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स्वस्थिति

आतां कासया हा दाखवितां खेळ । म्यां तंव सकळ जाणितला ॥१॥

जेथें ब्रह्मादिक वेडे पिसे झाले । न कळे वहिलें तयांलागीं ॥२॥

कोणासी हा पार न कळे तुमचा । काय बोलों वाचा कीर्ति तुमची ॥३॥

चोखा म्हणे तुमचा अविट हा खेळ । भुललें सकळ ब्रह्मांडचि ॥४॥

संत चोखामेळा - अभंग संग्रह २

संत चोखामेळा
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अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अभंग अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत स्वस्थिति. स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति लावणीक ११६ वी फुढिल भाग