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निर्माण

कुछ जगहों पर ऐसा बताया गया है की ये किला रामायण काल का बना हुआ है |एक इतिहासकार के मुताबिक आशा अहीर नाम का एक व्यक्ति था जिसके पास बहुत सारे जानवर थे | वह एक ऐसे स्थान की तलाश में था जो की सुरक्षित हो और जहाँ उसके पशुओं को कोई तकलीफ न हो |आशा अहीर ने उस स्थान पर एक किले का निर्माण शुरू कार दिया | इसलिए शायद इस किले का नाम असीरगढ़ पड़ा | कुछ समय बाद फिरोजशाह तुग़लक के एक सिपाही नसीर खान की रूचि इस किले की तरफ हुई | उसने जाकर आशा अहीर से कहा की उसे और उसके परिवार को जान का खतरा है इसलिए अगर उसे यहाँ रहने की इजाज़त मिल जाये तो बड़ी कृपा होगी |

आशा अहीर को उस पर दया आगयी और उन्होनें इजाज़त दे दी | नसीर खान ने पहले कुछ डोलियों में औरतों और बच्चों को भेजा | आशा अहीर और उनके परिवार ने उनका मन से स्वागत किया | लेकिन बाद वाली डोलियों में सैनिक थे | उन्होनें बाहर आकर आशा अहीर और उनके परिवार को ख़तम कर किले  पर कब्ज़ा कर लिया |