सुभग ताराभरण पहने...
- प्रिये ! आई शरद लो वर!
सुभग ताराभरण पहने
- मुक्त घन अवरोध से अब
चंन्द्र वदनी, अमल ज्योत्सना
- के दुकूलो में रुचिर सज
मुग्ध प्रमदा यामिनी
- संवर्धित है प्रति दिवस त्वर
- प्रिये ! आई शरद लो वर!
सुभग ताराभरण पहने
चंन्द्र वदनी, अमल ज्योत्सना
मुग्ध प्रमदा यामिनी