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स्वस्थिति

बैसोनि निवांत करीन चिंतन । काया वाचा मनसहित देवा ॥१॥

नामाचा आठव हेचि सोपे वर्म । अवघे कर्माकर्म पारुषती ॥२॥

यापरतें साधन आन कांहीं नेणें । अखंड वाचें म्हणे रामकृष्ण ॥३॥

सुलभ हा मंत्र तारक जीवासी । येणें भवासी उतार होय ॥४॥

चोखा म्हणे मज सांगितलें कानीं । राम कृष्ण वाणीं जप सदा ॥५॥

संत चोखामेळा - अभंग संग्रह २

संत चोखामेळा
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अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अभंग अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत स्वस्थिति. स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति लावणीक ११६ वी फुढिल भाग