निर्जरवर स्मरहधर भीमातिरव...
निर्जरवर स्मरहधर भीमातिरवासी ॥
पीतांबर जघनींधर दुस्तर भवनाशी ।
शरणागतवत्सल पाळक भक्तांसी ॥
चाळक गोपीजन मनमोहन सुखराशी ॥ १ ॥
जय देव जय देव जय पांडुरंगा ॥
निरसीं मन संगा नि:भंगा भवभंगा ॥ धृ. ॥
अणिमा गरिमा लघिमा नेणति तव महिमा ॥
नीलोत्पल दलविमल घननीळ तनु श्यामा ॥
कंटकभंजन सज्जनमानसविश्रामा ॥
राघवदासीं विगलित कामा निष्कामा ॥ २ ॥
पीतांबर जघनींधर दुस्तर भवनाशी ।
शरणागतवत्सल पाळक भक्तांसी ॥
चाळक गोपीजन मनमोहन सुखराशी ॥ १ ॥
जय देव जय देव जय पांडुरंगा ॥
निरसीं मन संगा नि:भंगा भवभंगा ॥ धृ. ॥
अणिमा गरिमा लघिमा नेणति तव महिमा ॥
नीलोत्पल दलविमल घननीळ तनु श्यामा ॥
कंटकभंजन सज्जनमानसविश्रामा ॥
राघवदासीं विगलित कामा निष्कामा ॥ २ ॥