प्रसंग 8
( परप्रांतिय नवरा( मोहन) व बायको ( चमेली) घरात बोलत असतात.)
मोहन:- भाग्यवान कहाँ थी.
चमेली:- आवो मै वो शेजारीन के पास थी.
मोहन:- अच्छा ठीक है.
चमेली:- सुनिए कल आप काम पे मत जाना.
मोहन:- क्यों, क्या हुआ?
चमेली:- अभी अभी टिव्हीपर सुना, वो कुछ लोग हमारे खिलाफ है.
मोहन:- मतलब?
चमेली:- हम दुसरे राज्यसे यहाँ आये है, इस बातसे यहाँके लोग नाराज है.
मोहन:- अरे हम तो अपनी रोजी-रोटी से मतलब रखते है. छोडो ये बात जाने दो.
चमेली:- पर आपको डर नही लगता?
मोहन:- अरे पगली डरे वो जो बुरा बर्ताव करे.
चमेली:- फिर भी केह रही हूँ, कल रहने दो.
मोहन:- अरे अगर ऐसे जिऐंगे तो गाँवमे कौनसी तकलीफ थी? हम ही तो चाहते है, बच्चे पढ़लिख आगे बढे.
चमेली:- हाँ. हम यहाँ इसलिएही तो आये है, पर खुदको संभालना भी तो जरूरी है.
मोहन:- देखो मुझे बहस नही करनी तुमसे.
चमेली:- ठीक है, मै जाती हूँ सोने.
मोहन:- हाँ, सो जाओ.
( दोघांची exit, प्रसंग संपला)