4. चुभ रहें हैं आज भी...
<p dir="ltr">अपनों ने दिए जो जख्म  , चुभ रहें हैं - आज भी।<br>
है शान्त कुछ , बंद कोने मे,<br>
और कुछ तड़प रहे हैं - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
कुछ को तो अश्कों ने सम्भाले,<br>
कुछ और , शायद , मचल रहें हैं - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
ये तौफ़ा , है अपनों का,<br>
दिखाऊं कैसे , किसी को,<br>
छुपा है कई शिकवे , दिल में मेरे - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
खामोश हूँ , देख के फितरत उनका,<br>
मेरे दिल में शोले , जल रहें हैं - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
उन्हें क्या? मेरे गमों से मतलब,<br>
दबा है दर्द कितना , दिल में मेरे - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
(क्रमश:।)...<br>
                       - गौतम गोविन्द<br>
                       <a href="tel:9911040940">9911040940</a></p>
है शान्त कुछ , बंद कोने मे,<br>
और कुछ तड़प रहे हैं - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
कुछ को तो अश्कों ने सम्भाले,<br>
कुछ और , शायद , मचल रहें हैं - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
ये तौफ़ा , है अपनों का,<br>
दिखाऊं कैसे , किसी को,<br>
छुपा है कई शिकवे , दिल में मेरे - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
खामोश हूँ , देख के फितरत उनका,<br>
मेरे दिल में शोले , जल रहें हैं - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
उन्हें क्या? मेरे गमों से मतलब,<br>
दबा है दर्द कितना , दिल में मेरे - आज भी।<br>
अपनों ने दिए जख्म...<br>
(क्रमश:।)...<br>
                       - गौतम गोविन्द<br>
                       <a href="tel:9911040940">9911040940</a></p>