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बाबर का आक्रमण

बाबर के ही कारण आज हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच अयोध्या विवाद अभी तक बना हुआ है। बाबर के चलते ही मुगल शासन और वंश की स्थापना हुई और भारत मुगलों के अधीन चला गया।
 
मुगल वंश का संस्थापक बाबर एक लुटेरा था। 
बाबर ने चगताई तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा 'तुजुक- ए-बाबरी' लिखी। इसे इतिहास में 'बाबरनामा' भी कहा जाता है। बाबर का टकराव दिल्ली के शासक इब्राहीम लोदी से हुआ। बाबर के जीवन का सबसे बड़ा टकराव मेवाड़ के राणा सांगा के साथ था। 'बाबरनामा' में इसका विस्तृत वर्णन है। संघर्ष में 1927 ई. में खन्वाह के युद्ध में अंत में उसे सफलता मिली।
 
बाबर ने अपने विजय पत्र में अपने को मूर्तियों की नींव का खंडन करने वाला बताया। इस भयंकर संघर्ष से बाबर ने गाजी की उपाधि हासिल की। गाजी वह, जो काफिरों का कत्ल करे। बाबर ने क्रूरतापूर्वक हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि कई  हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया। बाबर की ही आज्ञा से मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्मित प्रसिद्ध मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बनवाई, इसी भांति ग्वालियर के निकट उरवा में अनेक जैन मंदिरों को नष्ट किया।26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगणस्थान (अफगानिस्तान) उसे सौंप दिया था। 1876 में अफगानिस्तान एक इस्लामिक राष्ट्र बना।