जुदाई सूरज बुनता है तारे ज़र से दुनिया के लिए रिदाए-नूरी [1] आलम है ख़ामोश-ओ-मस्त गोया हर शय की नसीब है हुज़ूरी दरिया कोहसार[2] चाँद- तारे क्या जानें फ़िराक़ो-नासुबूरी शायाँ[3] है मुझे ग़मे-जुदाई यह ख़ाक है मरहमे-जुदाई