पाँव उठ सकते नहीं मंज़िले-जानाँ के ख़िलाफ़
पाँव उठ सकते नहीं मंज़िले -जानाँ के ख़िलाफ़
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं
हुस्न से इश्क़ जुदा है न जुदा इश्क़ से हुस्न
कौन-सी शै है जो आग़ोश-दर-आग़ोश नहीं
पाँव उठ सकते नहीं मंज़िले -जानाँ के ख़िलाफ़
और अगर होश की पूछो तो मुझे होश नहीं
हुस्न से इश्क़ जुदा है न जुदा इश्क़ से हुस्न
कौन-सी शै है जो आग़ोश-दर-आग़ोश नहीं