शांति क्षमा वसे देहीं देव...
शांति क्षमा वसे देहीं देव पैसे । चित्त समरसें मुक्त मेळु ॥ १ ॥
निर्गुणें उपरमु देव पुरुषोत्तमु । प्रकृति संगमु चेतनेचा ॥ २ ॥
सज्ञानीं दिवटा अज्ञानी तो पैठा । निवृत्तीच्या तटा नेतु भक्ता ॥ ३ ॥
मुक्ताई दिवस अवघा ह्रषीकेश । केशवेंविण वास शून्य पैसे ॥ ४ ॥