कर्ण की दुविधा
• जीवन में हमेशा दानवीर और औरों के बारे में सोचने से अक्सर लोग हमारा फायदा उठा लेते हैं |ऐसा ही कुछ कर्ण के साथ हुआ |उनके जीवन में बहुत उतार चड़ाव आये जिस कारण उनके मन में समाज के लिए एक द्वेष भावना मन में बस गयी | हांलाकि उन्होनें अपने को परिपक्व बनाया लेकिन इस को सिर्फ समाज को सबक सिखाने के लिए इस्तेमाल किया |इसी कारण महान होने के बावजूद भी वह उस ख्याति को प्राप्त नहीं कर सके जो अर्जुन को मिली |
• इस जीवन में अच्छे दोस्त बहुत कम मिलते हैं इसलिए उनकी कद्र करनी चाहिए |अगर पांडवों के पास कृष्ण की दोस्ती थी तो दुर्योधन के पास कर्ण जैसा वीर योद्धा और दोस्त था | लेकिन जहाँ पांडव कृष्ण की हर बात मानते थे दुर्योधन कर्ण का सिर्फ इस्तेमाल करता था | अगर दुर्योधन अमोघ अस्त्र का इस्तेमाल कर्ण से घतोत्घच पर नहीं करवाता तो निश्चित तौर पर अर्जुन मारे जाते | इसलिए दोस्ती की कद्र करो और उसे कभी अपने लिए गलत काम करने पर मजबूर नहीं करो | उसी तरह अगर आपका दोस्त किसी गलत राह पर चल रहा है तो ये ज़रूरी है की आप उसे ऐसा करने से रोकें और अगर वह न माने तो ऐसी दोस्ती से किनारा कर लें |