Get it on Google Play
Download on the App Store

अद्वैत

पंचही भूतांचा एकचि विटाळ । अवघाचि मेळ जगीं नांदे ॥१॥

तेथें तो सोंवळा वोंवळा तो कोण । विटाळाचें कारण देह मूळ ॥२॥

आदिअंतीं अवघा विटाळ संचला । सोंवळा तो झाला कोण न कळे ॥३॥

चोखा म्हणे मज नवल वाटतें । विटाळ परतें आहे कोण ॥४॥

संत चोखामेळा - अभंग संग्रह २

संत चोखामेळा
Chapters
अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत अभंग अद्वैत अद्वैत अद्वैत अद्वैत स्वस्थिति. स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति स्वस्थिति लावणीक ११६ वी फुढिल भाग