कुंवे का किराया
एक बार एक आदमी ने अपना कुँवा एक किसान को बेच दिया | अगले दिन जब किसान ने कुवे से पानी खीचना शुरू किया तो इस आदमी ने किसान से पानी लेने से मना कर दिया | वो बोला "मैंने तुम्हे केवल कुँवा बेचा है इसका पानी नही | "
यह सुनकर किसान बहुत दुखी हुआ और उसने अकबर के दरबार में गुहार लगाई | उसने दरबार में सब कुछ बताया और अकबर से इंसाफ माँगा |अकबर ने इस समस्या का हल खोजने का काम बीरबल को सौंप दिया |
बीरबल ने उस व्यक्ति को बुलाया जिसने कुँवा किसान को बेचा था और उससे बीरबल ने पूछा "तुम किसान को कुंवे से पानी क्यों नही लेने देते ? आखिर तुमने कुँवा किसान को बेचा है | "
उस व्यक्ति ने जवाब दिया "हुजुर , मैंने किसान को कुँवा बेचा है ना कि कुंवे का पानी | इसलिए पानी पर उसका कोई हक नही है |"
बीरबल मुस्कुराये और बोले "बहुत खूब , देखो क्योंकि तुमने कुँवा किसान को बेच दिया है और तुम कहते हो कि पानी तुम्हारा है तो तुम्हे अपना पानी किसान के कुंवे में रखने का कोई अधिकार नही है | अब या तो अपना पानी किसान के कुंवे से निकाल लो या फिर उसको अपना पानी रखने का किराया दो |"
वो आदमी समझ गया कि बीरबल के आगे उसकी दाल गलने वाली नही है और वो माफी मांगकर दरबार से खिसक लिया |