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चालुक्य साम्राज्य ४२५ -७५३ ऐ डी और ९७३ -११९० ऐ डी :

सतवाहनों के बाद डेक्कन में अगला बड़ा साम्राज्य था चालुक्य साम्राज्य | पुलकेसिन I चालुक्य साम्राज्य के सबसे पहले शासक थे | पुल्केसिन II चालुक्य साम्राज्य के सबसे महान शासक थे | उन्होनें महाराष्ट्र में अपने स्वामित्व को स्थापित किया और डेक्कन के कई स्थानों पर कब्ज़ा कर लिया | उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी ६२० में हर्षवर्धन को हराना | लेकिन पुल्केसिन II को ६४२ में पल्लव राजा नार्सिम्हावर्मन ने युद्ध के दौरान मार दिया | उसकी राजधानी वातापी को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया गया | उनका बेटा विक्रमादित्य भी एक महान शासक था | उसने पल्लव के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखी और चालुक्य का पुराना गौरव स्थापित किया | ७५३ ऐ डी में उनके पर पौते को दंती दुर्ग नाम के एक सरदार ने हरा दिया | चालुक्य ने ऐहोले में कई मंदिरों का निर्माण किया | इस काल में कुछ अजंता गुफाओं का निर्माण भी हुआ |

राष्ट्रकूट के साम्राज्य के दौरान चालुक्य हलके पड़ गए थे | २०० साल तक वह राष्ट्रकूट से बचते रहे | ९७३ ऐ डी में कल्याणी शाखा के तैलप चालुक्य ने सत्ता हासिल की और चालुक्य राज्य की फिर स्थापना की | उन्हें २०० साल तक स्वामित्व हासिल हुआ और उसके बाद वह फिर- देवगिरी  के यादव , वारंगल के काकतिया और बेलूर के होय्सलास में  विभाजित हो गए |

देवगिरी के यादव  :

यादव ने अपनी सत्ता एक बड़े इलाके में फैला ली थी | उनकी राजधानी चांदोर (नासिक ) में स्थित थी | उन्होनें ११ सदी में देवगिरी किले का निर्माण किया | यादव राज्य में मराठी भाषा को दरबारी भाषा का औदा प्राप्त हुआ | यादव राजा सिंघन ज्ञान प्रचारक थे और संत द्न्यानेश्वर भी इसी काल में प्रसिद्द हुए | १२९४ में अल्ला –उद-दिन-खिलजी ने देवगिरी पर ४ तरफ से हमला किया  | अंत में यादव हार गए और देवगिरी मुस्लिम शासकों के हाथों में चली गयी | देवगिरी की सारी धन संपत्ति लूट ली गयी | १३१० तक यादव साम्राज्य ख़तम हो गया था |

वारंगल के काकतीय

तेलुगु भाषा और साहित्य काकतीय के साम्राज्य में परिपक्व हुई | उन्होनें कई किलों की स्थापना भी की | आख़री राजा प्रतापरुद्र ने १३०३ में अलाउद्दीन खिलजी का हरा दिया था | १३१० में एक और युद्ध के बाद उसने अलादीन के सेनापति मालिक काफूर को भारी कर देने का वादा किया | १३२१ में घिआस-उद-दिन-तुग़लक एक बड़ी सेना के साथ भीतर आये और प्रतापरुद्र को बंदी बना दिल्ली ले गए | प्रतापरुद्र की दिल्ली पहुँचने से पहले ही मौत हो गयी | इस तरह काकतीय के खूबसूरत  शासन का अंत हुआ |

बेलूर हलेबिद के होयसला

होयसला साम्राज्य के संस्थापक थे राजा सला | होयसला ने १५०० मंदिर का निर्माण किया | उनके निर्माण की कला होयसला कला के नाम से प्रसिद्द हुई | इनमें सबसे मशहूर हैं बेलूर और हलेबिद के मंदिर जिनमें बारीक नक्काशी की हुई थी | अलाउद्दीन खिलजी ने इस साम्राज्य को १३०८-१३१२ के बीच शिकस्त दी |