उसकी मुस्कराहट
उसकी मुस्कराहट
जिंदगी का हर एशो-ओ-आराम वार दू
तेरी मुस्कराहट पर ।
दुनिया की हर आवाज को भुला दू
तेरी एक आहट पर ।
हरा दरख़्त ,
जैसे उजड़े चमन में ।
और उस दरख़्त पर
सुमन के खिलने की आहट ।
बस वो ही है तेरी मुस्कराहट ।
जेठ की दुपहरी में झुलसता बदन ,
ऐसे में सावन की ठंडी पुरवाई ।
मेरे दिल में था गहरा अँधेरा तन्हाई का ,
उसमे तुम उजाले की किरण बन आई ।
अकेले बरसो गुजारे घनगोर जंगल में ,
फिर किसी इन्सान की सुगबुगाहट ।
बस इस वीरान दिल को ,
ऐसी ही लगती है तेरी मुस्कराहट ।
****