मेरी मन्जिल
मेरी मन्जिल
क्यों ढूंढता हु मै
दुनिया में खुशिया ।
जो मेरे अन्दर छुपी है
क्यों ढूंढता हु मै दुनिया में ?
झूठी है मोहब्बत
इस दुनिया में
सच है तो बस ये रास्ते
और मेरी मंजिल ।
क्यों उलझा हु मै
इस "आधी दुनिया " में
मेरी तलाश तो है
पूरी दुनिया मेरी मंजिल ।
ना रुकुंगा मै
किसी के इंतजार में ।
मै बड़ाउंगा हर कदम
जोश और जुनून से
इन रास्तो पर, जो जाते है
मेरी मंजिल की और ।
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