शास्त्रीय युग - गुप्ता साम्राज्य और हर्ष:
गुप्ता साम्राज्य – चन्द्रगुप्त I (३२०-३३५) के नेतृत्व में
साम्राज्य को उत्तर में फिर से स्थापित किया गया | चन्द्रगुप्त मौर्या की तरह
उन्होनें पहले मगध को कब्ज़े में लिया और जहाँ पहले मौर्य राज्य की राजधानी थी वहां
अपनी राजधानी को स्थापित किया और इसी स्थान से उत्तर भारत के पूर्वी क्षेत्र के
राज्य को संगठित किया | इसके साथ चन्द्रगुप्त ने अशोक के सरकार के सिद्धांतों को
भी सजीव किया | मगर उनके बेटे समुद्रगुप्त
(३३५-३७६ ) और बाद में पोते चन्द्रगुप्त II (३७६ -४१५) ने साम्राज्य को पूर्ण उत्तर और पश्चिम डक्कन
में स्थापित किया | चन्द्रगुप्त II सबसे महान गुप्ता राजा थे और उन्हें
विक्रमादित्य भी कहा जाता है | वह भारत की सबसे बड़ी सांस्कृतिक सदी के शासक थे |
पाटलिपुत्र , अपनी राजधानी से उन्होनें एक तरफ व्यावहारिकता और विवेकपूर्ण शादी
गठबंधनों से और दूसरी और सैन्य ताकत के इस्तेमाल से अपना राजनितिक शासन कायम किया
| इस समय के सबसे बेहतरीन लेखक थे कालिदास | गुप्ता काल में कविता कुछ श्रेणियों
में सीमित थी : धार्मिक और ध्यान कविता, गीत कविता,
कथा इतिहास (सबसे लोकप्रिय धर्मनिरपेक्ष साहित्य), और नाटक|
हांलाकि कालिदास गीत कविता में श्रेष्ठ थे पर उन्हें अपने नाटकों के लिए जाना जाता
है | भारतीय अंक प्रणाली – जिसका श्रेय कई बार गलती से अरबों को दिया जाता है , जो
उसे भारत से यूरोप ले गए थे जहाँ उसने रोमन प्रणाली की जगह ली थी - और दशमलव प्रणाली
इस अवधि के महत्वपूर्ण भारतीय आविष्कार रहे हैं |४९९ ऐ डी में आर्यभट की
खुगोल्शास्त्र से जुड़ी खोजों ने सौर वर्ष की गणना और नक्शत्रिय पिंडों के आकार और
चलन का उल्लेख सटीकता के साथ दिया|
चिकित्सा में चरक और शुश्रुता ने एक पूर्ण रूप से विकसित चिकित्सा प्रणाली का
ज़िक्र किया | भारतीय चिकित्सकों ने भेषज, सीजेरियन सेक्शन,
हड्डी की स्थापना,
और त्वचा ग्राफ्टिंग सहित प्लास्टिक सर्जरी में उत्कृष्टता हासिल की
|
गुप्ता लेकिन हुन , जो उत्तर चीन से आये थे ,के हमले का शिकार हो गए
|४०० की शुरुआत में हून गुप्ताओं पर दबाव डालने लगे | ४८० ऐ डी में उन्होनें
गुप्ता पर हमला बोल उत्तर भारत पर कब्ज़ा कर लिया | पश्चिम भारत पर ५०० ऐ डी तक
कब्ज़ा कर लिया गया और आखिरी गुप्ता राजा , ५५० ऐ डी में ख़तम हो गया | आगे आने वाले
दशकों में हुन स्थानीय जनता का हिस्सा बन गए और उनका राज्य कमज़ोर पड गया |
हर्ष वर्धन
भारत के उत्तर और पश्चिमी क्षेत्र इसके बाद दर्जनों और आक्रमणकारियों
के कब्ज़े से निकले | अंत में उनमें से एक थानेसर के राजा प्रभाकर वर्धन जो
पुशाभुक्ति परिवार से थे उन्होनें सभी आक्रमणकारियों को कब्ज़े में ले लिया |
प्रभाकर वर्धन इस साम्राज्य के पहले राजा था और उनकी राजधानी मोजूदा हरयाणा के
कुरुकक्षेत्र के पास स्थित एक छोटे शहर थानेसर में स्थापित की गयी थी| ६०६ ऐ डी
में प्रभाकर वर्धन की मौत के बाद उनके बड़े बेटे राज्यवर्धन ने कन्नौज का राज्य
संभाला | मालवा राजा देविगुप्ता और गौड़ा राजा ससांक से लड़ाई के दौरान राज्यवर्धन
की मौत की वजह से १६ साल की उम्र में हर्षवर्धन को गद्दी संभालनी पड़ी|
जल्द ही हर्षा ने एक भारतीय साम्राज्य की स्थापना कर ली | ६०६ -६४७ ऐ
डी तक उन्होनें उत्तर भारत में एक साम्राज्य पर राज्य किया | हर्षा शायद भारतीय
इतिहास के सबसे उत्कृष्ट शासक थे और अपने पूर्वजों से भिन्न वह एक प्रभावशाली
प्रसासक भी थे | वह कला के भी प्रशंसक थे | उनकी राजधानी कन्नौज गंगा नदी के तट पर
४-५ मील तक फैली थी और उसमें विशाल भवनों का निर्माण किया गया था | उनके द्वारा
एकत्रित किये गए करों का सिर्फ चौथा हिस्सा सरकार के प्रशासन में इस्तेमाल होता था
| बाकी बचा पैसा दान , पुरुस्कार और खास तौर से संस्कृति :कला,साहित्य,संगीत और
धर्म के विकास के लिए इस्तेमाल होता था |
इस काल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियां लेकिन धर्म , शिक्षा , गणित
,कला और संस्कृत साहित्य और नाटक के क्षेत्र में थीं | वो धर्म जो बाद में आधुनिक
हिंदुत्व में विकसित हुआ वह अपने घटकों के सटीक बनने का गवाह बना : मुख्य भगवान,
छवि पूजन , भक्ति (श्रद्धा) और मंदिर की अहमियत | शिक्षा में शामिल है व्याकरण, रचना, तर्क, तत्वमीमांसा, गणित, चिकित्सा, और खगोल विज्ञान|
ये सब विषय उच्च उत्कृष्टता के स्तर पर पहुंचे |
अत्यधिक व्यापार के कारण , भारत की संस्कृति बंगाल की खाड़ी के आसपास
की प्रमुख संस्कृति बन गयी और उसने बर्मा ,कंबोडिया और श्रीलंका की संस्कृति को भी
प्रभावित किया | कई मायनों में गुप्ता साम्राज्य के बाद का समय “महान भारत” का समय
था जिसमें भारत और उसके पडोसी देशों में सांस्कृतिक गतिविधि ने भारतीय सभ्यता का
मूल आधार स्थापित किया | हर्षवर्धन की मौत के बाद कनौज के राज्य का इतिहास ७३० ऐ
डी तक अनिश्चित था जब यशोवेर्मन ने ७५२ ऐडी तक राज्य किया | इसके बाद आया आयुध साम्राज्य आया जिसमें तीन राजा थे | पहले
थे यज्रयुधा जो करीब ७७० ऐ डी में शासन करते थे | आयुध के बाद पर्थिहारा राजा
नागाभट्ट II ने कन्नौज पर कब्ज़ा किया | हर्ष वर्धन के बाद उत्तर और उत्तर पश्चिमी पर
प्रतिहार राजाओं का शासन हो गया और मध्य और दक्षिण भारत में राष्ट्रकूट साम्राज्य
स्थापित हो गया था (७५३ -९७३ ऐ डी)| पला राजा (७५० -११६१ ऐ डी) पूर्वी भारत(आज का
बंगाल और बिहार) में शासन करते थे |