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स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि

चिकित्सा-

    कायफल को कूटकर और छानकर उसमें बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें। इस चूर्ण को स्त्री के ऋतुस्नान (मासिकधर्म के समाप्त होने वाले दिन) के बाद अर्थात चौथे, पांचवें, छठे और सातवें दिन 50 ग्राम की मात्रा में खाने और फिर आठवें दिन से सोलहवें दिन तक पुरुष के साथ संभोग करने से गर्भ ठहर जाता है।
    नागकेसर को कूटकर और छानकर बछड़े वाली गाय के दूध के साथ लेने से गर्भ ठहर जाता है।
    असगंध में गर्भधारण कराने की ताकत बहुत ज्यादा होती है इसलिए स्त्री द्वारा इसको सेवन करने से बाद पति के साथ संभोग करने से गर्भ ठहर जाता है।
    हींग के पेड़ के बीज का सेवन करने से स्त्री का गर्भ ठहर जाता है।
    रजस्वला स्त्री (मासिकधर्म के आने वाली स्त्री) अगर बरगद की जड़ को गाय के घी में मिलाकर सेवन करती है तो उसके गर्भ ठहर जाता है।
    पारस पीपल के बीज को सफेद जीरे के साथ मिलाकर ऋतु स्नान (मासिकस्राव समाप्त होने के बाद) के बाद दूध के साथ सेवन करने से गर्भ ठहर जाता है।
    शिवलिंगी के बीज को जीरे के साथ मिलाकर ऋतु स्नान (मासिकस्राव समाप्त होने के बाद) के बाद दूध के साथ लेने से स्त्री का गर्भ ठहर जाता है।
    रोजाना लगभग 50 ग्राम अजवायन को 5-6 महीने तक सेवन करने से बांझ स्त्री के भी गर्भ ठहर जाता है।
    मासिकस्राव के शुरुआती 3 दिनों में पारस पीपल के बीजों को पीसकर चीनी और घी के साथ मिलाकर खाने से स्त्री को गर्भ ठहर जाता है।
    सुदर्शन की जड़ और लक्ष्मणा की जड़ को पीसकर घी और दूध में मिलाकर मासिकस्राव के पहले तीन दिनों में पीने से बांझ स्त्री को भी पुत्र की प्राप्ति होती है।
    तुलसी के बीजों का काढ़ा बनाकर मासिकस्राव के शुरुआती तीन दिनों में पीने से बांझ स्त्री भी गर्भवती हो जाती है।
    सोंठ, छोटी पीपल, कालीमिर्च और नागकेसर को बराबर की मात्रा में लेकर और एकसाथ मिलाकर कूटकर और छानकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से लगभग 10 ग्राम चूर्ण को गाय के घी के साथ मासिकस्राव के आठवें दिन सुबह के समय अगर स्त्री खाकर रात को पति के साथ संभोग क्रिया करती है तो वह गर्भवती हो जाती है।
    मासिकस्राव समाप्त होने के बाद असगंध को दूध में पकाकर और घी के साथ मिलाकर स्त्री द्वारा सुबह पीकर रात के समय पति के साथ संभोग करने से गर्भ ठहर जाता है।

बंद मासिकधर्म को शुरू करने के लिए कुछ औषधियां-

    पीपल, मुलहठी, कालीमिर्च, ब्रह्मदंडी और तिल की जड़ को एकसाथ मिलाकर और कूटकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से बंद मासिकधर्म खुलकर आने लगता है।
    कमल की जड़ को पीसकर खाने से बंद मासिकधर्म खुल जाता है।
    250-250 ग्राम गाजर के बीज, मूली के बीज और मेथी के बीजों को एकसाथ मिलाकर कूटकर और पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ लेने से 2-3 महीनें में ही रुका हुआ मासिकधर्म दुबारा से आना शुरू हो जाता है।
    गोखरू और काले तिल को 10-10 ग्राम की मात्रा में रात को एकसाथ मिलाकर पानी में भिगों दें। सुबह इन दोनों चीजों की ठंडाई बनाकर और उसमें चीनी मिलाकर सेवन करने से बंद मासिकधर्म आना शुरू हो जाता है। इस ठंडाई का सेवन नियमित रूप से 3-4 महीने तक करना चाहिए।
    लगभग 10 ग्राम गाजर के बीजों को कूटकर 250 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी उबलते हुए आधी मात्रा में रह जाए तो उसे आग पर से उतारकर, उसमे चीनी मिलाकर लगातार 2-3 दिन तक पीने से बंद मासिकधर्म खुलकर आने लगता है।
    विजयसार लकड़ी और मालकांगनी के पत्तों को दूध में पीसकर और छानकर पीने से बंद मासिकधर्म दुबारा से आना शुरू हो जाता है।
    लगभग 100 ग्राम पुराने गुड़ और इतनी ही मात्रा में काले तिल को एकसाथ मिलाकर काढा़ बना लें। इस काढ़े को ठंडा करके 1-2 महीने तक पीने से काफी समय से बंद मासिकधर्म से ग्रस्त स्त्री का मासिकधर्म भी खुलकर आने लगता है और वह गर्भधारण करने में सक्षम हो जाती है।

पुरुषों के लिए बल-वीर्य बढ़ाने वाली औषधियां-

    लगभग 50 ग्राम सफेद प्याज का रस, 20 ग्राम घी, 15 ग्राम शहद और 20 ग्राम अदरक के रस को एकसाथ मिलाकर लगातार 3 महीने तक सेवन करने से किसी भी तरह के धातु संबंधी रोगों का अंत हो जाता है।
    प्याज के रस में शहद को मिलाकर सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है।
    उड़द की दाल को लगभग 1 घंटे तक पानी में भिगोकर उसके छिलके उतारकर पीस लें। इसके बाद इसको हलवे की तरह घी में सेंक लें। अच्छी तरह से सिंकने के बाद इसमें मिश्री मिलाकर पीस लें। इस मिश्रण को लगातार 2 महीने तक खाने से शरीर में ताकत और वीर्य बढ़ जाते हैं।
    लगभग आधा किलों दूध में 10 ग्राम पिसा हुआ शतावर डालकर उबाल लें। उबलने पर जब लगभग 350 ग्राम दूध बाकी रह जाए तब इसमें मिश्री मिलाकर पी लें। इस तरह लगातार 45 दिन तक दूध का सेवन करने से पुरुष पुत्र पैदा करने के काबिल बन जाता है।
    लगभग 250-250 ग्राम तालमखाने, गोखरू, शतावर, गंगेरन, बड़ी खिरेंटी और कौंच के बीजों की गिरी को एकसाथ मिलाकर कूटकर और पीसकर छान लें तथा चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना रात के समय 10 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लेने से वीर्य काफी मात्रा में बढ़ जाता है। अगर इस चूर्ण को कोई बूढ़ा व्यक्ति भी लगातार 3 साल तक सेवन करता है तो वह भी जवान होने लगता है।
    तरबूज के बीजों को छीलकर, उसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रोजाना 10 ग्राम की मात्रा में खाने से शरीर में ताकत पैदा होती है।
    गाय के दूध में पिंडखजूर या छुहारों को पकाकर खाने से और उस दूध को पीने से शरीर में बल-वीर्य की बढोतरी होती है।
    उड़द की छिलके वाली दाल को पकाकर लगातार 1 साल तक खाने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है।
    सिंघाड़े का हलवा बनाकर खाने से शरीर में ताकत और वीर्य बढ़ जाता है।
    शकरकंद का हलवा खाने से वीर्य गाढ़ा और पुष्ट हो जाता है।
    50 ग्राम बिल्वपत्रों के पत्तों का रस और कमल के फूल की एक डंडी की राख को गाय के 50 ग्राम घी में मिलाकर लगातार 2 महीने तक पीने से नपुंसकता का रोग दूर हो जाता है।

मासिकधर्म संबंधी रोग और औषधि-

    अगर मासिकधर्म के दौरान 3 दिन से ज्यादा रक्तस्राव होता है या दूसरा महीना लगने के 2-4 दिन पहले तक रक्तस्राव हो तो ये खून में ज्यादा गर्मी होने का संकेत होता है। ऐसी अवस्था में स्त्री को सभी तरह के गर्म पदार्थ जैसे लालमिर्च, लहसुन, अंडे आदि खाना बंद कर देना चाहिए। ऐसी स्त्री को रोजाना सुबह और शाम लगभग 50 ग्राम गुलाबजल पीने से 3-4 महीने में लाभ हो जाता है।
    अगर मासिकधर्म के दौरान रक्तस्राव ज्यादा होता है या रक्त के साथ सफेद पानी आता है तो समझ लेना चाहिए कि स्त्री को प्रदर रोग है। ऐसी स्त्री को 20 ग्राम अशोक की छाल गाय के दूध में उबालकर फिर उसमें मिश्री मिलाकर रोजाना सुबह-शाम 1 महीने तक पीने से रक्तप्रदर समाप्त हो जाता है।
    अगर के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर पीने से स्त्री के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।
    आंवले के रस और पके हुए केले को दोगुनी पिसी हुई मिश्री में मिलाकर लगातार 15 दिन तक सेवन करने से प्रदर रोग में आराम मिलता है और स्त्री को पुत्र प्राप्त होता है।
    नीम की छाल के रस में सफेद जीरा डालकर लगभग 10 दिनों तक पीने से गंभीर प्रदर रोग समाप्त हो जाता है।
    सफेद जीरा, काला नमक, मुलहठी का चूर्ण और नीलकमल को एकसाथ पीसकर और छानकर दही में मिला लें और इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन कर लें। इस मिश्रण का सेवन करने से बादी या गैस के कारण या मोटापे के कारण होने वाले प्रदर रोग में आराम मिलता है।
    छुहारों की गुठलियों को पीसकर घी में तल ले। इसके बाद गोपी चंदन को पीसकर और पिसी हुई गुठलियों में मिलाकर रोजाना खाने से 15 दिनों में ही प्रदर रोग दूर हो जाता है।
    लगभग 10 ग्राम गुंजा की जड़ और 10 ग्राम मिश्री को चावलों के धोवन में पीसकर सेवन करने से प्रदर रोग जड़ से समाप्त हो जाता है।
    मंगलवार के दिन लगभग 100 ग्राम शुद्ध धनिया लेकर किसी कलई किए हुए पीतल के बर्तन में एक किलो पानी में डालकर पका लें। जब पानी आधी मात्रा में रह जाए तो उसे उतार लें और उसमें 200 ग्राम मिश्री मिला लें। इस पानी को वीरवार से लेकर रविवार तक पीने से मासिकधर्म नियमित होता है और प्रदर रोग दूर हो जाता है।

पुत्र पैदा करने के लिए औषधियां-

    गर्भ ठहरने के दूसरे महीने में भांग के 2-3 बीजों को निगलकर उसके ऊपर से बछड़े वाली गाय का दूध पीने से लड़का पैदा होता है।
    शिवलिंगी के 5 बीजों को गर्भ ठहरने के दूसरे महीने से तीसरा महीना पूरा होने के पांचवें दिन पहले तक रात को बछड़े वाली गाय के दूध के साथ निगलने से लड़का पैदा होता है। शिवलिंगी के बीजों के बारे में कहा जाता है कि इनके अंदर लिंग बदलने की पूरी ताकत होती है।
    बरगद की अंकुरों को बछड़े वाली गाय के दूध में पीसकर गर्भवती स्त्री की नाक के दाएं नथुने में डालने से शत-प्रतिशत लड़का ही पैदा होता है।
    पुत्रजीवक पेड़ की जड़ को बछड़े वाली गाय के दूध में पीसकर पीने से पुत्र पैदा होता है।
    विष्णुकांता की जड़ या शिवलिंगी के बीजों को गर्भवती स्त्री को सेवन कराने से लड़की पैदा न होकर लड़का ही पैदा होता है।
    कौंच की जड़ या कैथ के गूदे को या शिवलिंगी के बीजों को दूध में पीसकर सेवन करने से लड़का पैदा होता है।

पुत्री पैदा करने के लिए औषधियां-

    लक्ष्मणा की जड़ को बछड़ी वाली गाय के दूध में पीसकर गर्भवती स्त्री की नाक के बाएं नथुने में डालने से लड़की पैदा होती है।
    सफेद कटेरी की जड़ को बछड़ी वाली गाय के दूध में पीसकर गर्भवती स्त्री की नाक के बाएं नथुने में डालने से पुत्री पैदा होती है।
    गर्भ ठहरने के बाद ज्यादा से ज्यादा खटाई का सेवन करने से और दूध न पीने से लड़की ही पैदा होती है।

आसानी से प्रसव कराने के लिए औषधियां-

    लगभग 125 ग्राम बछड़े वाली गाय का दूध और 250 ग्राम पानी एकसाथ मिलाकर गर्भवती स्त्री को प्रसव कराने से पहले पिलाने से बच्चा बहुत ही आसानी से पैदा होता है।
    स्त्री को प्रसव कराने से पहले दिवालमसक औषधि की थोड़ी सी मात्रा देने से बच्चे का जन्म बिना किसी कष्ट के हो जाता है।
    कड़वे नीम की जड़ को कमर में बांधने से प्रसव बहुत ही सुखपूर्वक हो जाता है।
    प्रसूता स्त्री को प्रसव के लिए जाने से पहले अगर पारद शिवलिंग के दर्शन करा दिए जाए तो प्रसव बहुत ही आसानी से हो जाता है।
    लाल कपड़े में हल्का सा नमक बांधकर प्रसूता स्त्री के बाएं हाथ में बांधने से सुखपूर्वक बच्चा पैदा हो जाता है।
    प्रसूता स्त्री को प्रसव का दर्द उठने से पहले अगर थोड़ी सी हींग खिला दें तो बच्चे का जन्म बहुत ही आसानी से हो जाता है।
    प्रसूता स्त्री के प्रसव के लिए जाने से पहले अगर उसे भगवान शिव का चरणामृत पिला दिया जाए तो प्रसव आसानी से हो जाता है।

गर्भ ठहरने से रोकने के लिए औषधियां-


    लगभग 5-6 साल पुराने गुड़ को उड़द के साथ मिलाकर खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।
    मासिकधर्म आने के दौरान अगर स्त्री 7-8 दिन तक खीरे के बीजों को पानी में पीसकर सेवन करती है तो उसको कभी भी गर्भ नहीं पड़ता है।
    स्त्री द्वारा करेले का रस पीने से गर्भ नहीं ठहर पाता है।
    जाशुकी के सूखे फल को खाने से गर्भ नहीं ठहरता है।
    स्त्री द्वारा रोजाना 1 लौंग निगलने से वह कभी भी गर्भवती नहीं होती है।
    चमेली की एक कली को स्त्री द्वारा निगलने से एक साल तक गर्भ नहीं ठहरता है।
    अगर मासिकस्राव होने के पहले दिन से लगाकर स्त्री उन्नीसवें दिन तक हल्दी को पीसकर खाए तो उसे गर्भ नहीं ठहरता है। स्त्री को हर महीने इस प्रयोग को करना पड़ता है।
    मासिकस्राव के शुरुआती 3 दिनों में स्त्री द्वारा तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से स्त्री को कभी भी गर्भ नहीं ठहरता है।
    मासिकधर्म में 3 दिन तक लगभग 50 ग्राम पुराना गुड़ खाने से स्त्री को गर्भ नहीं ठहरता है।
    स्त्री द्वारा चमेली की जड़ और गुले चीनिया का जीरा बराबर मात्रा में एकसाथ मिलाकर और पीसकर मासिकस्राव के पहले दिन से तीसरे दिन तक खाने से और ठंडा पानी पीने से गर्भ नहीं ठहरता है।

गर्भावस्था गाईड

Vātsyāyana
Chapters
गर्भावस्था की योजना मनचाही संतान भ्रूण और बच्चे का विकास गर्भावस्था के लक्षण गर्भधारण के बाद सावधानियां गर्भावस्था में कामवासना गर्भावस्था के दौरान होने वाले अन्य बदलाव गर्भावस्था में स्त्री का वजन गर्भावस्था की प्रारंभिक समस्याएं गर्भावस्था के दौरान होने वाली सामान्य तकलीफें और समाधान कुछ महत्वपूर्ण जांचे गर्भावस्था में भोजन गर्भावस्था में संतुलित भोजन गर्भावस्था में व्यायाम बच्चे का बढ़ना गर्भावस्था के अन्तिम भाग की समस्याएं प्रसव के लिए स्त्री को प्रेरित करना प्रसव प्रक्रिया में सावधानियां अचानक प्रसव होने की दशा में क्या करें समय से पहले बच्चे का जन्म प्रसव जन्म नवजात शिशु प्रसव के बाद स्त्रियों के शरीर में हमेशा के लिए बदलाव बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर की समस्याएं स्त्रियों के शारीरिक अंगों की मालिश प्रसव के बाद व्यायाम नवजात शिशु का भोजन स्तनपान बच्चे को बोतल से दूध पिलाना शिशु के जीवन की क्रियाएं स्त्री और पुरुषों के लिए गर्भ से संबंधित औषधि परिवार नियोजन