Get it on Google Play
Download on the App Store

अद्वैत

उपजले विटाळीं मेले ते विटाळीं । राहिले विटाळीं तेही जाती ॥१॥

रडती पडती तेही वेगे मरती । परि नाम न गाती भुली भ्रमें ॥२॥

कायरे हा देह सुखाचा तयासी । उघडाचि जासी अंतकाळीं ॥३॥

चोखा म्हणे याचा न धरीं भरंवसा । अंतीं यम फांसा गळां पडे ॥४॥

संत चोखामेळा - अभंग संग्रह २

संत चोखामेळा
Chapters
अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अभंग अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत स्वस्थिति. स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति लावणीक ११६ वी फुढिल भाग