कर्मों की सजा
• इस जीवन में सदेव कर्मों की सजा से डरना चाहिए | ये कभी नहीं सोचना चाहिए की हम कुछ भी कर सकते हैं कोई क्या कर लेगा | कोई देखे न देखे इश्वर सब देखता है और आपको सही सजा भी देगा |अश्वतथामा एक बहुत वीर और सुशिल युवक था | दुर्भाग्यवश वह गलत गुट का हिस्सा था | लेकिन फिर भी वह महाभारत का युद्ध हिम्मत से लड़ता रहा | जब उसके पिता को धोखे से मार दिया गया और कौरवों की सेना भी नष्ट हो गयी तो उसने बदला लेने के लिए द्रौपदी के सभी पुत्रों को सोते में मार डाला | ये एक बहुत ही जघन्य अपराध था और उसे इसका दंड देने का फैसला किया गया | सब ने फैसला किया की सजा ऐसी होनी चाहिए जो मृत्यु से भी कठिन हो | अंत में श्रीकृष्ण ने सजा सुनाई:- ‘तुम इस धरती पर 3,000 साल तक अकेले, अदृश्य, रक्त और पीप की बदबू लिए भटकोगे।’