प्रसव के बाद व्यायाम
परिचय-
बच्चे को जन्म देने के बाद स्त्रियों के शरीर का रंग, रूप, आकृति और मांसपेशियों आदि के आकार में परिवर्तन हो जाता है। ऐसी स्त्रियों को अपने शरीर को पहले जैसी शेप में लाने के लिए व्यायाम का सहारा लेना चाहिए। व्यायाम थोड़ा-थोड़ा करना चाहिए तथा अपने शरीर पर अचानक इतना जोर नहीं डालना चाहिए कि आपको कोई हानि हो। व्यायाम का समय धीरे-धीरे बढ़ाते रहने से काफी लाभ होता है। व्यायाम करने से यदि स्त्री को तकलीफ महसूस होती है या शरीर में कोई परिवर्तन होता है तो शीघ्र ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
प्रसव के बाद योनि से जब तक रक्त निकलता रहता है तब तक स्त्री को कोई भी व्यायाम नहीं करना चाहिए। प्रसव के बाद स्त्री का बिस्तर से उठना, थोड़ा चलना तथा हाथ-पैरों को चलाना ही मांसपेशियों के लिए अच्छा व्यायाम होता है।
प्रसव के बाद पैरों व टखनों का व्यायाम-
पैरों व टखनों के व्यायाम के लिए सबसे पहले स्त्री को पीठ के बल किसी दरी या कालीन पर लेट जाना चाहिए। इसके बाद दोनों हाथों व टांगों को मिला लेते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे दाहिने पांव को लगभग 6-8 इंच तक ऊपर उठाना चाहिए तथा इसी अवस्था में पैर को साधे रहना चाहिए। कुछ समय बाद टांग को धीरे से नीचे लाकर अपनी पहली अवस्था में लाना चाहिए। इस क्रिया को उल्टे पांव से भी करना चाहिए। इस व्यायाम को क्रमश: 6 बार करना चाहिए।
इस व्यायाम को करने से महिलाओं में प्रसव के बाद पेट की मांसपेशियों के ढीलेपन को दूर किया जा सकता है।
प्रसव के बाद गर्दन व पीठ का व्यायाम-
गर्दन और पीठ के व्यायाम के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं तथा सिर के नीचे एक हल्का सा तकिया लगा लें। हाथों को अपने शरीर के ऊपर रखते हैं तथा टांगों को इस प्रकार मोड़ते हैं कि आपके पैर के तलवे फर्श पर रहें। इसके बाद अपने कूल्हों को ऊपर उठायें तथा कूल्हों को उसी अवस्था में रखने की कोशिश करें। इसके बाद कूल्हों को नीचे आना चाहिए। इस व्यायाम को नियमित 6 बार करना चाहिए।
इस व्यायाम को करने के लिए फर्श पर कालीन या दरी को बिछाकर लेट जाते हैं तथा दोनों हाथों को शरीर के साथ रखकर अपनी नजर को छत की ओर ऊपर की तरफ रखते हैं। इसके बाद सिर को धीरे-धीरे उठाते हैं तथा अपनी ठोड़ी को छाती के ऊपरी भाग पर टिकाते हैं तथा इसी स्थिति में अपने मन में 25 तक की गिनती करते हैं। इस क्रिया को लगभग 6 बार करना चाहिए। इस क्रिया द्वारा गर्दन और पेट की मांसपेशियों में कसाव उत्पन्न होता है।
प्रसव के बाद कूल्हों का व्यायाम-
इस व्यायाम के लिए फर्श या दरी पर कालीन पर लेट जाना चाहिए तथा दोनों हाथों को शरीर से हटाकर फैलाकर रखना चाहिए। टांगों को ऐसे मोडे़ कि पैर फर्श पर लगे हो तथा पैर, घुटनों और शरीर में 90 डिग्री का कोण बनता हो। इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे हाथ-पैरों पर जोर देकर ऊपर उठाना चाहिए। इस अवस्था में 25 गिनती गिनने तक बने रहना चाहिए। इसके बाद कूल्हों व पेट को धीरे-धीरे फर्श पर लाना चाहिए। इस क्रिया को 6 बार करना चाहिए। इस व्यायाम द्वारा टांग, कूल्हे तथा पेट में स्थिति मांसपेशियों को व्यायाम होता है।
यह व्यायाम पेट, कूल्हे तथा टांगों की मांसपेशियों के लिए होता है। इस विधि में जमीन पर दरी या कालीन बिछाकर लेट जाते हैं। अपने दोनों हाथों को फर्श पर फैला देते हैं तथा टांगों को इतना समेटते हैं कि टांग छाती पर लग जाए। इसके बाद धीरे-धीरे अपने घुटनों को इस प्रकार मोड़े कि पहले दाहिना घुटना फर्श पर लगे। इस अवस्था में मन में 25 तक गिनती गिनने तक रहना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे घुटनों को पहली अवस्था में लेकर आना चाहिए। इस क्रिया को अब बाईं तरफ करना चाहिए।
वैसे तो प्रसव के बाद सबसे अच्छा व्यायाम चलने का होता है। प्रसव के तीसरे सप्ताह में स्त्री घर से बाहर घूमने जा सकती हैं। चलते समय शरीर सीधा होना चाहिए तथा छोटे-छोटे कदम चलने चाहिए। चलते समय कंधों, कोहनियों तथा कलाइयों को हिलाना चाहिए। अपनी ठोड़ी को छाती से लगाएं तथा सांस रोकें और लम्बी सांस लेनी चाहिए।
इसके बाद दीवार के सहारे खडे़ हो जाना चाहिए। एक पैर को दूसरे पैर के सामने रखें। इसके बाद अपनी जांघ की मांसपेशियों को समेटने की कोशिश करनी चाहिए तथा जांघ की मांसपेशियों को कड़ा करके अपने मल और मूत्र द्वारों को इकट्ठा करना चाहिए। जैसे कि आप अपने मूत्र तथा मल को रोक रहे हों। इस क्रिया को 5-6 बार करना चाहिए तथा एक मिनट तक लगातार करना चाहिए।
इसके साथ-साथ अपने पेट की मांसपेशियों को भी दबा सकते हैं।