मोहब्बत और मर्दे अश्क
मोहब्बत और मर्दे अश्क
आँखों में मर्दे अश्क
रात भर रोता हु ।
दिल में खयाल उसका
गमें गहराई में खोता हु ।
गुनाह पूछो मुज से मेरा
मोहब्बत ! बेपनाह मोहब्बत ।
हा उन्हें मोहब्बत हमारी
रास ना आई ।
बस तभी से सह रहे हैं
दर्दे बेवफाई ।
मगर मोहब्बत मेरी
कच्चा धागा नहीं ।
कर के तोड़ दिया जाये
वो वादा नहीं ।
लाख करे वो बेवफाई
हम तो उसी पे मरेंगे ।
अगर गुनाह है मोहब्बत
तो हम ये गुनाह हजार बार करेंगे ।।।
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