Get it on Google Play
Download on the App Store

दक्षिण अफ्रीका (१८९३-१९१४) में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन


गांधी दक्षिण अफ्रीका में (१८९५)

दक्षिण अफ्रीका में गान्धी को भारतीयों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। आरम्भ में उन्हें प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के लिए ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। इतना ही नहीं पायदान पर शेष यात्रा करते हुए एक यूरोपियन यात्री के अन्दर आने पर चालक की मार भी झेलनी पड़ी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में अन्य भी कई कठिनाइयों का सामना किया। अफ्रीका में कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया। इसी तरह ही बहुत सी घटनाओं में से एक यह भी थी जिसमें अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था जिसे उन्होंने नहीं माना। ये सारी घटनाएँ गान्धी के जीवन में एक मोड़ बन गईं और विद्यमान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं तथा सामाजिक सक्रियता की व्याख्या करने में मददगार सिद्ध हुईं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए गान्धी ने अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न उठाये।

महात्मा गांधी

सुहास
Chapters
मोहनदास करमचन्द गांधी प्रारम्भिक जीवन कम आयु में विवाह विदेश में शिक्षा व विदेश में ही वकालत दक्षिण अफ्रीका (१८९३-१९१४) में नागरिक अधिकारों के आन्दोलन १९०६ के ज़ुलु युद्ध में भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष (१९१६ -१९४५) चंपारण और खेड़ा असहयोग आन्दोलन स्वराज और नमक सत्याग्रह (नमक मार्च) हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आन्दोलन स्वतंत्रता और भारत का विभाजन मैनचेस्टर गार्जियन, १८ फरवरी, १९४८, की गलियों से ले जाते हुआ दिखाया गया था। गांधी के सिद्धांत लेखन कार्य एवं प्रकाशन प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें कथित समलैंगिक प्रेम संबंध गांधी और कालेनबाख