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फारसी तथा यूनानियों का आक्रमण

भारत की उत्तर-पश्‍चिमी सीमा पर स्‍थित भारतीय राज्यों को फारस और यूनानी से हमेशा आक्रमण का खतरा बना रहता था। पहले यहां कंबोज, कैकेय, गांधार नामक छोटे-बड़े राज्य थे। भारत की उत्तर-पश्‍चिम सीमा की बात करें तो संपूर्ण अफगानिस्तान और ईरान के समुद्रवर्ती कुछ ही हिस्से थे। यहां हिन्दूकुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसके उस पार कजाकिस्तान, रूस और चीन जाया जा सकता है। ईसा के 700 साल पूर्व तक यह स्थान आर्यों का था। 

घुसपैठ : उक्त सीमावर्ती राज्यों में व्यापार के माध्यम से कई फारसी और यूनानियों ने अपने अड्डे बना लिए थे, दूसरी ओर अरबों ने भी समुद्री तटवर्ती क्षेत्र में अपने व्यापारिक ठिकाने बनाकर अपने लोगों की संख्या बढ़ा ली थी। अफगानिस्तान में पहले आर्यों के कबीले आबाद थे और वे सभी वैदिक धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया। बामियान बौद्धों की राजधानी थी।
 
सिकंदर का आक्रमण : सिकंदर का जब आक्रमण (328 ईसा) हुआ, तब यहां फारस के हखामनी शाहों ने कब्जा कर रखा था। ईरान के पार्थियन तथा भारतीय शकों के बीच बंटने के बाद अफगानिस्तान के आज के भू-भाग पर बाद में सासानी शासन आया। इस तरह हखामनी ईरानी वंश के लोगों से सबसे पहले भारत पर आक्रमण किया। हालांकि यह आर्यों के ही वंशज थे।