वचन की पूर्ति
महाराणा ने अपने साथियों को ये वचन दिया था की जब तक वह चित्तौड़ को वापस नहीं पा लेंगे वह पुआल पर सोएंगे और पेड़ के पत्ते पर खाएंगे | लेकिन अंत तक उन्हें चित्तौड़ हासिल नहीं हुआ |इस वचन को मान देने के लिए कई राजपूत आज भी अपने खाने की प्लेट के नीचे एक पत्ता और बिस्तर के नीचे घास का तिनका रख सोते हैं |