Get it on Google Play
Download on the App Store

सोलहवां भाग बयान - 2

इन्दिरा ने जब अपना किस्सा कहते-कहते पंडित मायाप्रसाद का नाम लिया तो राजा गोपालसिंह चौंक गये और उन्होंने ताज्जुब में आकर इन्दिरा से पूछा -

गोपाल - मायाप्रसाद कौन?

इन्दिरा - आपके कोषाध्यक्ष (खजांची)।

गोपाल - क्या उसने भी तुम्हारे साथ दगा की?

इन्दिरा - सो मैं ठीक-ठीक नहीं कह सकती, मेरा हाल सुनकर कदाचित् आप कुछ अनुमान कर सकें। क्या मायाप्रसाद अब भी आपके यहां काम करते हैं?

गोपाल - हां, है तो सही मगर आजकल मैंने उसे किसी दूसरी जगह भेजा है। अस्तु अब मैं इस बात को बहुत जल्द सुनना चाहता हूं कि उसने तेरे साथ क्या किया?

हमारे पाठक महाशय पहले भी मायाप्रसाद का नाम सुन चुके हैं। सन्तति के पन्द्रहवें भाग के तीसरे बयान में इसका जिक्र आ चुका है, तारासिंह के नौकर ने नानक की स्त्री श्यामा के प्रेमियों के नाम बताये थे उन्हीं में उनका नाम भी दर्ज हो चुका है। ये महाशय जाति के कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे और अपने को ऐयार भी लगाते थे।

इन्दिरा ने फिर अपना किस्सा कहना शुरू किया -

इन्दिरा - उस समय मैं मायाप्रसाद को देखकर बहुत खुश हुई और समझी कि मेरा हाल राजा साहब (आप) को मालूम हो गया है और राजा साहब ही ने इन्हें मेरे पास भेजा है। मैं जल्दी से उठकर उनके पास गई और मेरी अन्ना ने उन्हें दण्डवत करके कोठरी में आने के लिए कहा जिसके जवाब में पंडितजी बोले, ''मैं कोठरी के अन्दर नहीं आ सकता और न इतनी मोहलत है।''

मैं - क्यों?

मायाप्रसाद - मैं इस समय केवल इतना ही कहने आया हूं कि तुम लोग जिस तरह बन पड़े अपनी जान बचाओ और जहां तक जल्दी हो सके यहां से निकल भागो क्योंकि गदाधरसिंह दुश्मनों के हाथ में फंस गया है और थोड़ी ही देर में तुम लोग भी गिरफ्तार होना चाहती हो।

मायाप्रसाद की बात सुनकर मेरे तो होश उड़ गये। मैंने सोचा कि अब अगर किसी तरह दारोगा मुझे पकड़ पावेगा तो कदापि जीता न छोड़ेगा। आखिर अन्ना ने घबड़ाकर पंडितजी से पूछा, ''हम लोग भागकर कहां जायें और किसके सहारे पर भागें।'' पंडितजी ने क्षण भर सोचकर कहा, ''अच्छा तुम दोनों मेरे पीछे चली आओ।''

उस समय हम दोनों ने इस बात का जरा भी खयाल न किया कि पंडितजी सच बोलते हैं या दगा करते हैं। हम दोनों आदमी पंडितजी को बखूबी जानते थे और उन पर विश्वास करते थे, अस्तु उसी समय चलने के लिए तैयार हो गये और कोठरी के बाहर निकलकर उनके पीछे-पीछे रवाना हुए। जब मकान के बाहर निकले तो दरवाजे के दोनों तरफ कई आदमियों को टहलते हुए देखा मगर अंधेरी रात होने और जल्दी-जल्दी निकल भागने की धुन में लगे रहने के कारण उन लोगों को पहिचान न सकी इसीलिए नहीं कह सकती कि वे लोग गदाधरसिंह के आदमी थे या किसी दूसरे के। उन आदमियों ने हम लोगों से कुछ नहीं पूछा और हम दोनों बिना किसी रुकावट के पंडितजी के पीछे-पीछे जाने लगे। थोड़ी दूर जाकर दो आदमी और मिले, एक के हाथ में मशाल थी और दूसरे के हाथ में नंगी तलवार। निःसन्देह वे दोनों आदमी मायाप्रसाद के नौकर थे जो हुक्म पाते ही हम लोगों के आगे-आगे रवाना हुए। उस पहाड़ी के नीचे उतरने का रास्ता बहुत ही पेचीला और पथरीला था। यद्यपि हम दोनों आदमी एक दफे उस रास्ते को देख चुके थे मगर फिर भी किसी के राह दिखाये बिना वहां से निकल जाना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव था, पर एक तो हम लोग मायाप्रसाद के पीछे-पीछे जा रहे थे दूसरे मशाल की रोशनी साथ-साथ थी इसलिए शीघ्रता से हम लोग पहाड़ी के नीचे उतर गए और पंडितजी की आज्ञानुसार दाहिनी तरफ घूमकर जंगल ही जंगल चलने लगे। सबेरा होते-होते हम लोग एक खुले मैदान में पहुंचे और वहां एक छोटा-सा बागीचा नजर पड़ा। पंडितजी ने हम दोनों से कहा कि तुम लोग बहुत थक गई हो इसलिए थोड़ी देर तक बागीचे में आराम कर लो तब तक हम सवारी का बन्दोबस्त करते हैं जिसमें आज ही तुम राजा गोपालसिंह के पास पहुंच जाओ।

मुझे उस छोटे बागीचे में किसी आदमी की सूरत दिखाई न पड़ी। न तो वहां का कोई मालिक नजर आया और न किसी माली या नौकर ही पर नजर पड़ी। मगर बागीचा बहुत साफ और हरा-भरा था। पंडितजी ने अपने दोनों आदमियों को किसी काम के लिए रवाना किया और हम दोनों को उस बागीचे में बेफिक्री के साथ रहने की आज्ञा देकर खुद भी आधी घड़ी के अन्दर ही लौट आने का वादा करके कहीं चले गये। पंडितजी और उनके आदमियों को गये हुए अभी चौथाई घड़ी भी न बीती होगी कि दो आदमियों को साथ लिये हुए कम्बख्त दारोगा बाग के अन्दर आता हुआ दिखाई पड़ा।

चंद्रकांता संतति - खंड 4

देवकीनन्दन खत्री
Chapters
तेरहवां भाग : बयान - 1 तेरहवां भाग : बयान - 2 तेरहवां भाग : बयान - 3 तेरहवां भाग : बयान - 4 तेरहवां भाग : बयान - 5 तेरहवां भाग : बयान - 6 तेरहवां भाग : बयान - 7 तेरहवां भाग : बयान - 8 तेरहवां भाग : बयान - 9 तेरहवां भाग : बयान - 10 तेरहवां भाग : बयान - 11 तेरहवां भाग : बयान - 12 तेरहवां भाग : बयान - 13 चौदहवां भाग : बयान - 1 चौदहवां भाग : बयान - 2 चौदहवां भाग : बयान - 3 चौदहवां भाग : बयान - 4 चौदहवां भाग : बयान - 5 चौदहवां भाग : बयान - 6 चौदहवां भाग : बयान - 7 चौदहवां भाग : बयान - 8 चौदहवां भाग : बयान - 9 चौदहवां भाग : बयान - 10 चौदहवां भाग : बयान - 11 पन्द्रहवां भाग बयान - 1 पन्द्रहवां भाग बयान - 2 पन्द्रहवां भाग बयान - 3 पन्द्रहवां भाग बयान - 4 पन्द्रहवां भाग बयान - 5 पन्द्रहवां भाग बयान - 6 पन्द्रहवां भाग बयान - 7 पन्द्रहवां भाग बयान - 8 पन्द्रहवां भाग बयान - 9 पन्द्रहवां भाग बयान - 10 पन्द्रहवां भाग बयान - 11 पन्द्रहवां भाग बयान - 12 सोलहवां भाग बयान - 1 सोलहवां भाग बयान - 2 सोलहवां भाग बयान - 3 सोलहवां भाग बयान - 4 सोलहवां भाग बयान - 5 सोलहवां भाग बयान - 6 सोलहवां भाग बयान - 7 सोलहवां भाग बयान - 8 सोलहवां भाग बयान - 9 सोलहवां भाग बयान - 10 सोलहवां भाग बयान - 11 सोलहवां भाग बयान - 12 सोलहवां भाग बयान - 13 सोलहवां भाग बयान - 14