठी लेकर अपने जेब में रक्खी और सर्यूसिंह को जैपाल को दूसरी कोठरी में ले जाकर कैद करने का हुक्म दिया तथा जैपाल की आंख में दवा लगाने के लिए भी कहा। धूर्तराज जैपाल ने निःसन्देह इन्द्रदेव को धोखा दिया, उसने जो तेली के नाम चिट्ठी लिखकर दी उसके पढ़ने से दोनों मतलब निकलते हैं। “हम दोनों आदमी इन्हीं के कब्जे में हैं” ये ही शब्द इन्द्रदेव को फंसाने के लिए काफी थे, अस्तु देखा चाहिए वहां जाने पर इन्द्रदेव की क्या हालत होती है।

लक्ष्मीदेवी, कमलिनी और लाडिली को हर तरह से समझा-बुझाकर दूसरे दिन प्रातःकाल इन्द्रदेव जमानिया की तरफ रवाना हुए।

चंद्रकांता संतति

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 13 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 14 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 15 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 4 / भाग 16 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 16 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 17 / बयान 17 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 18 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 19 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 5 / भाग 20 / बयान 15 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 21 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 13 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 22 / बयान 14 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 8 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 9 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 10 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 11 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 23 / बयान 12 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 1 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 2 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 3 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 4 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 5 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 6 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 7 चंद्रकांता संतति / खंड 6 / भाग 24 / बयान 8