श्री शनी स्तवन
( नित्य जप २३०० प्रतिदिन )
1) बीज मंत्र : ॐ श शनैश्र्चराय नमः
2) तंत्रोक मंत्र : ॐ प्रा प्री प्रौ सः शनैश्र्चराय नमः
3) शनीचा व्यासाविरचीत मंत्र : ॐ नीलांजन सामाभासम | रवि पुत्रम यमाग्रजाम |
छाया मार्तण्डसंभूतं | तम नमामि शनैश्र्चराम ||
4) शनीचा पुरणोक्त मंत्र : सूर्यपुत्रो दिर्घदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय : |
मंदचार: प्रसन्नात्मा पीडा हरतु मे शनी: ||
5) शनीचा वेदोक्त मंत्र : ॐ शामाग्निभी : करचछत्र : स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपस्निधा
6) शानिस्त्रोत्र :
ॐ निलान्जनम समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
ॐ शनैश्वराय नमः॥
सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्षः शिवप्रियः।
मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनिः॥
कोणस्थ पिंगलो ब्रभू कृष्णो रौद्रो दंतको यमः।
सौरिः शनैश्वरो मन्दः पिप्पालोद्तः संस्तुतः॥
एतानि दशनामानी प्रातः रुत्थाय य पठेतः।
शनैश्वर कृता पिडा न कदाचित भविष्यती॥
िदभविष्यति