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फ्रैंकनस्टाइन की कथा

विक्टर फ्रैंकनस्टाइन अपनी कहानी की शुरूआत अपने बचपन से करता है। एक रईस परिवार में पलने वाले फ़ैंकनस्टाइन को अपनी आस-पास की दुनिया के बारे में बेहतर समझदारी रखने के लिए (विज्ञान के क्षेत्र में) प्रेरित किया जाता था। वह स्नेहपूर्ण परिवार और दोस्तों से घिरे एक सुरक्षित माहौल में बड़ा होता है।

फ्रैंकनस्टाइन अपनी अनाथ बहन एलिज़ाबेथ लावेंज़ा से नज़दीकी रिश्ते में बंधता है। अपनी मां की मौत के बाद एलिज़ाबेथ को फ्रैंकनस्टाइन के परिवार के साथ रहने के लिए भेज दिया जाता है। अपनी युवावस्था में फ्रैंकनस्टाइन विज्ञान के उन पुराने सिद्धांतों को लेकर काफी आसक्त होता है, जो प्राकृतिक चमत्कार हासिल करने पर केंद्रित होते थे। वह जर्मनी के इंगोलस्डाट विश्विद्यालय जाने की योजना बनाता है। लेकिन, निर्धारित रवानगी से एक सप्ताह पहले उसे खबर मिलती है कि उसकी मां और बहन एलिज़ाबेथ स्कारलेट बुखार से पीड़ित हैं। एलिज़ाबेथ ठीक हो जाती है, लेकिन फ्रैंकनस्टाइन की मां का देहांत हो जाता है। पूरा परिवार शोकाकुल हो जाता है और फ्रैंकनस्टाइन मौत को अपने जीवन के पहले दुर्भाग्य के रूप में देखता है। विश्वविद्यालय में वह रसायन विज्ञान और दूसरे विज्ञान में महारत हासिल करता है - अंशतऋ यह जानते हुए कि जीवन कैसे नष्ट होता है - और अजीव वस्तुओं में जान फूंकने का रहस्य जान जाता है। वह 1790 के दशक में आविष्कृत तकनीक गैल्वनिज़्म में दिलचस्पी लेने लगता है।

हालांकि दैत्य की रचना के वास्तविक विवरण अस्पष्ट रहते हैं, फ्रैंकनस्टाइन बताता है कि उसने मुर्दाघरों से मानव हड्डियों को एकत्रित किया और "अपनी नापाक उंगलियों से इंसान के शरीर की संरचना का रहस्य जाना". उसने यह भी कहा कि विच्छेदन कक्ष और कसाईख़ानों ने उसके लिए अधिकांश सामग्री उपलब्ध कराई.

फ्रैंकनस्टाइन स्पष्ट करता है कि वह आम आदमी से कहीं विशाल दैत्य बनाने के लिए मजबूर हुआ - वह उसके करीब आठ फीट लंबा होने का अनुमान लगाता है - अंशतः क्योंकि उसे इंसानी शरीर के सूक्ष्म अंगों के पुनर्निर्माण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दैत्य के शरीर में जान फूंकने के बाद, फ्रैंकनस्टाइन को दैत्य की बनावट से घिन आती है और वह उससे डरता भी है। फ्रैंकनस्टाइन भाग जाता है।

मानव जीवन का सृजन करते-करते थक जाने पर, फ़्रैंकनस्टाइन बीमार पड़ जाता है। उसके बचपन का दोस्त हेनरी क्लरवल उसकी देखभाल करते हुए स्वस्थ होने में मदद करता है। फ़्रैंकनस्टाइन को बीमारी से उबरने में करीब चार महीने लग जाते हैं। जब उसे पता चलता कि उसके पांच साल के भाई विलियम का कत्ल हुआ है, तो वह घर लौटने का मन बना लेता है। एलिज़ाबेथ खुद को विलियम की मौत का दोषी मानती है, क्योंकि उसने विलियम को उसकी मां के लॉकेट को हाथ लगाने दिया था। विलियम की आया जस्टिन को इस हत्या का दोषी मानकर सूली पर चढ़ा दिया जाता है, क्योंकि उसकी जेब से फ्रैंकनस्टाइन की मां का लॉकेट मिलता है। उपन्यास में बाद में व्यक्त होता है कि उस दैत्य ने विलियम की हत्या कर लॉकेट को जस्टिन के कोट की जेब में रख दिया था और दैत्य द्वारा विलियम की हत्या की पूर्वकथा दी गई है।

इंसान के साथ कई संघर्षपूर्ण सामना करने के बाद फ्रैंकनस्टाइन का दैत्य उनसे डरने लगता है और एक साल एक घर के पास, उसमें बसे परिवार को देखते हुए बिताता है। वह परिवार अमीर था, लोकिन उसे देश निकाला मिला होता है क्योंकि उस परिवार के मुखिया फेलिक्स डी लेसी ने एक तुर्क व्यापारी की मदद की थी, जिसे एक झूठे मामले में फंसा कर फांसी की सज़ा सुनाई गई थी। जिसे फेलिक्स ने बचाया था वह उसकी प्रेमिका, सेफी का पिता था। फांसी से बचने के बाद वह व्यापारी अपनी बेटी सैफी की शादी फेलिक्स से करने को तैयार हो जाता है। हालांकि एक ईसाई से अपनी बेटी की शादी का विचार उसके गले नहीं उतरता है और वह सैफी को लेकर भाग जाता है। लेकिन सैफी लौट आती है क्योंकि वह दूसरी यूरोपीय महिलाओं की तरह आज़ाद रहना चाहती है।

डी लेसी परिवार पर ग़ौर करते हुए दैत्य को समझ-बूझ आती है और वह जान जाता है कि उसके शरीर की बनावट दूसरों से बहुत अलग है और वह उनसे बिलकुल जुदा है। अकेलेपन में उसके मन में डी लेसी परिवार से दोस्ती की चाहत जाग उठती है। जब वह उस परिवार से संपर्क करने की कोशिश करता है, तो उसके प्रति उन लोगों का डर आड़े आता है। यह तिरस्कार दैत्य को अपने सृष्टिकर्ता से बदला लेने के लिए उकसाती है।

फ्रैंकनस्टाइन का दैत्य जेनेवा जाता है और वहां उसकी मुलाकात एक नन्हें बालक से होती है। इस आशा में कि बालक नादान है और शायद उसके भयंकर रूप के प्रति बड़ों जैसा प्रभावित नहीं होगा और उसका अच्छा साथी बन सकता है, फ़्रैंकनस्टाइन का दैत्य बच्चे को अगवा करने की योजना बनाता है। लेकिन वह बच्चा उसे बताता है कि वह फ्रैंकनस्टाइन का रिश्तेदार है, दैत्य को देख वह बच्चा चिल्लाता है और उसे अपमानित करता है जिससे उसे बहुत गुस्सा आता है। बच्चे को चुप करने के लिए दैत्य उसके मुंह पर हाथ रख देता है। लेकिन सांस न ले पाने की वजह से बच्चे की मौत हो जाती है। हालांकि बच्चे की हत्या करना उसकी मंशा कभी नहीं थी लेकिन वह इस घटना को फ्रैंकनस्टाइन के खिलाफ अपना पहला बदला मानता है। वह बच्चे के शरीर से लॉकेट निकालकर घर में सो रही एक लड़की जस्टिन के कपड़ों की जेब मे रख देता है। जस्टिन के कब्ज़े से लॉकेट बरामद होता है और उसे दोषी मानकर सूली पर चढ़ा दिया जाता है। मामले की सुनवाई करने वाले जज फांसी की सज़ा के खिलाफ अपने विचारों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन समाज से जाति-बहिष्कार के डर के कारण जस्टिन गुनाह कबूल लेती है और उसे फांसी दे दी जाती है।

जब फ्रैंकनस्टाइन को अपने भाई की मौत की जानकारी मिलती है तो वह अपने परिवार के साथ रहने के लिए जेनेवा लौटता है। फ्रैंकनस्टाइन उस दैत्य को जंगल में देखता है जहां उसके भाई की हत्या हुई थी और उसे इस बात पर पूरी तरह से विश्वास हो जाता है कि विलियम का हत्यारा वह दैत्य ही है। इतनी तबाही मचाने वाले दैत्य के सृजन के प्रति दुख और अपराधबोध से परेशान फ्रैंकनस्टाइन शांति की तलाश में पर्वतों की ओर निकल पड़ता है। कुछ वक्त अकेलेपन में बिताने के बाद दैत्य फ्रैंकनस्टाइन से मिलता है। आरंभ में दैत्य को देखकर फ्रैंग्कस्टीन उसे मारने की मंशा से वह उस पर हमला करने की कोशिश करता है। फ्रैंकनस्टाइन के आकार से काफी विशाल और चुस्त वह दैत्य हमले से आसानी से बच निकलता है और उनके शांत होने का इंतज़ार करता है। वह दैत्य अपनी छोटी-सी जिंदगी की एक लंबी कहानी सुनाता है, जिसकी शुरूआत वह अपने सृजन से करता है और उसकी इस कहानी में इस बात की झलक मिलती है कि वह शुरूआत में मासूम था जो किसी को चोट नहीं पहुंचा सकता था, लेकिन इंसानों के बर्ताव ने उसे खूंखार बनने पर मजबूर कर दिया. वह अपनी कहानी का अंत इस मांग के साथ करता है कि फ्रैंकनस्टाइन उसके लिए एक महिला साथी का भी सृजन करे, क्योंकि वह अकेला है और कोई मानव उसे कबूलने को तैयार नहीं होगा. वह तर्क देता है कि एक जीवित प्राणी होने के नाते उसे भी खुश रहने का हक है और उसका सृजनकर्ता होने के नाते फ्रैंकनस्टाइन का दायित्व बनता है कि वह उसकी मांग पूरी करे. वह वादा करता है कि अगर फ्रैंकनस्टाइन उसके लिए एक महिला साथी का सृजन करता है, तो वह उसे कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाएगा.

अपने परिवार की सुरक्षा की खातिर फ्रैंकनस्टाइन ना चाहते हुए भी दैत्य की बात मान लेता है और अपना काम करने के लिए इंग्लैंड चला जाता है। उसका दोस्त क्लरवल उसके साथ आता है लेकिन स्कॉटलैंड में वे जुदा हो जाते हैं। ऑर्कनी द्वीपों में दूसरे दैत्य का सृजन करने के दौरान फ्रैंकनस्टाइन को यह चिंता सताने लगती है कि अगर दूसरा दैत्य बना तो वह कितना कहर ढ़ा सकता है। फ्रैंकनस्टाइन अपनी अपूर्ण परियोजना को नष्ट कर देता है। दैत्य इसे देखता है और वह फ्रैंकनस्टाइन की सुहाग रात के दिन बदला लेने की ठान लेता है। फ्रैंकनस्टाइन की आयरलैंड वापसी से पहले दैत्य उसके दोस्त क्लरवल की हत्या कर देता है। जब फ्रैंकनस्टाइन आयरलैंड पहुंचता है, तो उसे इस हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता है और जेल में वह बहुत बुरी तरह से बीमार पड़ जाता है। जेल से रिहा होने और स्वस्थ होने के बाद फ्रैंकनस्टाइन अपने पिता के साथ घर लौटता है।

घर लौटने पर फ्रैंकनस्टाइन अपनी रिश्तेदार एलिज़ाबेथ से शादी कर लेता है और यह जानते हुए कि वह दैत्य उस पर कभी भी धावा बोल सकता है, उसके खिलाफ लड़ने की तैयारी करता है। यह नहीं चाहते हुए कि एलिज़ाबेथ उस दैत्य को देखकर डर जाए, फ्रैंकनस्टाइन एलिज़ाबेथ को रात को उसके कमरे में रहने की हिदायत देता है। दैत्य एलिज़ाबेथ को अकेला पाकर उसकी भी हत्या कर देता है। अपनी पत्नी, विलयम, जस्टीन, क्लरवल औऱ एलिज़ाबेथ की मौत के ग़म में फ्रैंकनस्टाइन के पिता का निधन हो जाता है। फ्रैंकनस्टाइन ठान लेता है कि वह तब तक उस दैत्य का पीछा करेगा जब तक कि उनमें से कोई एक-दूसरे को ना मार गिराए. महीनों की खोज के बाद, दोनों उत्तरी ध्रुव के निकट आर्कटिक सर्कल में पहुंचते हैं।