Get it on Google Play
Download on the App Store

कर्ण की दुविधा

जीवन में हमेशा दानवीर और औरों के बारे में सोचने से अक्सर लोग हमारा फायदा उठा लेते हैं |ऐसा ही कुछ कर्ण के साथ हुआ |उनके जीवन में बहुत उतार चड़ाव आये जिस कारण उनके मन में समाज के लिए एक द्वेष भावना मन में बस गयी | हांलाकि उन्होनें अपने को परिपक्व बनाया  लेकिन इस को  सिर्फ समाज को सबक सिखाने के लिए इस्तेमाल किया |इसी कारण महान होने के बावजूद भी वह उस ख्याति को प्राप्त नहीं कर सके जो अर्जुन को मिली |
इस जीवन में अच्छे दोस्त बहुत कम मिलते हैं इसलिए उनकी कद्र करनी चाहिए |अगर पांडवों के पास कृष्ण की दोस्ती थी तो दुर्योधन के पास कर्ण जैसा वीर योद्धा और दोस्त था | लेकिन जहाँ पांडव कृष्ण की हर बात मानते थे दुर्योधन कर्ण का सिर्फ इस्तेमाल करता था | अगर दुर्योधन अमोघ अस्त्र का इस्तेमाल कर्ण से घतोत्घच पर नहीं करवाता तो निश्चित तौर पर अर्जुन मारे जाते | इसलिए दोस्ती की कद्र करो और उसे कभी अपने लिए गलत काम करने पर मजबूर नहीं करो | उसी तरह अगर आपका दोस्त किसी गलत राह पर चल रहा है तो ये ज़रूरी है की आप उसे ऐसा करने से रोकें और अगर वह न माने तो ऐसी दोस्ती से किनारा कर लें |