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मयमतम् - अध्याय ८


 
बलिकर्म
अपने-अपने वास्तुपद में स्थित वास्तुदेवों का बलिकर्म (पूजा एवं नैवेद्य) होना चाहिये । इनका बलिकर्म सामान्य आहत्य मार्ग (प्रत्येक देवता के अनुसार पूजा एवं नैवेद्य) से करना चाहिये । बलिकर्म में ब्रह्मा आदि देवों की क्रमानुसार पूजा करनी चाहिये ॥१॥
आहत्यबलि
पूजन-सामग्री एवं नैवेद्य - बलिकर्म मे देवों को इस प्रकार क्रम देना चाहिये - ब्रह्मस्थान की पूजा गन्ध, माल्य, धूप, दूध, मधु, घी खीर एवं धान के लावा से करनी चाहिये ॥२॥
(इसके पश्चात् ब्रह्मा के चारो ओर स्थित देवोंकी पूजा होती है।) आर्यक का बलिकर्म फलनिर्मित भोज्य पदार्थ, उड़द एवं तिल से करना चाहिये । विवस्वान् को दधि एवं मित्रक को दूर्वा प्रदान करना चाहिये ॥३॥
महीधर को दूध प्रदान करना चाहिये । इस प्रकार वास्तुमण्डल के भीतर केन्द्रस्थ देवों का बलिकर्म सम्पन्न होता है (इसके पश्चात् बाह्य कोष्ठों के देवों का बलिकर्म होता है ।) पर्जन्य को घी एवं ऐन्द्र को पुष्पसहित नवनीत प्रदान करना चाहिये ॥४॥
इन्द्र को कोष्ठ एवं पुष्प, सूर्य को कन्द एवं मधु, सत्यक को मधु तथा भृश को नवनीत प्रदान करना चाहिये ॥५॥
आकाश को उड़द एवं हरताल, अग्नि को दूध, घी एवं तगरपुष्प तथा पूषा को शिम्बान्न (तरकारी) एवं पायस प्रदान करना चाहिये ॥६॥
वितथ को पका हुआ कङ्कु, राक्षस को मदिरा, यम को तरकारी एवं खिचड़ी तथा गन्धर्व को सुगन्धि बलिरूप मे प्रदान करना चाहिये ॥७॥
भृङ्गराज को समुद्र की मछली, मृष को मछली एवं भात, निऋति को तेल में पका पिण्याक (पिण्डी या मुठिया) तथा दौवारिक को बीज की बलि देनी चाहिये ॥८॥
सुग्रीव को लड्डू, पुष्पदन्त को पुष्प एवं जल, वरुण को दूध एवं धान्य (अन्न) तथा असुर को रक्त प्रदान करना चाहिये ॥९॥
शोष को तिलयुक्त चावल, रोग को सूखी मछली, वायु को चर्बी एवं हरिद्रा (हल्दी) तथा नाग को मद्य एवं लावा प्रदान करना चाहिये ॥१०॥
मुख्य को अन्न का चूर्ण (आटा), दधि, एवं घृत, भल्लाट को गुड़ में पका भात एवं सोम को दूध-भात प्रदान करना चाहिये ॥११॥
मृग को शुष्क मांस, देवमाता अदिति को लड्डू, उदिति को तिल-भोज्य एवं ईश को दुध में पका अन्न एवं घृत को बलिरूप में चढ़ाना चाहिये ॥१२॥
लावा एवं धान्य सविन्द्र को, सुगन्धित जल साविन्द्र को, बकरी का मेद एवं मूँग का चूर्ण इन्द्र एवं इन्द्रराज को प्रदान करना चाहिये ॥१३॥
रुद्र एवं रुद्रजय को मांस तथा चर्बी, आप एवं आपवत्स को कुमुदपुष्प, मछली का मांस, शङ्ख (शङ्ख के मध्य स्थित मांस) एवं कछुये का मांस प्रदान करना चाहिये ॥१४॥
चरकी को मद्य एवं घृत, विदारी को लवण, पूतना को तिल एवं पिष्ट तथा पाप-राक्षसी को मूँग का सत्त्व प्रदान करना चाहिये ॥१५॥
साधारणबलि
सामान्य रूप से सभी देवों को प्रदान की जाने वाली बलि इस प्रकार है- साधारण बलि घृत के सहित शुद्ध भोजन एवं दधि है । सभी देवों को क्रमशः गन्ध आदि प्रदान करना चाहिये ॥१६॥
कन्या या वेश्या को बलि-पदार्थ धारण करने योग्य माना गया है । इन्हे अङ्गन्यास एवं करन्यास द्वारा पवित्र मन (एवं शरीर) वाली बनना चाहिये ॥१७॥
वास्तुदेवों का क्रमानुसार नाम लेना चाहिये । उनके नाम से पूर्व 'ॐ' एवं नाम के पश्चात् 'नमः' लगाना चाहिये । उन्हे प्रथमतः जलं एवं उसके पश्चात् साधारण बलि देनी चाहिये ॥१८॥
इसके पश्चात् उनको विशिष्ट बलि प्रदान कर पीछे जल प्रदान करना चाहिये । विद्वानों के अनुसार ग्रामादि में मण्डूक वास्तुपद एवं परमशायिक वास्तुपद में भी बलि प्रदान करना चाहिये ॥१९॥
इस प्रकार पूर्व में कही गयी विधि से देवों को उनके क्रम के अनुसार तृप्त करके उन्हे विधिपूर्वक विसर्जित करना चाहिये, जिससे वास्तुक्षेत्र का निर्माण करने के लिये विन्यास (भवननिर्माण की योजना) किया जा सके ॥२०॥
ब्रह्मा एवं बाह्य देवों को उनके-उनके स्थानों पर रखना चाहिये, जिससे देवालय एवं द्वार का विधान उनको ध्यान में रखते हुये किया जा सके ॥२१॥
पद से रहित शेष सभी देवों को वास्तु की रक्षा के लिये स्थान देना चाहिये । इसी विधि से ग्रामादि मे भी देवों का विन्यास करना चाहिये । इस प्रकार वास्तु-पदविन्यास एवं वास्तुदेवों के पूजन के रहस्य का वर्णन किया गया है ॥२२॥
प्रातःकाल से उपवास करते हुये स्थपति विशुद्ध शरीर एवं शान्त मन से वास्तु देवों की विशेष एवं सामान्य बलि को लेकर पूर्ववर्णित रीति से भली-भाँति पूजा करे एवं बलि प्रदान करे ॥२३॥
 

मयमतम्‌

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Chapters
मयमतम् - अध्याय १ मयमतम् - अध्याय २ मयमतम् - अध्याय ३ मयमतम् - अध्याय ४ मयमतम् - अध्याय ५ मयमतम् - अध्याय ६ मयमतम् - अध्याय ७ मयमतम् - अध्याय ८ मयमतम् - अध्याय ९ मयमतम् - अध्याय १० मयमतम् - अध्याय ११ मयमतम् - अध्याय १२ मयमतम् - अध्याय १३ मयमतम् - अध्याय १४ मयमतम् - अध्याय १५ मयमतम् - अध्याय १६ मयमतम् - अध्याय १७ मयमतम् - अध्याय १८ मयमतम् - अध्याय १९ मयमतम् - अध्याय २० मयमतम् - अध्याय २१ मयमतम् - अध्याय २२ मयमतम् - अध्याय २३ मयमतम् - अध्याय २४ मयमतम्‌ - अध्याय २५ मयमतम्‌ - अध्याय २६ मयमतम्‌ - अध्याय २७ मयमतम्‌ - अध्याय २८ मयमतम्‌ - अध्याय २९ मयमतम्‌ - अध्याय ३० मयमतम् - अध्याय ३१ मयमतम् - अध्याय ३२ मयमतम् - अध्याय ३३ मयमतम् - अध्याय ३४ मयमतम् - अध्याय ३५ मयमतम् - अध्याय ३६ मयमतम्‌ - परिशिष्ट